Anon Hockey Coach Dominic Toppo: डोमिनिक टोप्पो 71 साल की उम्र में रोजाना पांच घंटे तक हॉकी खेलते हैं। डोमिनिक टोप्पो सूरज उगने से पहले उठते हैं। सुबह 6:30 बजे हॉकी के मैदान पहुंच जाते हैं और शाम को 5:30 बजे वहां से निकलते हैं। ओडिशा के रहने वाले डोमिनिक टोप्पो पिछले 22 साल से सुबह से शाम तक इस दिनचर्या का पालन कर रहे हैं।

हालांकि, डोमिनिक टोप्पो (Dominic Toppo) की इससे बड़ी खासियत यह है कि वह अब तक 130 से ज्यादा हॉकी के खिलाड़ी तैयार कर चुके हैं। इसमें से 13 ने भारतीय टीम का प्रतिनिधित्व किया है। खिलाड़ियों को तैयार करने के लिए उन्होंने अपनी राशन की दुकान बेच दी। खिलाडियों की खोज के लिए टोप्पो ने कभी-कभी 40 से 50 किमी साइकिल भी चलाई। 15 में से 14 एकड़ जमीन गिरवी रख दी, ताकि बच्चों के लिए हॉकी का सामान जुटा पाएं।

अपने गांव से बाहर कभी नहीं खेले डोमिनिक टोप्पो (Dominic Toppo)

खास यह है कि डोमिनिक टोप्पो (Dominic Toppo) खुद कभी अपने गांव के बाहर जाकर नहीं खेले, लेकिन पिछले दो दशकों में हॉकी का यह गुमनाम कोच राज्य स्तर के करीब 100 खिलाड़ी तैयार कर चुका है। डोमिनिक टोप्पो के तैयार किए 13 अंतरराष्ट्रीय स्तर के हॉकी खिलाड़ियों में सेवानिवृत्त मिडफील्डर लिलिमा मिंज और जीवन किशोरी टोप्पो भी शामिल हैं। जीवन किशोरी टोप्पो पिछले साल के जूनियर विश्व कप में भारतीय टीम का हिस्सा थीं।

डोमिनिक टोप्पो (Dominic Toppo) जैसे कोच हॉकी (Hockey Coach) के लिए जरूरी: दिलीप टिर्की (Dilip Tirkey)

डोमिनिक टोप्पो उन जमीनी प्रशिक्षकों में से हैं जो अपना पूरा जीवन गुमनामी में बिता देते हैं। युवा प्रतिभाओं की पहचान करते हैं और उनका पोषण करते हैं और उन्हें संभावित भारतीय खिलाड़ियों में बदलते हैं। हॉकी इंडिया के अध्यक्ष और भारत के पूर्व कप्तान दिलीप टिर्की कहते हैं, डोमिनिक जैसे कोच खेल के पारिस्थितिकी तंत्र के लिए बहुत जरूरी हैं।

दिलीप टिर्की कहते हैं, जब एक छोटा बच्चा पहली बार हॉकी स्टिक उठाता है तो यह जमीनी स्तर के कोचों की जिम्मेदारी बन जाती है कि वे उनमें रुचि पैदा करें और उन्हें मजबूत खिलाड़ी बनाएं। अपने स्तर पर डोमिनिक टोप्पो ने हॉकी की अविश्वसनीय सेवा की है। यह मैं सिर्फ इसलिए नहीं कह रहा क्योंकि उन्होंने 13 भारतीय अंतरराष्ट्रीय खिलाड़ियों को तैयार किया है, बल्कि हॉकी के प्रति उनका जुनून अद्वितीय है।

आधुनिक अकादमियों से अलग है डोमिनिक टोप्पो (Dominic Toppo) की हॉकी फैक्ट्री

डोमिनिक टोप्पो की हॉकी फैक्ट्री आधुनिक समय की अकादमियों से अलग ही एक दुनिया है। डोमिनिक टोप्पो कहते हैं, मेरे पिता हॉकी खेलते थे, इसलिए मैंने बचपन में उनके साथ मैदान में जाना शुरू किया। जल्द ही उन्होंने बाँस से उकेरी गई लकड़ियों का इस्तेमाल करना शुरू कर दिया। टोप्पो कहते हैं, मैं इतना अच्छा था कि सभी डिफेंडर्स को छकाते हुए गेंद के साथ अकेले ही एक पोस्ट से दूसरे पोस्ट तक दौड़ता था। लेकिन मेरा मार्गदर्शन करने वाला कोई नहीं था। शायद यही वजह रही कि डोमिनिक टोप्पो का भारतीय हॉकी टीम के लिए खेलने का सपना सिर्फ एक सपना बनकर रह गया।

खुद का सपना नहीं पूरा हुआ तो डोमिनिक टोप्पो (Dominic Toppo) ने हॉकी चैंपियंस बनाने की ठानी

डोमिनिक टोप्पो बताते हैं, …और इसलिए मैंने सोचा कि क्या हुआ अगर मैं नहीं खेल सकता हूं। मैं यह सुनिश्चित करूंगा कि अन्य बच्चों को मेरे जैसा न भुगतना पड़े। उस समय, मैंने अंतरराष्ट्रीय खिलाड़ियों को आजमाने और तैयार करने के लिए कोचिंग शुरू करने का फैसला किया। वह प्रयास आज भी जारी है।

जब तक सांस तब तक हॉकी खेलते रहेंगे डोमिनिक टोप्पो

डोमिनिक टोप्पो कहते हैं कि हॉकी के चलते ही पत्नी इसाबेला को उनसे प्यार हुआ था। शादी से पहले इसाबेला हॉकी से जुड़े सामान खरीदने के लिए मुझे अपनी बुआ से लाकर पैसे देती थी। शादी के बाद बीमारी के कारण इसाबेला का देहांत हो गया। इसाबेला को मेरा खेलना उसे पसंद था, इसलिए जब तक सांस है तब तक खेलता रहूंगा।