ईरानी ट्रॉफी में सौराष्ट्र के खिलाफ शेष भारत के हिस्सा साई सुदर्शन टूर्नामेंट से पहले इंग्लैंड में थे। वह वहां काउंटी क्रिकेट खेल रहे थे। वह सर्रे टीम का हिस्सा थे। हेम्पशायर के खिलाफ फर्स्ट डिवीजन काउंटी चैंपियनशिप में 26 सितंबर से 29 सितंबर तक मैच खेले। वह ईरानी ट्रॉफी का मैच खेलने शनिवार, 30 सितंबर को राजकोट पहुंचे। फिर रविवार,1 सितंबर को शेष भारत के लिए ओपनिंग करने आए और 56.2 ओवर तक क्रीज पर रहे।

रणजी चैंपियन सौराष्ट्र के खिलाफ पहले दिन के खेल के बाद साई सुदर्शन ने कहा, “मैं कल (शनिवार) रात 7.30 बजे पहुंचा। 29 तारीख वहां आखिरी दिन था। इसलिए 29 तारीख की शाम को मैंने मुंबई के लिए 10 घंटे की फ्लाइट ली और मुंबई से यहां आ गया।” साई सुदर्शन ने इसके बाद 56.2 ओवर तक बल्लेबाजी को लेकर कहा कि यह आसान नहीं था। उन्होंने कहा, ” जब मैं खेल रहा था तो मुझे चक्कर आ रहा था। क्योंकि आज यह (तापमान) 38-39 डिग्री था। बहुत गर्मी थी! वहां (इंग्लैंड में) तापमान 15-16 डिग्री था। तो मुझे चक्कर आ रहा था। जब मैंने पहले सत्र में बल्लेबाजी की, तो मुझे ऐसा लगा जैसे मैंने एक दिन पूरा खेला हूं।”

साई सुदर्शन के लिए चुनौती सोने को लेकर भी थी

साई सुदर्शन के लिए चुनौती सोने को लेकर भी थी। टाइम जोन में अंतर के कारण उन्हें अपनी नींद का पैटर्न बदलना पड़ा। उन्होंने कहा, ” मुझे लगता है कि मैंने (शनिवार की रात) केवल चार घंटे की नींद ली थी। जब मैंने यहां खेलना शुरू किया तो वहां (इंग्लैंड में) सुबह के दो बजे थे। तो मुझे उस समय सोने की आदत हो गई थी। जाहिर है, मैं वहां केवल एक महीने के लिए था, लेकिन उस समय के अंतर के कारण, यह थोड़ा कठिन था, थोड़ा चक्कर आ रहा था, लेकिन मैंने एडजस्ट किया और खेला।”

साई सुदर्शन की अच्छी पारी

साई सुदर्शन न केवल परिस्थितियों के हिसाब से ठले, बल्कि विकेट के साथ भी तालमेल बिठाया। विकेट टर्न और उछाल भरा था, लेकिन इससे मदद मिली कि इंग्लैंड में अपने आखिरी दो दिन वह इसी तरह के विकेट पर खेले थे। उन्होंने कहा, “लेकिन निश्चित रूप से, पारी के दौरान मुझे और थकान महसूस हुई।” उन्होंने 164 गेंद पर 72 रन की पारी खेली। इस दौरान उन्होंने 7 चौके जड़े।