इंग्लैंड में संपन्न हुई पांच टेस्ट मैच की सीरीज के लिए भारतीय टीम से सरफराज खान को बाहर किए जाने पर काफी लोगों की भौहें तन गईं। जैसे-जैसे यह ऐतिहासिक सीरीज आगे बढ़ी, सरफराज की ऐसी तस्वीरें सामने आईं जिनमें वह पहले से कहीं ज्यादा दुबले-पतले दिखाई दिए। सरफराज अब कांगा लीग में खेलकर क्रिकेट से लंबा ब्रेक लेने से बच रहे हैं।
पार्कोफोन क्रिकेटर्स की ओर से खेलते हुए, सरफराज ने इस्लाम जिमखाना के खिलाफ 42 गेंद में 61 रन बनाए। सरफराज खान के हवाले से मिड-डे ने अपनी रिपोर्ट में लिखा, ‘बचपन में मैंने पिता (कोच नौशाद खान) से कई किस्से सुने थे कि कैसे सुनील गावस्कर सर एक बार इंग्लैंड से उसी सुबह लौटने के बावजूद कांगा लीग मैच खेलने पहुंच गए थे।’
कांगा लीग में खेलना गर्व की बात
सरफराज खान ने कहा, ‘…तो मुशीर (छोटे भाई) और मुझे हमेशा इस टूर्नामेंट में खेलने पर गर्व रहा है। शनिवार को नागपुर से लौटते समय, हम उम्मीद कर रहे थे कि रविवार को बारिश नहीं होगी। रविवार सुबह थोड़ी बारिश हुई, लेकिन जब मैं इस्लाम जिमखाना पहुंचा, तो मौसम अच्छा था। मैंने अपना आखिरी कांगा लीग मैच तीन साल पहले खेला था। इस मैच से पहले मैं लीग की मैच लिस्ट देख रहा था। उसमें 2018 में शतक बनाने वालों में मेरा नाम भी लिखा था। यह देखकर मुझे अच्छा लगा।
कांगा लीग में मुंबई के सभी खिलाड़ी खेलें
सरफराज ने कहा कि मुंबई के सभी खिलाड़ियों को लीग में खेलना चाहिए। 20वीं सदी के शुरुआती दौर में खेलने वाले होर्मसजी कांगा के नाम पर इस प्रतियोगिता की शुरुआत 1948 में हुई थी। मुंबई में साल के उस समय जब यह टूर्नामेंट आयोजित होता है तो बादल छाए रहते हैं और पिच में नमी रहती है, जिससे बल्लेबाजों के लिए रन बनाना मुश्किल हो जाता है। शायद यही वजह है कि अंतरराष्ट्रीय क्रिकेटर आमतौर पर इसे छोड़ देते हैं।
कांगा लीग में खेलने के बाद दूर हो जाएगी रन बनाने की दिक्कत
सरफराज ने कहा, ‘मुंबई के सभी खिलाड़ियों को (कांगा लीग) खेलना चाहिए। कुछ खिलाड़ियों को लगता है कि अगर वे यहां असफल रहे, तो यह उनके भविष्य के लिए बुरा होगा, लेकिन अगर गावस्कर सर और सचिन तेंदुलकर सर भी ऐसा ही सोचते, तो शायद वे महान खिलाड़ी नहीं बन पाते। अगर बड़े खिलाड़ी इस टूर्नामेंट में खेलते हैं, तो यह शहर के युवाओं के लिए प्रेरणा होगी। कांगा लीग एक ऐसा टूर्नामेंट है कि अगर आप यहां सफल होते हैं, तो आप दुनिया में कहीं भी रन बना सकते हैं।’