भारतीय ओलंपिक संघ (आईओए) की अध्यक्ष पीटी उषा ने मंगलवार 8 अक्टूबर 2024 को सीएजी (नियंत्रक एवं महालेखा परीक्षक) रिपोर्ट को लेकर कोषाध्यक्ष सहदेव यादव के दावों का खंडन किया कि रिलायंस इंडिया लिमिटेड (आरआईएल) के साथ Faulty Agreement (दोषपूर्ण प्रायोजन समझौते) के कारण इस शीर्ष खेल संघ (आईओए/IOA) को 24 करोड़ रुपये का नुकसान हुआ। पीटी उषा ने एक बयान में कहा कि यह उनकी प्रतिष्ठा को धूमिल करने की एक चाल है। उन्होंने धमकी दी कि जो कोई भी ‘भ्रामक जानकारी’ देने में शामिल होगा, उसके खिलाफ कानूनी कार्रवाई की जाएगी।

समाचार एजेंसी एएनआई ने आईओए की ओर से जारी बयान के हवाले से लिखा, ‘डॉ. पीटी उषा ने सीएजी रिपोर्ट में सहदेव यादव द्वारा किए गए दावों का जोरदार खंडन किया, जिसमें आरोप लगाया गया कि उन्होंने आईओए कार्यकारी परिषद की जानकारी के बिना काम किया। उनके अनुसार ये दावे उनकी प्रतिष्ठा को धूमिल करने और आईओए को बदनाम करने के लिए जानबूझकर किए गए प्रयास का हिस्सा हैं।’

उन्होंने कहा, ‘इससे जुड़ी बातचीत का प्रस्ताव नौ सितंबर 2023 को कार्यकारी परिषद के सभी सदस्यों के साथ साझा किया गया था। इसके बाद कार्यवाहक सीईओ ने पांच अक्टूबर 2023 को इससे जुड़े पत्र को आगे बढ़ाया। प्रायोजन समिति का प्रतिनिधित्व करने वाले रोहित राजपाल उन बैठकों में उपस्थित थे जहां प्रायोजन को लेकर चर्चा हुई थी।’

ये थीं समझौते की शर्तें

आईओए और आरआईएल के बीच एक अगस्त 2022 के प्रायोजन समझौते की शर्तों के अनुसार आरआईएल को एशियाई खेलों (2022, 2026), राष्ट्रमंडल खेलों (2022, 2026), 2024 पेरिस ओलंपिक और 2028 लॉस एंजिलिस ऑलंपिक के लिए आधिकारिक प्रमुख भागीदार के रूप में आईओए के साथ जुड़ने की अनुमति दी गई थी। समझौते ने आरआईएल को इन खेलों के दौरान ‘इंडिया हाउस’ बनाने का अधिकार भी दिया।

हालांकि, सीएजी की रिपोर्ट में कहा गया कि पांच दिसंबर 2023 को एक संशोधित समझौते के जरिये शीतकालीन ओलंपिक खेलों (2026, 2030) और युवा ओलंपिक खेलों (2026, 2030) के अतिरिक्त अधिकार भी आरआईएल को दिए गए। इसका कारण अंतरराष्ट्रीय ओलंपिक समिति (आईओसी) द्वारा किसी भी प्रायोजक को ‘एनओसी (राष्ट्रीय ओलंपिक समिति) हाउस’ के नामकरण अधिकार की अनुमति देने से इनकार करना था।

समझौते को दोबारा तैयार करते समय उचित प्रक्रिया का पालन हुआ: पीटी उषा

पीटी उषा ने कहा कि आरआईएल के साथ सौदे को दोबारा तैयार करते समय उचित प्रक्रिया का पालन किया गया। उन्होंने कहा, ‘समझौते का परिशिष्ट भारत के प्रमुख खेल वकीलों में से एक नंदन कामथ (एनके लॉ, बेंगलुरु) के मार्गदर्शन में तैयार किया गया था। कार्यवाहक सीईओ को इसकी जानकारी दी गई थी। उनके साथ इससे जुड़े सभी प्रासंगिक ईमेल को साझा किया गया था।’

बयान के मुताबिक, ‘डॉ. पीटी उषा ने आश्चर्य जताया कि संशोधित समझौते के तुरंत बाद आईओए की वित्त समिति और कोषाध्यक्ष ने मई 2003 में आईओए के कानूनी सलाहकार के रूप में नियुक्ति के बावजूद कामथ की सेवाओं को समाप्त करने का फैसला किया।’ इसमें कहा गया है, ‘इससे जुड़े सभी फैसले आईओए और भारतीय एथलीट्स के सर्वोत्तम हित में थे। यह सुनिश्चित किया गया था कि कोई वित्तीय नुकसान न हो। जनता को गुमराह करने या आईओए के प्रयासों को कमजोर करने के किसी भी प्रयास पर उचित कानूनी कार्रवाई की जाएगी।’