दक्षिण अफ्रीका के खिलाफ 2 अक्टूबर से टेस्ट सीरीज शुरू होनी है। इस सीरीज में कई खिलाड़ियों पर नजरें हैं। फिर चाहे वे रोहित शर्मा हों या हनुमा विहारी। हनुमा विहारी वेस्टइंडीज दौरे पर भारत की ओर से हाइएस्ट टेस्ट स्कोरर रहे थे। उस दौरे में ही उन्होंने अपना पहला टेस्ट शतक बनाया था। बाद में हनुमा ने वह शतक अपने स्वर्गीय पिता को समर्पित किया था। हनुमा ने बताया था कि जब वे महज 12 साल के थे, तभी उनके सिर से पिता का साया उठ गया था। अब हनुमा ने एक न्यूजवेबसाइट से बातचीत के दौरान अपने सरनेम और टैटू का राज उजागर किया है।
12 साल की उम्र में उठ गया था पिता का साया, शतक जड़कर बोले हनुमा विहारी- उन्हें मुझपर गर्व होगा
तेलंगाना के सिकंदराबाद में रहने वाले हनुमा ने बताया, ‘मेरा टैटू एक ग्लोब और ओरिगेमी बर्ड है। यह यात्रा करने की स्वतंत्रता का प्रतीक है। और मुझे यात्रा करना बहुत पसंद है। उन्होंने कहा, मैंने क्रिकेट खेलने वाले लगभग सभी देशों की यात्रा की है। भारत में भी अधिकांश शहरों में घूम चुका हूं। मैं जापान जाना चाहता हूं। मैं उनकी संस्कृति के बारे में जानना चाहता हूं।’
यहां तक कि विहारी शब्द का अर्थ भी यात्रा करने वाला है। यद्यपि यह मेरा सरनेम (कुलनाम) नहीं है। यह मेरा फर्स्ट नेम है। हनुमा ने बताया, ‘हर कोई सोचता है कि विहारी मेरा सरनेम है, लेकिन ऐसा नहीं है। हनुमा विहारी मेरा नाम है, जबकि गाडे मेरा सरनेम है। हालांकि, मैं अपने नाम के आगे सरनेम का इस्तेमाल नहीं करता हूं। जाहिर है मेरा नाम हनुमान जी लिया गया है। विहारी भी एक नाम है, जिसका मतलब मुसाफिर होता है। इसका अर्थ हर्षित, खुश या उमंग भी होता है।’
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हनुमा पहले भी वेस्टइंडीज का दौरा कर चुके थे, लेकिन इस बार यह उनके लिए खास इसलिए रहा, क्योंकि उन्होंने अपना पहला टेस्ट शतक लगाया। वह भी अपने मेंटोर आर श्रीधर की मौजूदगी में। श्रीधर टीम इंडिया के फील्डिंग कोच हैं। यही वजह है कि वे इस बार के वेस्टइंडीज दौरे का ज्यादा खास मानते हैं। हनुमा विहारी ने श्रीधर के बारे में बताया, ‘टीम में हर कोई मिलनसार है, लेकिन जब आप किसी व्यक्ति को पहले से जानते हैं, तो आपके लिए यह ज्यादा आसान हो जाता है। भारतीय टीम में आने के पहले से हमारे बीच अच्छी समझ है। मैं बहुत खुश हूं कि जब मैंने शतक लगाया वे वहां मौजूद थे।’