भारतीय क्रिकेट उन खिलाड़ियों की कहानियों से भरा पड़ा है, जिन्होंने साधारण पृष्ठभूमि से आने के बावजूद बड़ा नाम कमाया। चकाचौंध और ग्लैमर से परे, खिलाड़ियों की संघर्षों की कई कहानियां हैं। कुछ इस कठिन यात्रा में खो गए और उनके क्रिकेटिंग सपने गरीबी की भेंट चढ़ गए, लेकिन कुछ ऐसे रहे, जिन्होंने मील के पत्थर छुए और अपने लक्ष्य को हासिल करने में सफल रहे।
साल 2008 में इंडियन प्रीमियर लीग (आईपीएल) की शुरुआत के बाद क्रिकेटर्स को अपने सपनों को सच करने के साथ-साथ बहुत सारा पैसा कमाने का मौका मिला। चेतन सकारिया से टी नटराजन तक, भारतीय क्रिकेटर्स के दिल को छू लेने वाले कई किस्से हैं, जिन्होंने सभी बाधाओं को पीछे छोड़ते हुए मुकाम हासिल किया। पिछले दो दशक में भारतीय क्रिकेट में कई खिलाड़ी साधारण पृष्ठभूमि से आए। आज हम उन 5 भारतीय खिलाड़ियों पर एक नजर डालेंगे, जिन्होंने गरीबी को अपनी राह का रोड़ा नही बनने दिया और शोहरत हासिल की।
एमएस धोनी
रांची, बिहार (अब झारखंड में) में जन्में एमएस धोनी को अपने क्रिकेटिंग सपने को पूरा करने के लिए बहुत मेहनत करनी पड़ी। उनके पिता रांची के डोरंडा क्षेत्र में एक पंप ऑपरेटर थे। महेंद्र सिंह धोनी को 2000 के दशक की शुरुआत में कुछ वर्षों के लिए पश्चिम बंगाल के खड़गपुर रेलवे स्टेशन पर ट्रेन टिकट परीक्षक (टीटीई) के रूप में काम करना पड़ा। हालांकि, उन्होंने अंतरराष्ट्रीय क्रिकेटर बनने के सपने का पीछा करना नहीं छोड़ा।
टीटीई की नौकरी के दौरान, उन्हें दक्षिण पूर्व रेलवे (एसईआर) क्रिकेट टीम का प्रतिनिधित्व करने का मौका मिला। धोनी ने ट्रेन टिकट चेक किए और क्रिकेट भी खेला। उन्होंने कई टेनिस-बॉल क्रिकेट टूर्नामेंट में भी हिस्सा लिया। ‘MSD, The Man, The leader’ पुस्तक के मुताबिक, धोनी को प्रति मैच 2000 रुपए मिलते थे।
अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट में जब उन्होंने डेब्यू किया तो कुछ लोगों को उनकी प्रतिभा पर संदेह था, लेकिन यह केवल कुछ समय ही रहा। उन्होंने अपने प्रदर्शन और कप्तानी कौशल से आलोचकों को चुप करा दिया। 2007 टी 20 विश्व कप और 2011 एकदिवसीय विश्व कप जीत में भारतीय टीम का नेतृत्व करने के अलावा, धोनी ने चेन्नई सुपर किंग्स (सीएसके) को 4 आईपीएल ट्रॉफी जिताने में भी मदद की है।
हार्दिक पंड्या
दुनिया के स्टार ऑलराउंडर्स में से एक बनने से पहले तक हार्दिक पंड्या का विलासता से दूर-दूर तक नाता नहीं था। हार्दिक के पिता हिमांशु सूरत में छोटा सा व्यापार करते थे। उन्हें इसे बंद करना पड़ा और अपने बेटों हार्दिक और क्रुणाल को बेहतर क्रिकेट सुविधाएं देने के लिए वडोदरा शिफ्ट होना पड़ा। आर्थिक कठिनाइयों के बावजूद, हिमांशु अपने बेटों को किरण मोरे की क्रिकेट अकादमी में दाखिला दिलाने में कामयाब रहे।
