न्यूजीलैंड के खिलाफ टी-20 शृंखला में भारतीय टीम का प्रदर्शन लाजवाब रहा। उसने 5-0 से सीरीज पर कब्जा जमाया। टी-20 विश्व कप की तैयारी का हिस्सा कही जाने वाली इस शृंखला में भारत के लिए सबकुछ अच्छा रहा। टूर्नामेंट समाप्त होने के बाद जारी आइसीसी रैंकिंग में भी इस नतीजे का प्रभाव नजर आया। लेकिन जो सबसे बेहतरीन रहा वह केएल राहुल का प्रदर्शन है। वे रैंकिंग में भी विराट कोहली और रोहित शर्मा को पीछे छोड़ते हुए दूसरे स्थान पर पहुंच गए हैं। राहुल ने सिर्फ बल्लेबाजी में अपनी उपयोगिता दिखाई हो ऐसा नहीं है। साल की शुरुआत में उन्हें जो जिम्मेदारी दी गई, उसमें वे सफल रहे। एक विकेटकीपर और फिर कप्तान, दोनों ही भूमिकाओं में उनके सौ फीसद नंबर रहे।

पूर्व कप्तान महेंद्र सिंह धोनी के टैस्ट से संन्यास लेने के बाद से ही भारतीय टीम ने एक अदद विकेटकीपर की तलाश शुरू कर दी थी। पहले उनकी जगह को भरने के लिए दिनेश कार्तिक को आजमाया गया। उनकी उम्र और लचर प्रदर्शन ने उन्हें कभी धोनी का विकल्प नहीं बनने दिया। टैस्ट में दूसरे विकेटकीपर की भूमिका निभाने वाले ऋद्धिमान साहा का भी बल्ले से प्रदर्शन बढ़िया नहीं रहा। साथ ही वे चोट के कारण लंबे समय से मैदान पर नहीं हैं। इन सब के बीच ऋषभ पंत ने सबका ध्यान खींचा। आक्रामक बल्लेबाजी और चतुर विकेटकीपिंग ने उन्हें कम से कम पचास फीसद तो धोनी का दावेदार बना ही दिया। लेकिन असली परीक्षा में हमेशा वे फेल ही होते रहे। विदेशों में कुछ बेहतर पारी खेलने के अलावा लंबे समय से उनके बल्ले ने रन नहीं उगला। ऐसे में इंडियन प्रीमियर लीग में अपनी फ्रेंचाइजी के लिए विकेटकीपिंग करने वाले केएल राहुल को मौका मिला और उन्होंने इसे दोनों हाथों से लपका। वे विकेट के पीछे काफी बेहतर कर रहे हैं।

बल्लेबाजी और विकेटकिपिंग में शानदार कर रहे राहुल को जब न्यूजीलैंड के खिलाफ टी-20 शृखला के आखिरी मुकाबले में कप्तान की जिम्मेदारी मिली तो उन्होंने इस मोर्चे पर भी सफलता हासिल की। इस सीरीज के दौरान उन्होंने 224 रन बनाए। 2014 में टैस्ट पदार्पण करने वाले इस बल्लेबाज ने अपने पहले एकदिवसीय मैच ही शतक लगाए थे। इसके बाद से उन्होंने कई मौकों पर भारत को जीत दिलाने में अहम भूमिका निभाई। कई दिग्गज भी उनकी बल्लेबाजी का लोहा मान चुके हैं। एकदिवसीय में 43.12 का औसत और टी-20 में 45.65 का औसत उनकी काबिलियत की गवाही देता है। टी-20 में उनका स्ट्राइक रेट 146.10 का है। यह बताता है कि छोटे प्रारूप में वे कितने फायदेमंद साबित होते हैं।

2019 के मध्य में राहुल एक विवाद में फंसे। उनकी खूब आलोचना भी हुई। लेकिन इससे बेपरवाह जब दोबारा वह मैदान पर लौटे तो उनमें काफी कुछ बदल चुका था। आंकड़ों को देखें तो उन्होंने करिअर में कुल 42 टी-20 मैच खेले हैं। इसमें उनके 1461 रन हैं जो उन्होंने 45.65 के औसत से बनाए। नवंबर 2019 तक वे 28 मुकाबलों में मैदान पर उतरे जिसमें 42.80 के औसत से कुल 899 रन उनके नाम रहे। इसके बाद के आंकड़े बताते हैं कि उनमें काफी बदलाव आया। नवंबर 2019 से अब तक 14 मैचों में राहुल ने 51.09 के औसत से 562 रन बनाए हैं।

किसी भी बल्लेबाज की परीक्षा विदेशों में किए गए उसके स्कोर से होती है। बात जब लक्ष्य का पीछा करते हुए रन बनाने की हो तो मुकाबला और कड़ा हो जाता है। राहुल ने इस मामले में बेहतर स्कोर किया। उन्होंने विदेश में खेले गए 13 पारी के दौरान लक्ष्य का पीछा करते हुए 55.88 के औसत से 503 रन बनाए। इस दौरान उनका स्ट्राइक रेट भी 150 के पार रहा। यह आंकड़ा आस्ट्रेलिया में होने वाले टी-20 विश्व कप के लिहाज से अहम है।

कप्तान विराट कोहली ने पंत की गैरहाजिरी में जब उन्हें विकेट के पीछे का जिम्मा सौंपा तो इस सलामी बल्लेबाज की एक और प्रतिभा में निखार आना शुरू हो गया। अकसर टीम में एक विकेटकीपर बल्लेबाज को शामिल किया जाता है। लेकिन राहुल पर यह कथन लागू नहीं होता। वे तो बल्लेबाज विकेटकीपर हैं। इसका फायदा टीम को भी होता है। अगर पंत टीम में लौटते भी हैं तो भारत को अब दूसरे विकेटकीपर को लेकर ज्यादा माथापच्ची नहीं करना पड़ेगा।

संदीप भूषण