भारतीय क्रिकेट टीम के पूर्व कप्तान कपिल देव ने कहा कि आजकल हेड को का काम खिलाड़ियों को कोचिंग देने के बजाय उन्हें मैनेज करना ज्यादा होता है। भारत को नवंबर में साउथ अफ्रीका के खिलाफ टेस्ट सीरीज में 0-2 से हार मिली थी और इससे पहले भारत को न्यूजीलैंड ने साल 2024 में 0-3 से हराया था। टेस्ट सीरीज में इस तरह की हार के बाद गंभीर के ऊपर काफी दवाब है।

कपिल देव ने इंडियन चैंबर ऑफ कॉमर्स आईसीसी शताब्दी सेशन में कहा कि आज कोच नाम का जो शब्द है…कोच आज बहुत आम शब्द है। गौतम गंभीर कोच नहीं हो सकते वो टीम के मैनेजर हो सकते हैं। कोच वो होते हैं जिनसे हम स्कूल या कॉलेज में सीखते हैं। वो लोग मेरे कोच थे क्योंकि वो मुझे मैनेज कर सकते थे।

लेग-स्पिनर या विकेटकीपर के कोच कैसे हो सकते हैं गंभीर

कपिल देव ने आगे कहा कि आप कोच कैसे हो सकते हैं जब उन्होंने किसी को मान लीजिए लेग स्पिनर का नाम दिया है। गौतम एक लेग स्पिनर या विकेटकीपर के कोच कैसे हो सकते हैं। मुझे लगता है कि आपको मैनेज करना होगा और ये ज्यादा जरूरी है। एक मैनेजर के तौर पर आप उन्हें हिम्मत देते हैं कि आप यह कर सकते हैं क्योंकि जब आप मैनेजर बनते हैं तो युवा लड़के आपकी तरफ देखते हैं। मेरा मैनेजर या कप्तान मुझे वह आराम कैसे दे सकता है और यही मैनेजर और कप्तान का काम है टीम को आराम देना और हमेशा कहना तुम और बेहतर कर सकते हो।

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जो अच्छा नहीं खेल रहे उनका आत्मविश्वास बढ़ाएं

कपिल ने कहा कि कप्तान के तौर पर उनकी अपनी फिलॉसफी यह थी कि खराब दौर से गुजर रहे खिलाड़ियों को सपोर्ट किया जाए। मुझे लगता है कि जो लोग अच्छा नहीं खेल रहे हैं, उन्हें आपको दिलासा देना चाहिए। अगर किसी ने सेंचुरी बनाई है तो मैं उसके साथ ड्रिंक और डिनर नहीं करना चाहता।

वहां बहुत सारे लोग हैं, लेकिन एक कप्तान के तौर पर मैं उन लोगों के साथ ड्रिंक करना चाहूंगा या उन लोगों के साथ डिनर करना चाहूंगा जो अच्छा परफॉर्म नहीं कर रहे हैं। आपको उन्हें कॉन्फिडेंस देना होता है और यही होता है। इसलिए मुझे लगता है कि एक कप्तान के तौर पर यह बहुत जरूरी है और आपकी भूमिका सिर्फ़ आपकी परफॉर्मेंस तक ही सीमित नहीं है, बल्कि यह टीम को एक साथ लाने के बारे में भी है।