भारतीय कप्तान महेंद्र सिंह धोनी और बांग्लादेश के तेज गेंदबाज मुस्ताफिजुर रहमान को शुक्रवार को दोनों देशों के बीच गुरुवार को खेले गए पहले एकदिवसीय मैच के दौरान आइसीसी आचार संहिता का उल्लंघन करने का दोषी पाए जाने पर मैच फीस का क्रमश: 75 फीसदी और 50 फीसदी का जुर्माना लगाया गया है।
दोनों खिलाड़ियों को आइसीसी आचार संहिता की धारा 2.2.4 के तहत अपराध का दोषी पाया गया। दोनों खिलाड़ियों ने कहा था कि वे दोषी नहीं हैं जिसके बाद मैच रेफरी एंडी पायक्रोफ्ट ने सुनवाई की जिसमें टीवी फुटेज का इस्तेमाल का सहारा लिया गया। मैच अधिकारियों के अलावा सुनवाई में दोनों खिलाड़ियों और उनके प्रबंधकों ने हिस्सा लिया। यह घटना भारतीय पारी के दौरान की है जब 25वें ओवर की दूसरी गेंद पर गेंदबाज मुस्ताफिजुर रन बनाने की कोशिश में दौड़ रहे धोनी के रास्ते में आ गए। रिप्ले से पता चला कि धोनी ने क्रीज तक पहुंचने की कवायद में उन्हें धक्का दिया था। इसके बाद तेज गेंदबाज को मैदान छोड़ना पड़ा और बाकि के चार गेंद नासिर हुसैन ने किए।
मैच रैफरी एंडी पायक्रोफ्ट ने कहा, ‘सुनवाई में धोनी ने यह कहते हुए आरोपों से बचाव किया कि गेंदबाज गलत दिशा में थे और टकराव को रोकने के लिए उन्होंने हाथ का इस्तेमाल किया था। उन्होंने ऐसा संभावित टक्कर के बचने के प्रयास के लिए किया था।’
पायक्रोफ्ट ने कहा, ‘हालांकि मेरा आकलन सही नहीं था कि धोनी ने जानबूझकर मुस्ताफिजुर को धक्का दिया था। रैना और गेंदबाज के बीच बहुत कम अंतर होने के बावजूद अनुभवी धोनी को संपर्क रोकने का प्रयास करना चाहिए था क्योंकि क्रिकेट ऐसा खेल नहीं है जिसमें शारीरिक संपर्क हो और खिलाड़ियों से यह अपेक्षा की जाती है कि वह हर समय शारीरिक संपर्क से बचे। इसी आधार पर मैंने धोनी पर 75 फीसदी का जुर्माना लगाया।’ शुरुआत में आरोपों से इनकार करने वाले मुस्ताफिजुर ने साक्ष्य पेश किए जाने के बाद प्रस्तावित धाराओं के तहत आरोप स्वीकार लिया।
पायक्रोफ्ट ने कहा, ‘मुस्ताफिजुर पर उसके मैच फीस का 50 फीसदी जुर्माना लगाया। उसने यह स्वीकार कर लिया कि जिस तरह वह बल्लेबाज के रास्ते में आया वह गलत था और उसे संपर्क से बचने के लिए कुछ और करना चाहिए था।’ उन दोनों पर यह आरोप फील्ड अंपायर राड टकर और एनामुल हक के अलावा तीसरे अंपायर अनिसुर रहमान और चौथे अंपायर मसादुर रहमान ने लगाया था।
मैच रैफरी एंडी पायक्रोफ्ट ने गुरुवार की रात भारतीय टीम मैनेजर बिस्वरूप डे को सुनवाई के बारे में बताने के लिए समन किया था। विश्वस्त सूत्रों के अनुसार टीम प्रबंधन ने सामूहिक रूप से फैसला लिया था कि कप्तान को इस मामले में दोषी नहीं माना जाएगा क्योंकि उन्होंने गेंदबाज को जान बूझकर नुकसान पहुंचाने की कोशिश नहीं की थी। इसके बाद टीम ने आरोप का विरोध करने का फैसला लिया। सुबह टीम होटल में मैदानी अंपायर राड टकर और इनामुल हक को पायक्रोफ्ट ने बुलाया था जिसके बाद धोनी, डे और टीम इंडिया के निदेशक रवि शास्त्री को समन किया गया। समझा जाता है कि टीम इंडिया ने कहा कि धोनी ने कभी अपनी कोहनी नहीं उठाई थी और अधिकारियों ने कहा कि वह सिर्फ रन पूरा करना चाहता था।
रिप्ले के अनुसार धोनी के कंधे और बाजू में गैप नहीं था जिससे साबित होता है कि उसने गेंदबाज को कोहनी मारने की कोशिश नहीं की। इस तरह का शारीरिक संपर्क हालांकि लेवल एक के अपराध में नहीं आता है और मैच रैफरी ने इसे लेवल दो का अपराध बताया जिसके तहत मैच फीस का 50 से 100 फीसदी जुर्माना या दो मैचों का प्रतिबंध लगाया जाता है। भारतीय तिकड़ी की सुनवाई के बाद मुस्ताफिजुर और बांग्लादेशी टीम मैनेजर खालिद महमूद सुजोन को बुलाया गया था। मुस्ताफिजुर ने बांग्ला दैनिक प्रथोम आलो से कहा था, ‘मैंने बीच में आकर गलती की थी।’ इससे पहले रोहित शर्मा की बल्लेबाजी के दौरान भी मुस्ताफिजुर बीच में आ गया था और उस पर मैच फीस का 50 फीसदी जुर्माना लगाया गया।