अभिषेक शर्मा की छवि अक्सर एक बेफिक्र, मजाकिया और सहज बल्लेबाज की दिखाई देती है, जैसे वह खेल को बहुत हल्के में लेते हों, लेकिन पिता और बचपन के कोच राजकुमार शर्मा इस धारणा को बिलकुल गलत मानते हैं। राजकुमार शर्मा के अनुसार, अभिषेक की सफलता के पीछे वह पागलपन भरी मेहनत है, जिसे लोग कभी देख ही नहीं पाते।
सुबह 4 बजे से शुरू होने वाला अभ्यास, हर स्तर पर लगातार क्रिकेट खेलते रहना और हर मैच के बाद बेहतर बनाने की जिद, इन्हीं अदृश्य प्रयासों ने एक नॉन-सीरियस समझे जाने वाले लड़के को टीम इंडिया का भरोसेमंद सितारा बनाया है। अभिषेक की निडर और पहली ही गेंद से हमला करने वाली स्टाइल दुनिया भर में उनकी पहचान बन चुकी है।
राजकुमार के मुताबिक, इस ‘जानलेवा अंदाज’ की बुनियाद उन क्रिकेटिंग लेजेंड्स में भी छिपी है जिन्होंने उन्हें तराशा। युवराज सिंह की कड़क डांट से ब्रायन लारा की घंटों चलने वाली मास्टरक्लास तक, अभिषेक का खेल कई महान खिलाड़ियों के सीधे प्रभाव से निखरा है। पिता बताते हैं कि आखिर कैसे यह आक्रामकता, यह विश्वास और यह स्टाइल बना। कहानी और भी दिलचस्प है, क्योंकि इसमें सिर्फ ग्लैमर नहीं, बल्कि वर्षों की मेहनत और लगातार सुधार की भूख छिपी है।
जब अभिषेक गुरुवार 11 दिसंबर 2025 को न्यू चंडीगढ़ में होने वाले साउथ अफ्रीका के खिलाफ भारत के दूसरे T20I मैच में गृह राज्य पंजाब में पहली बार भारतीय जर्सी पहनेंगे, तो शायद सबसे ज्यादा खुश राजकुमार खुश होंगे। क्रिकेट के दीवाने राजकुमार के अनुसार, बल्लेबाजी के प्रति उनका समर्पण लगातार रहा है।
राजकुमार ने द इंडियन एक्सप्रेस को बताया, उसने एक खिलाड़ी के तौर पर लगातार बेहतर होने के लिए सब कुछ किया है। उसका दिन जिम और एक्सरसाइज से लेकर दौड़ने और तैरने तक सुबह 4 बजे शुरू होते थे। ये उसके बारे में ऐसी बातें हैं जो लोग नहीं देखते। वह लगातार क्रिकेट खेलता रहता है। अगर भारत के लिए या IPL में नहीं, तो पंजाब के लिए या अपने कैंप में। अगर वहां भी नहीं, तो वह क्लब क्रिकेट खेलना चाहता है या ऑफिस टूर्नामेंट (अपने एम्प्लॉयर, इंडियन ऑयल के लिए) खेलना चाहता है। वह बस बेहतर होते रहना चाहता है।
अभिषेक असल में अपनी राज्य की यूथ टीमों के कप्तान थे, जिसमें उनके बचपन के दोस्त शुभमन गिल भी थे। शुभमन गिल का उदय बहुत तेजी से हुआ, जबकि अभिषेक को थोड़ा इंतजार करना पड़ा, लेकिन राजकुमार साफ कहते हैं कि उन्हें इस बात का कभी शक नहीं रहा कि वह उन ऊंचाइयों तक नहीं पहुंचेगा, जिसकी भविष्यवाणी उसके बचपन में की गई थी।
पंजाब के जूनियर कोच अरुण बेदी और कपिल देव को कोचिंग देने वाले डीपी आजाद ने उनमें काबिलियत देखी। अरुण बेदी ने बताया, ‘यहां तक कि 11-12 साल की उम्र में भी, अभिषेक खड़े होकर और पेसर्स के साथ-साथ स्पिनरों के खिलाफ भी आगे बढ़कर छक्के मारते थे। वह लॉफ्टेड शॉट्स से छक्के मारते थे, जो उनकी उम्र के लड़कों में आम बात नहीं थी। यह उनके कौशल के बारे में बताता था।’
बहुत कम बल्लेबाजों के CV में क्रिकेट के पांच महान खिलाड़ियों के नाम होते हैं, वीवीएस लक्ष्मण और राहुल द्रविड़, जिनके साथ उन्होंने इंडिया सेटअप में काम किया; रिकी पोंटिंग और ब्रायन लारा, जिन्होंने उन्हें आईपीएल में कोचिंग दी और युवराज सिंह, जिन्होंने लॉकडाउन के दिनों में उनके साथ काम शुरू किया।
इनमें से, युवराज और लारा अब भी उनके करीब हैं, दोनों ने ही उन्हें गोल्फ के खेल से भी जोड़ा है; यह सिर्फ आराम करने या अंदर की बेचैन ऊर्जा को निकालने का जरिया नहीं है, बल्कि छोटे-छोटे फायदे ढूंढने का एक और तरीका है। राजकुमार कहते हैं, इससे उसका बैट स्विंग बेहतर हुआ है और साफ हुआ है।
युवराज सिर्फ एक आइडल या मेंटर से कहीं ज़्यादा हैं, राजकुमार उन्हें अपने बेटे के करियर को आकार देने का श्रेय देते हैं, खासकर इंटरनेशनल डेब्यू के बाद। राजकुमार एक जानी-पहचानी, पिता वाली हंसी के साथ कहते हैं, अब भी, जब उन्हें लगता है कि अभिषेक ने कोई गलती की है, तो वह फोन उठाकर उसे डांटते हैं। अभिषेक भी उनसे डरता है।
लारा की तारीफ दिमाग में छपी हुई है। वह कहते हैं, अभिषेक को शुरुआती सफलता रेड बॉल क्रिकेट में मिली और उसी वजह से वह व्हाइट बॉल क्रिकेट में चमका। लारा ने यह भी बताया है कि वह उसे एक ऑल-फॉर्मेट खिलाड़ी के तौर पर देखते हैं। लारा घंटों तक फोन पर उससे बात करते हैं और उसे उसी स्टाइल, उसी दबदबे के साथ खेलने की सलाह देते हैं, यहां तक कि रेड बॉल के खिलाफ भी।
