क्रिकेट का एक और विश्व कप आ गया। अबकी बार परीक्षा महिलाओं की है। जब इनकी तुलना होती है तो अक्सर सवाल उठता है समानता का। जब समानता की बात चलती है तो सवाल खड़ा होता है इनामी राशि को लेकर। पैसा खेल के लिए अहम है। पैसा आता है तो खिलाड़ियों का रुझान बढ़ता है और खेल के प्रति बदलता है नजरिया। लेकिन अब तस्वीर बदल रही है। वैश्विक स्तर पर महिला क्रिकेट में पेशेवरपन आना खिलाड़ियों की कमाई बढ़ना सुविधाओं में बढ़ोतरी और खेलने के ज्यादा मौके मिलना। पैसा मिलने वाली इनामी राशि की बाबत भी थोड़ी शिकायत दूर होगी।
चार मार्च से न्यूजीलैंड में होने वाले 12वें विश्व कप में जो टीम विजेता बनेगी मालामाल हो जाएगी। चैंपियन बनने वाली टीम को मिलेंगे 13 लाख 20 हजार डालर (लगभग दस करोड़ रुपए)। उपविजेता रहने वाली टीम छह लाख डालर पाएगी जो 2017 में इंग्लैंड में हुए विश्व कप में भारत को मिली इनामी राशि से दो लाख 70 हजार डालर ज्यादा है। 35 लाख डालर की कुल इनामी राशि भाग लेने वाली आठ टीमों में बंटनी है।
महिला क्रिकेट विश्व कप में आस्ट्रेलिया और इंग्लैंड का दबदबा रहा है। अब तक हुए 11 विश्व कप में आस्ट्रेलिया छह बार और इंग्लैंड चार बार विजेता बना है। इसके अलावा इकलौती सफलता पाने वाला देश न्यूजीलैंड है। 22 साल पहले यानी 2000 में जब उसने विश्व कप की मेजबानी की थी तो खिताब जीतकर इतिहास रचा था। इस बार वह उस सफलता को दोहराने के लिए कृतसंकल्प लगती है।
विश्व कप से पहले पिछली उपविजेता भारत को पांच वनडे मैचों की सीरिज में न्यूजीलैंड ने जिस अंदाज में धोया है उससे उनका दबदबा मजबूत बना है। डिवाइन सूजी बेट्स और एमिलिया केर जैसी खिलाड़ियों की मौजूदगी से उनके दावे को हल्का नहीं लिया जा सकता। फिर घरली परिस्थितियों का लाभ उनके साथ है।
दावेदारों में सबसे ऊपर है आस्ट्रेलिया। कुछ वर्षों में हर प्रारूप में उसकी टीम बेहतरीन खेल दिखा रही है। पिछले विश्व कप के सेमी फाइनल में उसके आगे बढ़ने पर भारत ने रोक लगाई थी। तब हरमनप्रीत कौर की 171 नाट आउट की विस्फोटक पारी ने लक्ष्य को आस्ट्रेलिया की पहुंच से दूर कर दिया था। लेकिन उस पारी के बाद हरमनप्रीत वैसा प्रदर्शन दोहरा नहीं पाई है।
उनका फार्म ने निराशा पैदा कर दी जिससे उनके प्रशंसक ही आलोचक बन गए। उन्हें टीम से बाहर किए जाने की मांग भी उठने लगी। ऐसी मांग उठाने वालों में पूर्व भारतीय कप्तान डायना एडुलजी भी रहीं। करिअर में खिलाड़ी की फार्म में उतार-चढ़ाव आता रहता है। लेकिन जो खिलाड़ी धाकड़ हो और फार्म खो बैठे तो कभी-कभी टीम प्रबंधन को उस पर अत्यधिक भरोसा दिखाना पड़ता है। यह भरोसा ठीक भी रहा।
न्यूजीलैंड के खिलाफ पांचवें और अंतिम वनडे में अर्धशतक और फिर अभ्यास मैच में दक्षिण अफ्रीका के खिलाफ शतकीय पारी खेलकर उन्होंने फार्म वापसी के संकेत दे दिए हैं। आस्ट्रेलिया में बिग बैश लीग में 13 मैचों में 58 की औसत से 4०6 रन जुटाने वाली हरमनप्रीत के बल्ले की लय भारतीय सफलता के लिए काफी अहम है। कप्तान मिताली राज छठा विश्व कप खेलेंगी। इस विश्व कप के बाद वह संन्यास ले लेंगी।
इसलिए खिताब के साथ वह यादगार विदाई की कोशिश में रहेंगी। क्रिकेट के कई रेकार्ड उनके नाम हैं और 50 ओवरों के विश्व कप के दोनों फाइनल में वे टीम की सदस्या रही हैं। दोनों बार टीम इंडिया को उपविजेता बनकर संतोष करना पड़ा। मिताली 39 वर्ष की हैं पर फिर भी उनका प्रदर्शन सधा रहता है। कप्तान के तौर पर पचास अर्धशतक और कुल मिलाकर 62 ऐसी पारियां उनकी क्षमता और क्लास की गवाह हैं।
टीम इंडिया खुशकिस्मत है कि साल की सर्वश्रेष्ठ क्रिकेटर बनीं स्मृति मंधाना को विश्व कप में खेलने के लिए फिट करार दिया गया है। दक्षिण अफ्रीका के खिलाफ अभ्यास मैच में उनके हेलमेट पर गेंद लगी थी जिससे उन्हें रिटायर्ड होना पड़ा था। पहले एकांतवास में होने के कारण वे न्यूजीलैंड सीरिज के कुछ मैच नहीं खेल पाई थीं। वे लाजवाब प्रारंभिक बल्लेबाज हैं और पारी को मजबूत आधार देने की उनकी छवि रही है।
चिंता उनकी साथी ओपनर शेफाली वर्मा की फार्म है जो साख के अनुरूप नहीं खेल रहीं। उनको थोड़ा संयम से खेलना होगा। टीम में कई प्रतिभाशाली खिलाड़ी हैं। यस्तिका भाटिया, दीप्ति शर्मा, स्नेह राणा, ऋचा घोष, झूलन गोस्वामी, मेघना, पूजा, राजेश्वरी गायकवाड़ अगर टीम के रूप में खेलती हैं तो भारत खिताब जीतने के सपने को साकार कर सकता है। बल्लेबाजी की तुलना में गेंदबाजी कमजोर है। पर अनुभव और युवा खिलाड़ियों के मिश्रण से टीम किसी भी संकट से उबर सकती है। बड़ा स्कोर खड़ा करने के बावजूद उसका बचाव नहीं कर पाना चिंता का विषय है। कुछ खिलाड़ियों का विदेशी लीग में खेलने का अनुभव लाभप्रद साबित हो सकता है।
विश्व कप में आठों टीमों को एक-दूसरे के साथ खेलना है। ढील की गुंजाइश जरा भी नहीं रहनी चाहिए। पहला लक्ष्य शीर्ष चार में रहकर सेमी फाइनल में पहुंचने का रहेगा। अभियान पाकिस्तान के खिलाफ मैच से शुरू होगा। नाक आउट में पहुंचने के लिए पाक, बांग्लादेश, वेस्ट इंडीज और दक्षिण अफ्रीका के खिलाफ हर हाल में जीत पानी होगी। जरा सी चूक खिताबी सपने का समीकरण बिगाड़ सकती है। इंग्लैंड के लिए खिताब बचाना चुनौती होगा।