देवेंद्र पांडे। भारत भले ही टर्निंग पिच पर पुणे टेस्ट हार गया हो उसके बल्लेबाजों को हाल ही में विदेशी स्पिनरों के सामने संघर्ष करना पड़ा हो, लेकिन टीम प्रबंधन ने शुक्रवार (29 अक्टूबर) से शुरू होने वाले तीसरे और अंतिम टेस्ट के लिए मुंबई क्रिकेट एसोसिएशन से “रैंक टर्नर” की मांग की है। एक सूत्र ने इंडियन एक्सप्रेस को बताया, “यह रैंक टर्नर पिच होगी। टीम प्रबंधन ने ऐसी पिच तैयार करने का अनुरोध किया है, जो पहले दिन से ही स्पिनर्स की मदद कर सके। ऐसा लगता है कि टीम आजमाए हुए फॉर्मूले पर चलना चाहती है।”
पुणे की पिच रैंक टर्नर नहीं थी। स्लो टर्निंग थी। हालांकि मैच आगे बढ़ने के साथ ही असमतल उछाल मिलने लगा। फिर भी, भारत के बल्लेबाजों ने अपने 20 में से 19 विकेट स्पिनर्स के हाथों गंवाए, जिनमें से 13 बाएं हाथ के गेंदबाज मिशेल सैंटनर ने लिए। हाल के दिनों में यह एकमात्र उदाहरण नहीं था जब विदेशी स्पिनर्स ने टर्नर पर कहर बरपाया था। इंदौर में ऑस्ट्रेलिया के खिलाफ और हैदराबाद और चेन्नई में इंग्लैंड के खिलाफ भी देखने को मिल चुका है।
लाल मिट्टी की पिच पर उछाल भी मिलेगी
वानखेड़े में बल्लेबाजों के लिए यह और भी कठिन होगा, क्योंकि लाल मिट्टी की पिच पर उछाल भी मिलेगी। स्पिन और उछाल दोनों तरह के बल्लेबाजों के लिए घातक संयोजन होगा। अगर असमान उछाल भी आता है, तो मैच जल्दी खत्म हो सकता है। वानखेड़े में टर्नर देखने को मिलता रहा है। जैसे 2004 में ऑस्ट्रेलिया के खिलाफ डेड रबर गेम में, जब मैच तीन दिनों में समाप्त हो गया था, जिसमें ऑस्ट्रेलिया चौथी पारी में 93 रन पर आउट हो गया था। पिछले तीन मैचों में से दो में पांचवें दिन का खेल नहीं हुआ।
रविचंद्रन अश्विन का शानदार प्रदर्शन
भारतीय स्पिनर्स को यह पिच रास आती है। पांच मैचों में रविचंद्रन अश्विन ने 18.42 की औसत से 38 विकेट लिए हैं, जो इस मैदान पर किसी भी गेंदबाज द्वारा लिए गए सबसे ज्यादा विकेट हैं। अपने एकमात्र मैच में रविंद्र जडेजा ने भी छह विकेट लिए। खेल से तीन दिन पहले मंगलवार को पिच पर घास नहीं था, ग्राउंड-स्टाफ नियमित रूप से स्प्रिंकलर से पानी दे रहे थे और इसे धूप में सूखने के लिए लंबे समय तक खुला छोड़ा गया। लेकिन पहले सत्र में, समुद्री हवा की मदद से स्पिनर्स को ड्रिफ्ट मिलती है। तेज गेंदबाजों को भी कुछ मूवमेंट मिल सकता है।