कोरोनावायरस के कारण लॉकडाउन के बीच घायल पिता को गुड़गांव से साइकिल पर बैठाकर बिहार के दरभंगा पहुंची 15 साल की ज्योति कुमारी की तारीफ केंद्रीय मंत्री रविशंकर प्रसाद ने की है। उन्होंने ज्योति को हिम्मती बताया। प्रसाद ने ट्वीट कर कहा कि उन्होंने खेल मंत्री किरण रिजिजू से इस टैलेंट को पहचानने की बात कही है। इससे पहले भारतीय साइक्लिंग फेडरेशन (सीएफआई) ने ज्योति को दिल्ली आकर ट्रायल देने का मौका देने की बात कही है। अगर वो ट्रायल पास करती है, तो उसे दिल्ली स्थित आईजीआई स्टेडियम परिसर में अत्याधुनिक नेशनल साइक्लिंग अकादमी में प्रशिक्षु के रूप में चुना जाएगा।
रविशंकर प्रसाद ने कहा, ‘‘बिहार की एक लड़की के साहस के बारे में जाना, जिसने गुरुग्राम से दरभंगा तक अपने पिता के साथ 1000 से ज्यादा किलोमीटर तक साइकिल चलाई। उनकी प्रतिभा निखारने के लिए खेल मंत्री किरण रिजिजू से बात की। साथ ही खेल मंत्री से बिहार की इस साहसी लड़की को प्रशिक्षण और छात्रवृत्ति के माध्यम से पूर्ण समर्थन देने का अनुरोध किया है। यदि वह इच्छुक हैं, तो उन्हें एक साइक्लिस्ट के रूप में विकसित किया जा सकता है।’’
During these difficult times we all are doing the best to help citizens. Was moved to see the courage of a young girl from Bihar who paddled for over 1000 Kms on cycle from Gurugram to Darbhanga with her father as pillion.
Spoke to @KirenRijiju for identifying her talent (1/2) pic.twitter.com/BBBxSOV6K0— Ravi Shankar Prasad (@rsprasad) May 23, 2020
Also requested the Sports Minister @KirenRijiju to give full support to this courageous girl from Bihar- Jyoti Kumari Paswan by way of training & scholarship to develop her as a cyclist of repute, if she is willing. I salute her courage and determination. (2/2)
— Ravi Shankar Prasad (@rsprasad) May 23, 2020
कानून मंत्री के इस ट्वीट पर कई लोग भड़क गए। एक यूजर ने लिखा, ‘‘6 साल में देश का ये हाल बना दिया कि एक बेटी को 1200 किमी अपने पिता को लाद साइकिल से जाना पड़ रहा है। पर शर्म तो आएगी नहीं।’’ वहीं एक अन्य यूजर ने लिखा, ‘‘मोदी जी मजदूरों को ट्रेन से पहुंचा देते लेकिन मोदी जी ने दिमाग से काम लेकर ओलंपिक के लिए खिलाड़ी ढूंढ लिए।’’ एक यूजर ने कहा, ‘‘ये नेता लोगों को बेवकूफ ही समझते हैं, गरीबी और लाचारी को कैसे घुमा कर टैलेंट बता रहे हैं। जनता सच में बेवकूफ है।’’
6 साल में देश का ये हाल बना दिया कि एक बेटी को 1200 KM अपने पिता को लाद साईकल से जाना पड़ रहा है!
पर शर्म तो तुम्हें आएगी नहीं!
— The Protagonist(आत्मनिर्भर) (@kvivekbr) May 23, 2020
सवाल हजार किमी. सायकल चलाने का है कि उस नाकाम व्यवस्था पर जिसकी वजह से एक मासूम लड़की को ये भुगतना पड़ा.
हर जगह कट पेस्ट कर बयान देने से संवेदनशीलता अपना अर्थ और महत्व खो देती है. नेताओं के शब्दों से तो संवेदनशीलता के शब्द भी कटार जैसे चुभते हैं.— जय हिन्द (@Jago_Bharati) May 23, 2020
ये नेता लोगों को बेवकूफ ही समझते हैं, गरीबी और लाचारी को कैसे घुमा कर टैलेंट बता रहे हैं। जनता सच में बेवकूफ है।
— Anurag Chauhan (@AnuraggSingh) May 23, 2020
एक यूजर ने कमेंट किया, ‘‘सवाल हजार किमी साइकिल चलाने का है कि उस नाकाम व्यवस्था पर जिसकी वजह से एक मासूम लड़की को ये भुगतना पड़ा। हर जगह कट पेस्ट कर बयान देने से संवेदनशीलता अपना अर्थ और महत्व खो देती है। नेताओं के शब्दों से तो संवेदनशीलता के शब्द भी कटार जैसे चुभते हैं।’’ ज्योति ने पिता मोहन पासवान को साइकिल पर बैठाकर गुड़गांव से दरभंगा तक की करीब 1200 किमी की दूरी 8 दिन तय की। ज्योति ने इस दौरान रोजाना 100 से 150 किमी साइकिल चलाई।