क्रिकेट के मैदान पर कई ऐसे खिलाड़ियों ने अपना औरा बनाया है जिनके योगदान और प्रतिभा को कभी नहीं भूला जा सकता। आज बात करेंगे ऐसी ही एक शख्सियत की जिन्होंने भारतीय क्रिकेट को एक नई पहचान दी और अपनी प्रतिभा का सिक्का पूरी दुनिया में चमकाया। दरअसल हम बात कर रहे हैं “टाइगर” नाम से मशहूर नवाब मंसूर अली खान पटौदी की, जिनका नाम किसी के परिचय का मोहताज नहीं है। भारत के मशहूर घरानों में से एक पटौदी खानदान से ताल्लुक रखने वाले मंसूर का जन्म आज ही के दिन यानी की 5 जनवरी 1941 को भोपाल में हुआ था। ऐसे में आज इस खिलाड़ी के जन्मदिन पर जानते हैं कुछ सुनी-अनसुनी बातें….
21 साल की उम्र में बने कप्तानः नवाब खानदान से नाता रखने वाले मंसूर ने अपनी पढ़ाई ऑक्सफोर्ड यूनिवर्सिटी से की थी। हालांकि इनका जुनून क्रिकेट के प्रति था तो खेल के मैदान में उतरकर भी इन्होंने अपना जलवा बिखेरना और 21 साल की उम्र में ही भारतीय क्रिकेट टीम के कप्तान बन गए। पटौदी एक ऐसे खिलाड़ी थे जब वो मैदान में उतरते थे तो आक्रामक अंदाज में बल्लेबाजी करने के लिए मशहूर थे। उन्हें प्यार से लोग टाइगर कहा करते थे।
एक आंख की रोशनी फिर भी मैदान में जलवाः पटौदी ने अपने टेस्ट करियर का आगाज 1961 में इंग्लैंड के खिलाफ किया था, इसके 6 महीने पहले ही एक हादसे में उन्होंने अपनी एक आंख की रोशनी खो दी थी। उनकी अगुवाई में टीम इंडिया ने 1967 में न्यूजीलैंड को टेस्ट सीरीज में उसी की धरती पर हराया था। पटौदी की बात करें तो उन्होंने कुल मिलाकर 46 टेस्ट मैच खेले और 6 शतकों की मदद से कुल मिलाकर 2,793 रन बनाए।
फिल्मी गलियारे में धड़का दिलः क्रिकेट के मैदान के इतर नवाब पटौदी का दिल फिल्मी गलियारे में धड़का और उन्होंने अभिनेत्री शर्मिला टैगोर से शादी की। दोनों की पहली मुलाकात दिल्ली में हुई थी जहां शर्मिला को देखते ही पटौदी अपना दिल हार बैठे थे लेकिन शर्मिला के दिल में मोहब्बत का बीच बोने के बावजूद उनकी आगे की राह कांटों से भरी थी। क्योंकि दोनों के धर्म अलग थे। हालांकि दोनों की मोहब्बत के आगे धर्म बेबस हुआ और फिर 1969 में दोनों ने शादी कर ली। इसके बाद इस घराने का भी फिल्म जगत में हमेशा के लिए जुड़ाव हो गया और सैफ अली खान से लेकर करीना तक अब इसी खानदान का हिस्सा हैं।
इसके अलावा पटौदी ने राजनीति में भी हाथ आजमाया लेकिन वो इस मैदान में सफल नहीं हो सके। भोपाल में उन्होंने कांग्रेस के टिकट पर चुनाव लड़ा था लेकिन वो चुनाव हार गए थे। 22 सितंबर 2011 ही वो दिन था जब टाइगर पटौदी ने फेफड़ों में संक्रमण की वजह से इस दुनिया को अलविदा कह दिया लेकिन उनका क्रिकेट जगत में सहयोग हमेशा सराहनीय रहेगा।