कुछ साल पहले, हार्दिक ने इंडियन एक्सप्रेस को दिए एक साक्षात्कार में कहा था कि वे लगभग एक साल तक नाश्ते और लंच में पांच रुपए की मैगी खाते थे, क्योंकि उनके पास उचित भोजन के लिए पैसे नहीं होते थे। हार्दिक और क्रुणाल 400-500 रुपए के लिए स्थानीय टूर्नामेंट में खेलते थे। अच्छा समय तब शुरू हुआ जब हार्दिक को आईपीएल 2015 की नीलामी में मुंबई इंडियंस ने दस लाख रुपए में खरीदा। उन्होंने हाल ही में आईपीएल 2022 में गुजरात टाइटंस (जीटी) की कमान संभाली और पहली ही बार में टीम को चैंपियन बना दिया।
रविंद्र जडेजा
टीम इंडिया के हरफनमौला खिलाड़ी रविंद्र जडेजा का जन्म गुजरात के जामनगर में एक मध्यमवर्गीय राजपूत परिवार में हुआ था। उनके पिता चौकीदार का काम करते थे। 17 साल की उम्र में, उनकी मां का निधन हो गया। मां को खोने के बाद वह पूरी तरह से टूट गए थे। उसके बाद उनकी बहन ने परिवार के भरण-पोषण की जिम्मेदारी संभाली।
चूंकि जडेजा की मां एक सरकारी अस्पताल में नर्स थीं, इसलिए परिवार एक कमरे के फ्लैट में रहता था। वह फ्लैट उन्हें आवंटित किया गया था। कम उम्र में मां को खोने के दुख से उबरने के लिए जडेजा ने खेल पर ध्यान केंद्रित किया। उन्हें 2005 में भारत की अंडर-19 टीम के लिए चुना गया।
भारत ने जब 2008 अंडर-19 विश्व कप जीता तब वह उप-कप्तान थे। जडेजा 2008 में आईपीएल जीतने वाली राजस्थान रॉयल्स (आरआर) टीम का भी हिस्सा थे। एक लंबा सफर तय करने के बाद आज वह किसी भी भारतीय टीम की प्लेइंग इलेवन में पहली पसंद हैं।
जसप्रीत बुमराह
टीम इंडिया के प्रमुख तेज गेंदबाज जसप्रीत बुमराह जब महज पांच साल के थे तब उनके पिता का देहांत हो गया था। क्रिकेटर को पालने के लिए उनकी मां को कई मुश्किलों का सामना करना पड़ा। 2019 में अपनी आईपीएल फ्रेंचाइजी मुंबई इंडियंस की ओर से शेयर किए गए एक वीडियो में जसप्रीत बुमराह ने बताया था कि जब वह बच्चे थे, तब उनके पास सिर्फ एक जोड़ी जूते और एक जोड़ी टीशर्ट हुआ करती थी।

उनके पास दो जोड़ी खरीदने के पैसे नहीं होते थे। यही वजह थी कि वह उन्हें रोजना धोते थे और उसी को पहनते थे। आईपीएल में चुने जाने के बाद उनकी जीवनशैली में बदलाव आया। उन्होंने 19 साल की उम्र में 2013 में आईपीएल में डेब्यू किया। इसके बाद तो सब इतिहास है।
मोहम्मद शमी
मोहम्मद शमी उत्तर प्रदेश के अल्मोड़ा जिले में सहसपुर के रहने वाले हैं। उन्होंने साउथ अफ्रीका में सीरीज के दौरान 200 टेस्ट विकेट पूरे करने के बाद खुलासा किया था कि उनके पिता हर दिन 30 किलोमीटर साइकिल चलाते थे और उन्हें कोचिंग कैंप में ले जाते थे। उनके पिता ऐसा इसलिए करते थे, क्योंकि उनके गांव में क्रिकेट प्रशिक्षण के लिए उचित सुविधाएं नहीं थीं।

मोहम्मद शमी के पिता एक किसान थे। वह खुद युवावस्था में एक तेज गेंदबाज थे। वह जानते थे कि शमी गांव में रहकर क्रिकेटर बनने का सपना पूरा नहीं कर सकता। इसी कारण शमी कोलकाता चले गए और सभी बाधाओं के बावजूद शीर्ष पर पहुंचे।