टीम इंडिया के पूर्व कप्तान और भारतीय क्रिकेट कंट्रोल बोर्ड (BCCI)के पूर्व अध्यक्ष सौरव गांगुली के क्रिकेट करियर का सबसे मुश्किल क्षण ग्रेग चैपल के साथ विवाद के समय था। दादा ने यह बात अपनी ऑटोबायोग्राफी ‘अ सेंचुरी इज नॉट इनफ’ (A Century Is Not Enough) में कही है। दादा ने बताया है कि चैपल टीम में उनकी वापसी नहीं होना देना चाहते थे।
गांगुली और चैपल के बीच जब विवाद हुआ तब शरद पवार बीसीसीआई अध्यक्ष थे। उन्होंने गांगुली के साथ वन टू वन मीटिंग की थी। पवार ने कहा कि कोच ने गांगुली पर टीम का माहौल खराब करने आरोप लगाया है। दादा इससे काफी आहत हुए और कहा कि उन्होंने इस टीम को बनाया है, बैटिंग ऑर्डर की कुर्बानी दी है और कई बार भारत के लिए लड़े हैं। वह अचानक टीम का माहौल खराब करने वाले कैसे बन गए।
शरद पवार ने मुझे जो बताया वह पचाना मुश्किल था
सौरव गांगुली ने शरद पवार से मुलाकात को लेकर बताया है, ” मेरी तत्कालीन बोर्ड सुप्रीमो शरद पवार से आमने-सामने मुलाकात हुई थी। पवार मेरे से काफी अच्छे से मिले और मैं उनकी बातें नहीं भूला हूं, लेकिन उन्होंने मुझे जो बताया वह पचाना मुश्किल था। उन्होंने कहा निजी तौर पर मेरे मन में आपके बारे में अच्छी धारणा है, लेकिन कोच ऐसा नहीं सोचते हैं। उनका कहना है कि आप टीम का माहौल खराब क रहे हैं।”
मैंने इस टीम को ईंट-ईंट से जोड़कर खड़ा किया है
सौरव गांगुली ने आगे कहा, “मैं आरोप से आहत हुआ और थोड़ा भावुक हो गया। मैंने कहा सर आप मेरे साथियों से यह क्यों नहीं पता करते कि मेरी वजह से कोई परेशानी खड़ी हुई है या नहीं? मैं पांच साल तक इस टीम का कप्तान रहा हूं और अब अचानक मैं टीम का माहौल खराब कर रहा हूं? मैंने इस टीम को ईंट-ईंट से जोड़कर खड़ा किया है। मैंने अपने बैटिंग ऑर्डर की कुर्बानी दे द। अक्सर विपक्षी कप्तानों से लड़ाई की है ताकि वे भारतीयों को गंभीरता से लें। लगभग 200 मैचों में भारत का नेतृत्व किया है। अब अचानक मुझे टीम का माहौल खराब करने वाला बताया जा रहा है?”
पवार एक समय उम्मीद की किरण थे
गांगुली आगे बातते हैं, ” शरद पवार ने कहा कि उन्हें मुझ आप पर विश्वास है, लेकिन पूरी तरह आश्वस्त होने के लिए उन्हें टीम के सदस्यों से बात करनी होगी। बाद में मैं सोच रहा था कि क्या सचिन के साथ उनकी बातचीत के कारण मुझे पाकिस्तान दौरे के लिए टीम में शामिल किया गया था। मुझे कभी पता नहीं चला। हालांकि, पवार एक समय उम्मीद की किरण थे। वह चले गए हैं। मैंने उन्हें फिर परेशान नहीं किया। यह ठीक नहीं था, लेकिन जिस निष्पक्षता से उन्होंने स्थिति को संभाला, उसके मैं हमेशा शुक्रगुजार रहूंगा।”