कोलकाता के ईडन गार्डन में रविवार (16 नवंबर) को साउथ अफ्रीका के खिलाफ हार के बाद भारतीय टीम के पुराने जख्म हरे हो गए। पिछले साल नवंबर में यह कड़वा एहसास हुआ था कि भारतीय टीम घर की शेर नहीं रह गई है। न्यूजीलैंड ने 3 मैचों की टेस्ट सीरीज में क्लीन स्वीप कर दिया था। यह साफ हो गया था कि कभी स्पिन वाली पिच पर दबदबा दिखाने वाले भारतीय बल्लेबाज अब चारों खाने चित्त हो जाते हैं। गौतम गंभीर के कोच बनने के बाद टेस्ट क्रिकेट में यह पहली मुश्किल चुनौती थी, जिसमें भारतीय टीम फेल रही।
न्यूजीलैंड के खिलाफ टेस्ट सीरीज के बाद रविचंद्र अश्विन, रोहित शर्मा और विराट कोहली जैसे दिग्गज खिलाड़ियों के भविष्य पर सवाल उठे, जिनका ऑस्ट्रेलिया दौरे के बाद करियर खत्म हो गया। इसके बाद शुभमन गिल कप्तान बने और इंग्लैंड दौरे पर सीरीज 2-2 से बराबर रही। बड़े खिलाड़ियों के जाने के लगा कि भारतीय टीम को टेस्ट क्रिकेट में ज्यादा दिक्कत नहीं आएगी, लेकिन साउथ अफ्रीका के खिलाफ कोलकाता टेस्ट में हार के एक बार फिर गौतम गंभीर की रणनीति सवालों के घेरे में हैं।
न्यूजीलैंड के खिलाफ फजीहत को भूल गए गंभीर
भारत में टेस्ट क्रिकेट के इतिहास में पहली बार हुआ कि तीसरी पारी में जाकर किसी बल्लेबाज ने अर्धशतक लगाया। ढाई दिन में 38 विकेट गिर गए। इसके बाद भी गौतम गंभीर ने पिच का बचाव किया। प्रेस कॉन्फ्रेंस में उन्होंने कहा कि भारतीय टीम ऐसी ही पिच चाहती थी। गंभीर यह बातें करने से पहले शायद पिछली साल हुई फजीहत को भूल गए जब ग्लेन फिलिप्स जैसे काम चलाऊ गेंदबाज ने भारतीय बल्लेबाजों की नाक में दम कर दिया था।
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पाकिस्तान में साउथ अफ्रीका का शानदार प्रदर्शन
गंभीर ने इस तथ्य को भी नजरअंदाज किया कि साउथ अफ्रीका की टीम ने स्पिन के लिए मददगार परिस्थितियों में पाकिस्तान में क्या किया? भारत दौरे पर आने से पहले साउथ अफ्रीका की टीम पाकिस्तान दौरे पर थी। दो मैचों की टेस्ट सीरीज 1-1 से बराबर रही। पहला टेस्ट हारने के बाद साउथ अफ्रीका ने दूसरे टेस्ट में शानदार वापसी करते हुए जीत दर्ज की। उस जीत के भी नायक साइमन हार्मर और केशव महाराज थे।
भारतीय टीम को स्पोर्टिंग विकेट आती है रास
साउथ अफ्रीका के इस प्रदर्शन को देखते हुए भारतीय टीम को स्पोर्टिंग विकेट चुनना चाहिए था। ऐसी पिच होनी चाहिए थी जिस पर बल्लेबाजों और गेंदबाजों दोनों के लिए सामान मदद होती। हाल के समय में टेस्ट क्रिकेट में भारतीय टीम ऐसी ही पिचों पर सफल रही है, लेकिन कोच गंभीर ऐसा नहीं मानते और आगे भी नहीं मानेंगे। कम से कम प्रेस कॉन्फ्रेंस में उनके बयान से तो ऐसे ही संकेत मिले।
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प्लेइंग 11 भी सवालों के घेरे में
गौतम गंभीर केवल पिच को लेकर सवालों के घेरे में नहीं हैं। भारतीय टीम की प्लेइंग 11 भी सवालों के घेरे में रहती है। टेस्ट क्रिकेट में 6 गेंदबाजी विकल्प के साथ उतरना समझ के परे है। लिमिटेड ओवर्स फॉर्मेट में गेंदबाजी के ज्यादा विकल्प होना ठीक होता है। कई बार टीमों को ओवर निकलवाने पड़ते हैं, लेकिन टेस्ट क्रिकेट में यह दिक्कत नहीं होती। ज्यादा विकल्प होने से गेंदबाज लंबा स्पेल नहीं फेंक पाते, जिससे उन्हें लय हासिल करने में दिक्कत होती है।
ऑलराउंडर प्रेम
गंभीर को ऑलराउंडर खिलाड़ियों से ज्यादा ही प्रेम है। कोलकाता टेस्ट में ही देख लिजिए। साई सुदर्शन को ड्रॉप करके वाशिंगटन सुंदर को नंबर 3 पर मौका दिया गया। टेस्ट क्रिकेट में यह पोजिशन काफी महत्वपूर्ण होती है। यह एक ऐसा नंबर है जिस पर दिग्गज राहुल द्रविड़ और चेतेश्वर पुजारा जैसे खिलाड़ी खेले हैं। साई की जगह सुंदर को खिलाने पर पुजारा, दिग्गज अनिल कुंबले और आकाश चोपड़ा ने सवाल उठाए।
साख और कोचिंग करियर दांव पर
भारतीय टीम पर एक बार फिर क्लीन स्वीप का खतरा मंडरा रहा है। साउथ अफ्रीका के खिलाफ दूसरे टेस्ट में भारतीय टीम और कोच गंभीर काफी दबाव में होंगे। कप्तान शुभमन गिल की चोट ने चिंता और बढ़ा दी है। अगर वह दूसरे टेस्ट से बाहर हो जाते हैं तो भारत के लिए यह बहुत बड़ा झटका होगा। गुवाहाटी में पहली बार टेस्ट मैच होगा तब मेजबान टीम साख बचाने उतरेगी। क्लीन स्वीप हुआ तो गंभीर के कोचिंग करियर पर बड़ा धब्बा लगेगा। इस बात की चर्चा तेज होगी कि क्या भारत को स्प्लिट कोचिंग की तरफ बढ़ना चाहिए?
