Dutee Chand Untold Story: भारतीय स्प्रिंटर दुती चंद भले ही अब बीएमडब्ल्यू सरीखी महंगी गाड़ियों में घूमती हों, पर गुरबत के दिनों में उन्हें और उनके परिवार को नॉन-वेज का मतलब तक नहीं मालूम था। यह खुलासा खुद दुती ने किया है। उन्होंने बताया कि परिवार में इतनी गरीबी थी कि उन लोगों को पता ही नहीं था कि मीट भी खाने की कोई चीज होती है। 15 दिन नॉन-वेज को लेकर उनके पिता और परिजन भ्रम में रहे थे कि आखिर यह चीज होती क्या है। एथलीट को उस दौरान सिर्फ सब्जी ही खाने को मिलती थी।
ये बातें उन्होंने शनिवार (21 सितंबर, 2019) शाम साकेत के सेलेक्ट सिटीवॉक मॉल में ‘शीरोज’ कार्यक्रम में बताईं। गरीबी और संघर्ष के दिनों को याद करते हुए चीफ गेस्ट दुती ने बताया, “29 लोगों का मेरा परिवार है। ऐसे में मेरे लिए स्पोर्ट्स चुनना बेहद कठिन फैसला रहा। पापा कपड़े बनाने का काम करते थे। अच्छा खाना नहीं मिल पाता था। नदी किनारे दौड़ना पड़ता था। मेरे पास तब जूते नहीं थे। दौड़ने के लिए मैदान नहीं था। अब मेरे पास बीएमडब्ल्यू से लेकर सब कुछ है।”
उनके मुताबिक, “परिवार में गरीबी इतनी अधिक थी कि मैं खाने के लिए ही दौड़ना शुरू किया था। लोगों ने तब कहा था कि मेरे पीछे तो सिर्फ कुत्ते ही भागेंगे। यहां तक कि मुझे नॉन-वेज के बारे में भी नहीं पता था कि मीट क्या होता है।”
बकौल एथलीट, “मेरे पापा भी नहीं इस बारे में नहीं जानते थे। हम लोग इस चीज को लेकर लगभग 15 दिनों तक कनफ्यूज रहे थे। चूंकि, तब मुझे सिर्फ सब्जियां ही खाने को मिलती थीं। ऐसे में लोग कहते थे कि गांव में शादी हुआ करे, तो वहां खाने के लिए चली जाया करो। यही वजह थी कि गांव में तब किसी की भी बरात होती, तो मैं वहां पहुंच जाती थी। फिर चाहे न्यौता मिलता या नहीं। अगर कोई पूछता था कि क्यों आई हो? तो कहती थी- मम्मी ने कहा है।”
बता दें कि दुती, देश की पहली समलैंगिक महिला एथलीट हैं, जिन्होंने खुलकर अपने रिश्तों की बात कुछ महीनों पहले दुनिया के सामने कबूल की थी। उन्हें कतर के दोहा में 27 सितंबर से छह अक्टूबर तक होने वाली वर्ल्ड एथलेटिक्स चैंपियनशिप के लिए भारतीय टीम में शामिल किया गया है।