तोक्यो ओलंपिक में भारतीय महिला हॉकी टीम ने पूर्व विश्व चैंपियन और तीन बार की ओलंपिक चैंपियन आॅस्ट्रेलिया को हरा कर इतिहास रच दिया। भारतीय टीम पहली बार सेमी फाइनल में पहुंची। हालांकि बुधवार को उसे एक कड़े मुकाबले में अर्जेटीना से शिकस्त मिली पर सोमवार को मिली जीत में एकमात्र गोल दागने वाली गुरजीत कौर से भी ज्यादा अहम रोल भारतीय गोलकीपर सविता पूनिया का रहा। वे आॅस्ट्रेलियाई टीम के सामने दीवार बनकर खड़ी रहीं। उन्होंने भारत के लिए सात पेनल्टी कॉर्नर रोके और रक्षा पंक्ति के साथ मिलकर 14 जवाबी हमले नाकाम किए। विरोधी टीम कुल 17 बार भारतीय घेरे में घुसी थी। सिर्फ भारत ही नहीं, आॅस्ट्रेलिया ने भी सविता और भारतीय रक्षण की तारीफ में पुल बांध दिए। आॅस्ट्रेलियाई उच्चायुक्त बैरी ओ फैरेल ने उन्हें ‘ग्रेट वॉल आॅफ इंडिया’ बताया।

सविता पूरे मैच में धैर्य के साथ डटी रहीं और अपना सौ फीसद दिया। उन्होंने आॅस्ट्रेलियाई फॉरवर्ड के हर हमले को नाकाम किया। इस दौरान भारतीय रक्षण ने भी सविता का खूब साथ दिया। 31 साल की सविता से पार पाना आॅस्ट्रेलियाई टीम के लिए असंभव साबित हुआ। मैच के दौरान आखिरी तीन मिनट में विपक्षी टीम को दो पेनल्टी मिले थे। ऐसे में पूरा दबाव सविता पर था। हालांकि, उन्होंने आत्मविश्वास और एकाग्रता से इसका सामना किया और टीम इंडिया को इतिहास रचने में मदद की।

आसान नहीं थी कामयाबी की राह

भारत में महिलाओं के लिए खेल को करिअर के तौर पर चुनना आसान नहीं होता। अगर वह खेल में आ भी जाए तो शीर्ष तक पहुंचने के लिए काफी मशक्कत करनी पड़ती है। हालांकि सविता के साथ ऐसा नहीं था। परिवार वाले चाहते थे कि वे हॉकी के लिए जी जान लगा दें। इसके लिए उन्होंने हिसार में भारतीय खेल प्राधिकरण केंद्र में जाना शुरू किया। वे हर रोज गोलकीपिंग गियर में बस से करीब दो घंटे सफर तय कर पहुंचती थीं। वे बताती हैं कि उन्होंने अपने पिता से पहले हॉकी के लिए मना किया था, पर उनके द्वारा गोलकीपिंग किट मिलने के बाद उनका इरादा बदला। वे बताती हैं- पिता ने उन्हें किट उस वक्त दी, जब उनके पास पैसे नहीं थे। तब उन्हें लगा कि अपने परिवार की उम्मीदों पर खरा उतरना है। उनके विश्वास को कायम रखना है।

2011 में अंतरराष्ट्रीय हॉकी में पदार्पण और फिर धमाल

2007 में सविता को टीम इंडिया के सीनियर कैंप में जगह मिली। हालांकि, इसके बावजूद उन्हें पदार्पण के लिए चार साल इंतजार करना पड़ा। सविता ने 2011 में अंतरराष्ट्रीय स्तर पर पदार्पण किया था। इसके बाद से उन्होंने मुड़ कर नहीं देखा। वह 2013 में एशिया कप में कांस्य पदक जीतने वाली टीम इंडिया का हिस्सा रही थीं। इसके बाद बेल्जियम में 2015 हॉकी वर्ल्ड लीग में टीम इंडिया में शामिल थीं। उनके शानदार गोलकीपिंग और टीम के शानदार खेल के बदौलत भारत ने 2016 रियो ओलंपिक के लिए क्वालिफाई किया। सविता ने इसके बाद 2016 एशियन चैंपियंस ट्रॉफी और 2017 एशिया कप में गोल्ड, 2018 एशियन गेम्स में सिल्वर, 2018 वर्ल्ड कप के सेमी फाइनल और 2021 ओलंपिक के सेमी फाइनल में भारत को पहुंचने में मदद की। 2015 में सविता को बलजीत सिंह गोलकीपर आॅफ द ईयर अवॉर्ड से नवाजा गया।