हरियाणा में 5 अक्टूबर 2024 को विधानसभा चुनाव होने हैं। पांच सितंबर से नामांकन प्रक्रिया शुरू हो जाएगी जो 12 सितंबर तक चलेगी। इस बीच 4 सितंबर को खबर आई कि तीन बार की ओलंपियन पहलवान विनेश फोगाट ने टोक्यो ओलंपिक के कांस्य पदक विजेता पहलवान बजरंग पूनिया के साथ कांग्रेस के वरिष्ठ नेता राहुल गांधी से मुलाकात की। इस मुलाकात के बाद इन कयासों को हवा मिली कि दोनों दिग्गज पहलवान कांग्रेस के टिकट पर विधानसभा चुनाव लड़ सकते हैं।

राहुल और केसी वेणुगोपाल से की मुलाकात

राहुल गांधी से मुलाकात के बाद विनेश फोगाट और बजरंग पूनिया ने कांग्रेस महासचिव केसी वेणुगोपाल से भी मुलाकात की। माना जा रहा है कि हरियाणा विधानसभा चुनाव के लिए कांग्रेस जल्द ही उम्मीदवारों की सूची जारी कर सकती है। कांग्रेस के उम्मीदवारों की सूची में विनेश फोगाट और बजरंग पूनिया के भी नाम हो सकते हैं।

दादरी विधानसभा से चुनाव लड़ सकती हैं विनेश

सूत्रों की मानें तो विनेश फोगाट चरखी-दादरी विधानसभा से चुनाव लड़ सकती हैं। खास यह है कि इसी विधानसभा भाजपा के टिकट पर विनेश फोगाट की चचेरी बहन बबीता फोगाट चुनाव लड़ सकती हैं। साल 2019 के विधानसभा चुनाव में बबीता ने भाजपा के टिकट पर इसी विधानसभा सीट से चुनाव लड़ा था और तीसरे नंबर पर रहीं थीं।

क्या गोहाना में ‘गुरु योगेश्वर’ के खिलाफ लड़ेंगे बजरंग पूनिया?

वहीं, बजरंग पूनिया के गोहाना विधानसभा सीट से चुनाव लड़ने की चर्चाएं हैं। बजरंग के ‘गुरु’ योगेश्वर दत्त के भी इसी विधानसभा सीट से भाजपा के टिकट पर चुनाव लड़ने की चर्चाएं हैं। विनेश फोगाट अगर राजनीति में उतरती हैं और कांग्रेस के टिकट पर चुनाव लड़ने का फैसला करती हैं तो वह गेम चेंजर साबित हो सकती हैं। विनेश एक राजनीतिक पृष्ठभूमि वाले परिवार से आती हैं। माना जाता है कि विनेश फोगाट का झुकाव कांग्रेस की ओर है। विनेश की चचेरी बहन बबीता दादरी से चुनाव लड़ ही चुकी हैं।

चचेरी बहनों के बीच दरार?

सोशल मीडिया यूजर्स ने चचेरी बहनों के बीच दरार को तब देखा जब पिछले साल पहलवानों के विरोध प्रदर्शन के दौरान बबीता और उनके पति ने परोक्ष रूप से विनेश को निशाना बनाया था। यौन उत्पीड़न के आरोपों को लेकर बृजभूषण सिंह के खिलाफ विरोध प्रदर्शन में विनेश फोगाट ने सक्रिय रूप से हिस्सा लिया था। इसके विपरीत, बबीता ने आरोप लगाया था कि यह विरोध प्रदर्शन कांग्रेस नेताओं के इशारे पर किया गया।

दिलचस्प यह भी है कि पेरिस ओलंपिक के दौरान जहां सूबे के कई पहलवानों ने विनेश फोगाट का समर्थन किया था, वहीं चचेरे भाई-बहनों में इस बात को लेकर कोई सहमति नहीं थी। विनेश फोगाट के चुनाव लड़ने से अदालत में विचाराधीन रेसलिंग फेडरेशन ऑफ इंडिया (डब्ल्यूएफआई) के पूर्व अध्यक्ष बृजभूषण शरण सिंह पर महिला पहलवानों के यौन उत्पीड़न का मामला भी गर्मा सकता है।

गर्मा सकता है बृजभूषण के खिलाफ मामला

पिछले साल विनेश फोगाट, बजरंग पूनिया और साक्षी मलिक समेत अधिकांश पहलवान बृजभूषण सिंह के खिलाफ विरोध प्रदर्शन में शामिल हुए थे। बजरंग पूनिया विरोध के तौर पर अपना पद्मश्री पुरस्कार भी लौटा दिया था। यह मुद्दा लोकसभा चुनाव के दौरान गूंजा था। अब हरियाणा विधानसभा चुनाव में प्रमुख मुद्दा बन रहा है। लोकसभा चुनाव में जाट समुदाय और किसानों ने अपना असंतोष जाहिर किया, जिसका फायदा कांग्रेस को मिला था।

पहलवान और सरपंच भी BJP से नाराज

सूबे में भाजपा के खिलाफ सत्ता विरोधी लहर सिर्फ जाट समुदाय और किसानों तक ही सीमित नहीं है, बल्कि पहलवानों और गांव के सरपंचों में भी है। ये सभी डिजिटलीकरण के प्रयासों, खासतौर पर परिवार पहचान पत्र योजना से नाखुश हैं। साल 2020 में भाजपा सरकार की ओर से शुरू की गई इस योजना का उद्देश्य लाभार्थियों का डेटाबेस बनाकर सेवा वितरण को सुव्यवस्थित करना था। साल 2019 में सभी 10 लोकसभा सीटें जीतने के बावजूद भाजपा ने केंद्रीय मंत्रिमंडल में एक भी जाट नेता को शामिल नहीं किया था। ऐसे में विनेश फोगाट कांग्रेस के लिए ट्रंप कार्ड साबित हो सकती हैं।