आईपीएल 2025 का रोमांच अपने चरम पर है। 30 से ज्यादा मुकाबले खेले जा चुके हैं और हर मैच में किसी न किसी खिलाड़ी ने अपनी खास परफॉर्मेंस से खेल का रुख बदल दिया है। ठीक ऐसा ही नजारा देखने को मिला 29वें मैच में, जब महेंद्र सिंह धोनी ने एक बार फिर साबित कर दिया कि उम्र महज एक संख्या है।
धोनी ने महज 11 गेंदों में 26 रन ठोक डाले, जिसमें एक गगनचुंबी छक्का और चार चौके शामिल थे। उनकी इस तूफानी पारी की बदौलत चेन्नई सुपर किंग्स ने 5 विकेट से मैच जीत लिया और धोनी को मिला प्लेयर ऑफ द मैच का अवॉर्ड। लेकिन हमेशा की तरह विनम्र धोनी ने कहा – “मुझे हैरानी है कि मुझे ये अवॉर्ड मिला, ये तो शिवम दूबे को मिलना चाहिए था।”
ये कोई पहला मौका नहीं है जब प्लेयर ऑफ द मैच (POTM) को लेकर फैंस के बीच बहस छिड़ी हो। तो सवाल उठता है – आखिर प्लेयर ऑफ द मैच चुनता कौन है? क्या ये सिर्फ आंकड़ों का खेल है या फिर इसके पीछे कुछ और भी है?
कौन तय करता है प्लेयर ऑफ द मैच?
आईपीएल में प्लेयर ऑफ द मैच का चयन कमेंट्री पैनल द्वारा किया जाता है। हर मैच के दौरान जो एक्सपर्ट्स कमेंट्री करते हैं, वही इस जिम्मेदारी को निभाते हैं। ये पैनल ब्रॉडकास्टर द्वारा बनाया जाता है, जिसमें पूर्व खिलाड़ी, कोच और अनुभवी विश्लेषक शामिल होते हैं।
कमेंट्री पैनल की भूमिका क्यों अहम है?
कमेंट्री पैनल सिर्फ आंखों देखा हाल नहीं सुनाता, बल्कि उनके पास मैच एनालिसिस की एक पूरी टीम होती है जो हर पल की स्थिति को आंकड़ों के आधार पर समझने में मदद करती है।
कौन सा खिलाड़ी किस वक्त आया?
किसने दबाव में बेहतर प्रदर्शन किया?
कौन सा मोमेंट गेम चेंजर बना?
ये सब बारीकियां वह जानते हैं। इसलिए मैदान पर भले ही कई खिलाड़ी चमकते हैं पर पैनल उन्हें परखता है जिनका असर मैच के नतीजे पर सबसे ज्यादा पड़ा हो।
क्या हर बार सही होता है ये चयन?
हालांकि ये सिस्टम बहुत हद तक प्रोफेशनल और अनुभव पर आधारित होता है, फिर भी कभी-कभी विवाद या असहमति सामने आ ही जाती है। कई बार फैंस को लगता है कि किसी और खिलाड़ी को अवॉर्ड मिलना चाहिए था। यही तो खेल की खूबसूरती है – बहस, भावना और रोमांच।
कुछ तकनीकी मामलों में अंपायर्स की भी सलाह ली जाती है…या उनको ऑब्जर्ब भी किया जा सकता है। हालांकि अंपायर्स सिर्फ अपने ओपिनियन रख सकते हैं पूरा निर्णय ब्रॉडकास्टर का ही होता है।