इंग्लैंड दौरे पर भारतीय टीम भले ही1-2 से पीछे हो, लेकिन शुभमन गिल की अगुआई वाली टीम ने अच्छा प्रदर्शन किया है। टीम तीनों मैच में जीतने की पोजिशन में थी। हालांकि, अच्छे प्रदर्शन के बाद भी GG (गौतम गंभीर और शुभमन गिल) के लिए नंबर-3 बड़ी दुविधा बनी हुई है। पहले मैच में साई सुदर्शन को मौका दिया गया। डेब्यू के बाद अगले टेस्ट में बाहर कर दिया गया। करुण नायर को 2 टेस्ट में मौका मिला, लेकिन 4 पारियों में उन्हें अच्छी शुरुआत मिली, जिसे वह बड़ी पारी में नहीं बदल पाए।

करुण नायर के नाम 6 पारियों में सिर्फ 131 रन हैं। वह दोनों टीमों की ओर से शीर्ष चार में बल्लेबाजी करने वाले में एकमात्र खिलाड़ी हैं, जिन्होंने एक अर्धशतक तक नहीं लगाया है। अब मैनचेस्टर में 23 जुलाई से खेले जाने वाले चौथे टेस्ट में गंभीर-गिल के सामने यह सवाल होगा कि करुण नायर को और मौका दें या साई सिदर्शन की भारत की प्लेइंग 11 में वापसी कराएं।

साई सुदर्शन को मौका दिया जाना चाहिए

दिग्गज फारुख इंजीनियर का मानना है कि साई सुदर्शन को ओल्ड ट्रैफर्ड में तीसरे नंबर पर मौका दिया जाना चाहिए। बाएं हाथ के सुदर्शन ने लीड्स में पहले टेस्ट के बाद बेंच पर बैठने के बाद से नेट्स पर सबसे ज्यादा समय बिताया है, जहां उन्होंने दो पारियों में 30 रन बनाए थे। भारत के पूर्व विकेटकीपर इंजीनियर ने स्पोर्ट्सस्टार से कहा, ” करुण को मौके मिले, लेकिन वे उनका फायदा नहीं उठा पाए। यह स्थिति सबसे महत्वपूर्ण है और उन्होंने अभी तक अर्धशतक भी नहीं लगाया है। चूंकि ज्यादा विकल्प उपलब्ध नहीं हैं, इसलिए सुदर्शन को टीम में शामिल किया जा सकता है। बाएं हाथ के बल्लेबाज होने के कारण, वे उपयोगी साबित हो सकते हैं।”

नई गेंद की चमक फीकी करने में कामयाब रहे करुण

करुण की बात करें तो उन्होंने तीसरे नंबर पर अच्छी बल्लेबाजी की है। वह अक्सर नई गेंद की चमक फीकी करने में कामयाब रहे हैं। 33 वर्षीय करुण न तो घबराए हुए दिखे और न ही पिचों ने उन्हें परेशान किया। लेकिन फिर भी बड़े स्कोर बनाने में वे नाकाम रहे हैं। इससे उनका औसत 27.75 रहा है।क्रिकविज के आंकड़ों के अनुसार, तीसरे नंबर पर करुण का फाल्स-शॉर्ट प्रतिशत 20.9 है, जो इस सीरीज में किसी भी शीर्ष क्रम के बल्लेबाज का चौथा सबसे कम है। इस पैमाने पर उनसे बेहतर रैंकिंग केवल केएल राहुल, शुभमन गिल और जो रूट की है।

करुण को डिफेंसिव अप्रोच से हुआ नुकसान

करुण के साथ दिक्कत यह रही है कि वह बहुत डिफेंसिव रहे हैं। उन्होंने 43.9 प्रतिशत डिफेंसिव शॉट खेले हैं। इस सीरीज में शीर्ष क्रम के बल्लेबाजों में केवल सुदर्शन ने ही ऐसे शॉट ज्याजा लगाए हैं। करुण का डॉट बॉल प्रतिशत 73.8 रहा है, जो इसी श्रेणी में तीसरा सबसे ज्यादा है। रक्षात्मक रुख अपनाने से उन्हें कोई खास फायदा नहीं हुआ है।

नंबर 3 चिंता का विषय

लॉर्ड्स टेस्ट की दूसरी पारी में मध्यक्रम के ढहने को छोड़कर भारत की बल्लेबाजी काफी मजबूत दिख रही है, लेकिन तीसरा नंबर एक बड़ी चिंता का विषय बना हुआ है। 2020 से भारत इस क्रम पर 11 अलग-अलग खिलाड़ियों को आजमा चुका है। इस महत्वपूर्ण पोजिशन पर स्थिरता होना जरूरी है, जो चेतेश्वर पुजारा ने लगभग एक दशक तक प्रदान की। सौराष्ट्र के इस बल्लेबाज ने तीसरे नंबर पर 155 पारियों में 44.41 के औसत से 6529 रन बनाए, जो उनके टेस्ट डेब्यू के बाद से इस पोजिशन पर किसी भी बल्लेबाज द्वारा बनाए गए दूसरे सबसे ज्यादा रन हैं।

वन-डाउन पोजिशन को लेकर केवल भारत संघर्ष नहीं कर रहा

हालांकि; गिल उनके उत्तराधिकारी बनने के लिए तैयार दिख रहे थे। उन्होंने 2021 से 2025 के बीच तीसरे नंबर पर 17 मैच खेले और 37.74 के औसत से 1019 रन बनाए, लेकिन उसके बाद से वह चौथे नंबर पर खिसक गए हैं। वन-डाउन पोजिशन को लेकर केवल भारत संघर्ष नहीं कर रहा। लगभग सभी टेस्ट खेलने वाले देश तीसरे नंबर पर लंबे समय तक टिके रहने वाले खिलाड़ी की तलाश में हैं। यह देखना बाकी है कि भारत करुण के साथ बना रहेगा या सुदर्शन की वापसी होगी।