चरनपाल सिंह सोबती
सवाल जो इन दिनों आइपीएल में सबसे ज्यादा चर्चा में है- मुंबई इंडियंस टीम को क्या हो गया है? आखिरकार ऐसा क्या गलत हुआ कि वह इस सत्र में, एक मैच में जीत के लिए तरस रहे हैं। सत्र के पहले आठ मैच में हार-कम से कम मुंबई इंडियंस टीम इस तरह के रिकार्ड के लिए नहीं पहचानी जाती।
अपना इस सत्र का आठवां मैच लखनऊ की टीम से हारे 24 अप्रैल को और अगला मैच 30 अप्रैल को राजस्थान रायल्स के विरुद्ध खेलना है। बीच के ये दिन उनके लिए जरूर राहत वाले हैं और टीम के थिंकटैंक को यह सोचने का मौका देंगे कि इस सत्र में क्या गलत हुआ? खिलाड़ियों को लगातार हार की निराशा भूलकर अपनी ह्यबैटरीह्ण रिचार्ज करने का मौका देंगे।
अन्य दूसरी टीम बेहतर क्रिकेट खेल रही हैं- यह वजह बताकर दिल को तसल्ली दी जा सकती है पर इस बड़ी नीलामी वाले सत्र में, जबकि पूरी टीम नए सिरे से और अपनी पसंद से बनाने का मौका था तो मुंबई इंडियंस ने ऐसी टीम क्यों नहीं जुटाई कि वे भी बेहतर खेलकर मैच जीतते। चैंपियन टीम का किसी सीजन में प्लेआफ राउंड के लिए क्वालीफाई न करना, किसी भी खेल में कोई अनोखी घटना नहीं पर यहां तो सवाल एक जीत का बन गया है।
आइपीएल के इतिहास में सबसे कामयाब कप्तान रोहित शर्मा ने मुंबई इंडियंस की पांचवीं खिताबी जीत के बाद कहा था- यह कोई राकेट साइंस नहीं। हमने इन खिलाड़ियों के साथ सही टीम संतुलन के लिए बड़ी कड़ी मेहनत की है। ये सभी खिलाड़ी सभी टीमों के लिए उपलब्ध थे लेकिन लेकिन हमने शुरुआत से ही उनमें निवेश किया और हमें भरोसा था उन पर। रोहित शर्मा के ये स्वर्णिम शब्द इस सीजन की टीम पर क्यों लागू नहीं हो पा रहे? चलिए उन कुछ तथ्य देखते हैं जो टीम की इस हालत के लिए जिम्मेदार कहे जा सकते हैं :
अब कमियां सामने आ गई हैं और ऐसा लग रहा है 10 टीमों के आइपीएल में सबसे असंतुलित टीम मुंबई ने बनाई। इसके लिए वह खुद दोषी है। ईशान किशन के लिए 15.25 करोड़ रुपए खर्च करना सुर्खियों के लिए अच्छा है, लेकिन किशन और चोटिल जोफ्रा आर्चर पर एक साथ 23 करोड़ रुपए से ज्यादा खर्च कर, टीम एकदम ह्यगरीबह्ण हो गई और उनके पर्स में इतना पैसा बचा ही नहीं कि एक संतुलित टीम बनाते।
ईशान किशन एक बेहतरीन खिलाड़ी हैं पर 15.25 करोड़ रुपए खर्च किए जाने वाले खिलाड़ी नहीं। यदि आइपीएल 2020 फाइनल में उनकी इलेवन पर एक निगाह डालें तो फर्क सामने आ जाता है : क्विंटन डी काक (500 रन/कामयाब ओपनर), पांड्या बंधु- बैट और गेंद दोनों से माहिर और पावरप्ले के सही गेंदबाज ट्रेंट बाउल्ट- इन जैसा कोई इस टीम में नहीं है।
