तेज गेंदबाज मयंक यादव ने रविवार (7 अक्टूबर) को ग्वालियर में बांग्लादेश के खिलाफ पहले टी20 मैच में भारत के लिए डेब्यू करते हुए अपनी गति का जलवा दिखाया। उन्होंने पहला ओवर मेडन किया। अगले ओवर में विकेट चटका दिया। मयंक ने चार ओवर में 21 रन देकर 1 विकेट लिया। यह उनका अप्रैल में लखनऊ सुपर जायंट्स के लिए आईपीएल 2024 के मैच के बाद पहला मैच था।
मयंक ने अपनी तेज गति से आईपीएल में धूम मचा दी थी। उन्होंने लीग-स्टेज मैच के दौरान 156.7 किमी प्रति घंटे की रफ्तार को छुआ, जो टूर्नामेंट में किसी भारतीय द्वारा फेंकी गई सबसे तेज गेंद थी। हालांकि, दिल्ली के इस तेज गेंदबाज का सीजन चार मैचों तक ही सीमित रहा। वह साइड स्ट्रेन के कारण काफी समय तक खेल से दूर रहे।
दिलचस्प बात यह है कि नेशनल क्रिकेट एकेडमी (NCA) में रिहैब के बाद मयंक की वापसी बिना किसी घरेलू मैच खेले सीधे टी20 इंटरनेशनल के जरिए हुई। मयंक ने बताया कि वह नर्वस थे। उनका ध्यान स्पीड पर नहीं बल्कि शरीर पर था। वह कम रन देना चाह रहे थे। हुआ भी कुछ ऐसा ही।
नर्वस थे मयंक
मयंक ने जियो सिनेमा पर कहा, ” मैं वाकई उत्साहित था, लेकिन थोड़ा ज्यादा नर्वस भी था। इस सीरीज से मैंने चोट के बाद वापसी की। मैंने प्रतिस्पर्धी क्रिकेट नहीं खेला था और फिर सीधे अपना डेब्यू किया। इसलिए मैं थोड़ा ज्यादा नर्वस था। रिकवरी का दौर कई लोगों के लिए मुश्किल रहा। पिछले 4 महीनों में काफी उतार-चढ़ाव आए। लेकिन मुझसे ज्यादा, मेरे साथ काम करने वाले लोगों के लिए यह मुश्किल रहा। “
स्पीड नहीं शरीर पर था ध्यान
22 वर्षीय खिलाड़ी ने जोर देकर कहा कि डेब्यू पर उनका एकमात्र लक्ष्य स्पीड नहीं थी। उन्होंने कहा, “आज मैंने अपने शरीर पर अधिक ध्यान दिया। साथ ही, मैंने तेज गेंदबाजी करने के बजाय सही लेंथ पर गेंद फेंकने का दृढ़ निश्चय किया। मैंने अपनी गति के बारे में नहीं सोचा। मैंने बस कम से कम रन देने और सही लाइन और लंबाई पर गेंदबाजी करने की कोशिश की। मैंने आईपीएल में भी धीमी गति से गेंदबाजी की थी, लेकिन बहुत ज्यादा नहीं। मैंने अपने कप्तान से बात की और उन्होंने मुझे विविधताओं को आजमाने के बजाय अपनी स्टॉक बॉल पर भरोसा करने के लिए कहा। लेकिन ग्वालियर आने पर, विकेट में ज्यादा उछाल नहीं था, इसलिए मैंने अपनी गति को उसी हिसाब से बदल दिया।”
गंभीर का समर्थन
मयंक ने कहा कि मुख्य कोच गौतम गंभीर ने उनसे गेंद के साथ चीजों को सरल रखने का आग्रह किया। उन्होंने कहा, ” कुछ भी अतिरिक्त नहीं, उन्होंने मुझे बुनियादी बातों पर टिके रहने और उन चीजों को करने के लिए कहा, जिनसे मुझे पहले सकारात्मक परिणाम मिले हैं। उन्होंने मुझसे कहा कि मैं अलग-अलग चीजों को आजमाने के बारे में ज्यादा न सोचूं या यह भी न सोचूं कि यह एक अंतरराष्ट्रीय मैच है। प्रक्रिया का पालन करना ही मुख्य बात थी।”