रवि शास्त्री और ऑस्ट्रेलिया के पूर्व क्रिकेटर टॉम मूडी को लगता है कि इंडियन प्रीमियर लीग (आईपीएल) की फ्रेंचाइजीस खिलाड़ियों के साथ लॉन्ग टर्म कॉन्ट्रैक्ट कर विश्व क्रिकेट पर राज करेंगी। भारतीय क्रिकेट टीम के पूर्व हेड कोच रवि शास्त्री का यह भी मानना है टी20 लीग्स से द्विपक्षीय क्रिकेट, खासकर एकदिवसीय क्रिकेट को नुकसान होगा।

रवि शास्त्री ने जोर देकर कहा कि क्रिकेट धीरे-धीरे फुटबॉल की राह पर जा रहा है और भविष्य में खिलाड़ियों की रुचि केवल विश्वस्तरीय स्पर्धाएं खेलने में ही होगी। पिछले सप्ताह FICA (फेडरेशन ऑफ इंटरनेशनल क्रिकेटर्स एसोसिएशन/Federation of International Cricketers’ Associations) ने पुष्टि की थी कि इस तरह के अनुबंधों को लेकर कुछ फ्रेंचाइजी और खिलाड़ियों के बीच अनौपचारिक बातचीत हुई है। हालांकि, अब तक किसी ने आधिकारिक तौर पर हस्ताक्षर नहीं किए हैं।

रवि शास्त्री ने ईएसपीएनक्रिकइंफो से कहा, ‘दुनिया भर में टी20 लीगों की बढ़ती संख्या से द्विपक्षीय क्रिकेट खासकर वनडे प्रारूप को नुकसान हो रहा है और सभी फ्रेंचाइजी का झुकाव खिलाड़ियों को दीर्घकालिन अनुबंध देने पर है।’ रवि शास्त्री ने कहा, ‘मैंने हमेशा कहा है कि द्विपक्षीय श्रृंखलाओं को नुकसान होगा। दुनिया भर में जिस तरह से लीग की संख्या बढ़ रही है, यह फुटबॉल के रास्ते पर जा रहा है।’

पसंद हो या न हो, लेकिन ऐसा ही होगा: रवि शास्त्री

रवि शास्त्री ने कहा, ‘टीमें विश्व कप से पहले इकट्ठा होंगी, थोड़ा बहुत द्विपक्षीय क्रिकेट खेलेंगी, क्लब टीमों को छोड़ेंगे जो विश्व कप खेलेंगे। आपको पसंद आए या नहीं लेकिन ऐसा ही होगा। मुझे इसमें कोई बुराई नहीं लगती। लेकिन 50 ओवरों के क्रिकेट को नुकसान होगा।’ अंतरराष्ट्रीय क्रिकेटर्स के देश के लिए खेलने पर क्लब को तरजीह देने के बारे में उन्होंने कहा कि आने वाले समय में यह चलन और बढ़ेगा।

रवि शास्त्री ने कहा, ‘हमारे देश में एक अरब 40 करोड़ लोग हैं और सिर्फ 11 ही देश के लिए खेल सकते हैं। फिर बाकी क्या करेंगे। उन्हें इस फ्रेंचाइजी क्रिकेट के जरिए दुनिया भर में खेलने का मौका मिल रहा है तो वह क्यो नहीं खेलेंगे। यह उनकी आजीविका है।’

दुनिया भर की अन्य फ्रेंचाइजी को खरीदना चाहती हैं आईपीएल की टीमें: टॉम मूडी

ईएसपीएनक्रिकइंफो (ESPNcricinfo) के प्रोग्राम ‘रनऑर्डर’ पर सनराइजर्स हैदराबाद के पूर्व कोच टॉम मूडी ने कहा, ‘हम इस बारे में इसलिए बात कर रहे हैं, जब आईपीएल की टीमें दुनिया भर की अन्य फ्रेंचाइजी को खरीदना चाहती हैं। ऐसा करना उनके लिए आर्थिक रूप से फायदेमंद नहीं हो सकता है, लेकिन वे दीर्घकालिक लाभ (कैलेंडर वर्ष में अधिक हिस्सेदारी रखना) को देख रही हैं।’