विराट कोहली की उन्मत्त ऊर्जा हमेशा अपेक्षित परिणाम नहीं दे पाती, जैसाकि भारत के पूर्व मुख्य कोच रवि शास्त्री ने याद करते हुए बताया कि कैसे उन्हें कभी-कभी दिल्ली के इस बल्लेबाज को बल्लेबाजी के लिए अपनी बारी का इंतजार करते हुए शांत रहने के लिए कहना पड़ता था।

रवि शास्त्री ने लिस्टएनआर पॉडकास्ट पर कहा, ‘कई बार, मुझे उन्हें (कोहली को) शांत करना पड़ता था। अगर कोई विकेट गिर जाता, तो वह अपनी सीट से उछल पड़ते। मैं कहता, ‘शांत हो जाओ यार, उसे (आउट हुए बल्लेबाज़ को) बीच मैदान के बार जाने दो, जब वह स्टम्प से सिर्फ 10 गज की दूरी पर हो तो उससे मत मिलना। उसे सीमा रेखा के पास आने दो, फिर उसे क्रॉस करो। वह बहुत उत्तेजित हो जाता था। यही विराट है।’

विराट ने फिटनेस के नए मानक तय किए

कप्तान और कोच के रूप में विराट कोहली और रवि शास्त्री ने पिछले दशक में भारतीय क्रिकेट में एक महत्वपूर्ण साझेदारी बनाई, जहां फिटनेस पर जोर नए मानकों तक पहुंच गया था। शास्त्री ने बताया कि कैसे कोहली के साथ मैदान में दौड़ना उनके सुस्त साथियों के लिए बुरी खबर थी।

जिम जाओ और ट्रेनिंग शुरू करो

रवि शास्त्री ने कहा, ‘ऐसा हुआ क्योंकि वह उन्हें अलग से दिखा देता था। जब आप विकेटों के बीच दौड़ रहे होते हैं, अगर आप आलसी हैं तो आपको जल्द ही पता चल जाएगा। वह दो रन पूरे कर रहा होगा और आप दूसरा रन पूरा करने की कोशिश कर रहे होंगे और वह तीसरा रन ढूंढ़ने की कोशिश कर रहा होगा, जबकि आपने अपना दूसरा रन भी पूरा नहीं किया होगा। ऐसे में तुरंत यह संदेश जाता है, ‘जिम में जाओ और ट्रेनिंग शुरू करो और और फिट हो जाओ।’

साल 2018 के दक्षिण अफ्रीका दौरे की एक घटना का जिक्र करते हुए रवि शास्त्री ने कोहली की कार्य नीति की भी सराहना की, जो उन्होंने खेल में अब तक देखी सबसे बेहतरीन नीति बताई।

रवि शास्त्री ने कहा, ‘यह अविश्वसनीय था, उनकी कार्यशैली विशेष थी। मैंने ऐसा किसी को पहले कभी नहीं देखा। जिम की बात तो छोड़ ही दीजिए, मुझे याद है कि केपटाउन (दक्षिण अफ्रीका में 2018 की टेस्ट सीरीज) में वह जल्दी आउट हो गए थे। वह सेंचुरियन के नेट्स पर आए और उन्होंने 45 मिनट तक बल्लेबाजी की, फिर आकर रघु से पूछा। रघु ऐसे गेंदबाज हैं जो 16 गज की दूरी से 150-160 की रफ्तार से गेंद फेंक सकते हैं। वह विराट के पीछे पड़ गए क्योंकि विराट यही चाहते थे।’

जब विराट को लेकर घबरा गए थे शास्त्री

रवि शास्त्री ने कहा, ‘…और पिच भी खराब थी, इसलिए एक कोच होने के नाते मैं थोड़ा चिंतित था। पिच खराब थी और यह आदमी (कोहली) उससे (रघु) कह रहा है कि पूरी ताकत से फेंको और दो दिन में ही टेस्ट मैच शुरू हो जाएगा। लेकिन वह निर्दयी थे और फिर मैदान पर, दिन-ब-दिन एक दिनचर्या सी बन गई। इसलिए वह दिन-रात जिस ऊर्जा के साथ मैदान पर आते थे, वह अविश्वसनीय थी।’