इंडियन प्रीमियर लीग (आईपीएल) के पूर्व प्रमुख ललित मोदी ने दुनिया की सबसे महंगी घरेलू क्रिकेट टी20 लीग में निजी इक्विटी फर्म सीवीसी कैपिटल पार्टनर्स को टीम खरीदने की मंजूरी देने के लिए एक बार फिर सवाल उठाया। इसके पीछे उनकी दलील है कि सीवीसी कैपिटल का सट्टेबाजी गतिविधियों से जुड़ी कंपनियों में निवेश है।

ललित मोदी ने कड़े शब्दों वाले ट्वीट में भारतीय क्रिकेट कंट्रोल बोर्ड (बीसीसीआई) पर ‘खेल को बड़े मजाक’ में तब्दील करने का आरोप लगाया। उन्होंने अप्रत्यक्ष रूप से बीसीसीआई को ‘गंवार’ और ‘जोकर’ भी बताया। दरअसल, उन्होंने अपने ट्वीट को #clowns और #jokers पर टैग किया था।

ललित मोदी ने बुधवार यानी 4 नवंबर 2021 को साझा किए एक ट्वीट में लिखा, ‘यह बीसीसीआई निश्चित रूप से एक सट्टेबाजी कंपनी को आईपीएल की टीम खरीदने का फैसला लेने में समय ले रहा है। मुझे लगता है कि बीसीसीआई में लालच घुस गया है। हर चीज को तर्कसंगत बना दिया गया है। यह सिर्फ खेल को बड़े मजाक में बदलने का काम कर रहा है। #clowns. मैंने इसे बनाया। वे नष्ट कर रहे हैं।’ #jokers.

सीवीसी ने इंडियन प्रीमियर लीग (आईपीएल) की अहमदाबाद फ्रैंचाइजी को खरीदने के लिए 5625 करोड़ रुपये की बोली लगाई थी। सीवीसी खुद को निजी इक्विटी के क्षेत्र में दुनिया की शीर्ष कंपनी बताती है, जो 125 अरब डॉलर की संपत्तियों का प्रबंधन करती है।

कंपनी की वेबसाइट के अनुसार, उसने टिपिको और सिसल जैसी कंपनियों में निवेश किया है, जो स्पोर्ट्स बेटिंग में शामिल हैं। भारत में सट्टेबाजी कानूनन नहीं है। CVC ने पहले फॉर्मूला 1 में भी निवेश किया था। अब प्रीमियरशिप रग्बी में उसकी हिस्सेदारी है।

सीवीसी कैपिटलस पार्टनर्स की ओर से जारी बयानों की मानें तो उसका टिपिको नामक कंपनी में बड़ा हिस्सा है। इस कंपनी का बेस जर्मनी में काफी मजबूत है। साल 2016 में यूके की स्काई बेटिंग और 2014 में गेमिंग में भी इस कंपनी ने कदम रखा था। इन जगहों पर सट्टेबाजी को सरकारी मान्यता मिली है। इनमें से किसी का भी काम भारत में नहीं है।

ललित मोदी ने इससे पहले 26 अक्टूबर 2021 को ट्वीट कर कहा था, ‘मुझे लगता है कि सट्टेबाजी कंपनियां आईपीएल टीम खरीद सकती हैं। शायद कोई नया नियम आ गया है। बोली जीतने वाला एक बोलीदाता एक बड़ी सट्टेबाजी कंपनी का मालिक भी है। आगे क्या होगा। क्या बीसीसीआई ने अपना काम नहीं किया। भ्रष्टाचार रोधी इकाइयां ऐसे मामले में क्या करेंगी।’

हालांकि, जैसाकि पहले खबरों में कहा गया था कि बीसीसीआई को सीवीसी कैपिटल के बोली जीतने में कोई समस्या नहीं दिख रही है। ‘आउटलुक’ ने बीसीसीआई के वरिष्ठ पदाधिकारी के हवाले से लिखा था, ‘सीवीसी कैपिटल एक बड़ी निजी इक्विटी कंपनी है। वे सट्टेबाजी कंपनी में हिस्सेदारी लेने के लिए स्वतंत्र हैं, क्योंकि सट्टेबाजी विदेश में कानूनी है।’

पदाधिकारी ने कहा था, ‘इरेलिया कंपनी पीटीई लिमिटेड (जिसके माध्यम से सीवीसी कैपिटल ने बोली लगाई) कई फंडों का प्रबंधन कर सकती है। प्राइवेट कंपनियां हमेशा से अलग-अलग कंपनियों में निवेश करती हैं, इसलिए जब तक वह उस कंपनी में निवेश नहीं करती है, जो भारतीय नियमानुसार प्रतिबंधित हो तब तक कोई समस्या नहीं है। सट्टेबाजी एक संवेदनशील विषय है। इसे मैच फिक्सिंग के साथ उलझाना नहीं चाहिए।’