तिलक वर्मा को छोड़कर, कोई ऐसा खिलाड़ी उनके पास नहीं जिसे देखकर ये कह दें कि मुंबई इंडियंस ने सही प्रतिभा को पहचाना। इस सीजन में हालत यह है कि अपने 15 साल के आइपीएल इतिहास में पहली बार सिर्फ दो विदेशी खिलाड़ियों के साथ मैच खेले। इस असंतुलन ने टीम को खराब कर दिया।
रोहित शर्मा की निगाह में वजह : टीम की खराब बल्लेबाजी ने सबसे ज्यादा नुकसान पहुंचाया। लखनऊ सुपर जायंट्स के विरुद्ध मैच- मुंबई की 36 रन से हार में उनके कप्तान केएल राहुल का शतक जबकि रोहित शर्मा के 39 रन मुंबई टीम के लिए टाप स्कोर थे। ओपनिंग से मिडिल ओवर और उसके बाद पिंच हिटिंग- कुछ भी तो नहीं चल रहा। किसी को लंबी पारी खेलने की जरूरत है। रोहित को लगता है कि जिस तरह से वे मैच हार रहे हैं- कोर टीम न बन पाना सबसे ज्यादा जिम्मेदार है और एकदम सभी अपनी सबसे बेहतर फार्म गंवा बैठे।
कोच महेला जयवर्धने क्या कहते हैं : लखनऊ सुपर जायंट्स से मिली आखिरी मैच की हार ने कोच महेला जयवर्धने को ये मानने पर मजबूर कर दिया कि कुछ बदलाव की जरूरत है। वे स्टार सलामी बल्लेबाज ईशान किशन की फार्म में भारी गिरावट पर भी चिंतित हैं। किशन ने पहले दो मैचों में पचास के साथ शुरुआत की पर उसके बाद 14, 26, 3,13, 0 और 8 के ही स्कोर बनाए। मुंबई ने आइपीएल नीलामी में किशन को 15.25 करोड़ रुपए में वापस खरीदा था।
कप्तान रोहित शर्मा भी फार्म में नहीं- पहले 8 मैच में 153 रन, औसत 20 और स्ट्राइक रेट 130 भी नहीं। क्या टीम इंडिया की कप्तानी के दबाव ने बल्लेबाज रोहित शर्मा को छीन लिया है? इसी तरह कीरोन पोलार्ड का क्रिकेट एकदम खराब हुआ- 8 पारी में सिर्फ 115 रन और 3 विकेट। वे टीम की हार्दिक और क्रुणाल की जगह लेने वाले क्रिकेटर की उम्मीद थे पर यह सोच किसी काम नहीं आई। एक फिनिशर के रोल में वे फिट नहीं बैठे इस सीजन में। फील्डर कैच छोड़ रहे हैं, गेंदबाज सही समय पर विकेट नहीं निकाल रहे और यहां तक कि टीम के सर्वश्रेष्ठ गेंदबाजी दांव जसप्रीत बुमराह भी बेरंग हैं- 8 मैच में 5 विकेट7.54 के इकॉनमी रेट से।
तो कुल मिलाकर कहें तो मुंबई इंडियंस अभी तक इस सत्र में आइपीएल पार्टी में शामिल टीम नजर नहीं आई है। आखिरी चार में जगह की उम्मीद तो खत्म ही है- अब तो चर्चा यह है कि पहली जीत कब मिलेगी? रोहित शर्मा ने माना कि उनकी टीम के लिए सीजन खत्म और सीजन वैसा नहीं रहा जैसा वे चाहते थे। टीम लौटेगी बशर्ते कोई एक खिलाड़ी मिसाल बने- जैसे लखनऊ के लिए लोकेश राहुल और गुजरात के लिए हार्दिक मिसाल बन रहे हैं। इसी से टीम की वापसी होगी। अभी तो अच्छा है कि टीम मालिकों ने अभी तक टीम में विश्वास नहीं खोया है- अन्यथा हालात और खराब होते। संयोग से, लगभग इन्हीं खिलाड़ियों के साथ अगले दो सीजन में भी चलना है और इसकी कीमत अगर टीम का कोचिंग स्टाफ चुकाता नजर आए तो कोई हैरानी नहीं होगी।