पूर्व क्रिकेटर और टीम इंडिया के मौजूदा हेड कोच गौतम गंभीर को सोमवार यानी 18 नवंबर 2024 को दिल्ली हाई कोर्ट से बड़ी राहत मिली। दिल्ली उच्च न्यायालय ने उस आदेश पर रोक लगा दी, जिसमें गौतम गंभीर तथा अन्य लोगों को फ्लैट खरीदारों के साथ कथित धोखाधड़ी के मामले में आरोप मुक्त (बरी) करने के आदेश को रद्द कर दिया गया था।
दिल्ली उच्च न्यायालय के जज जस्टिस मनोज कुमार ओहरी ने गौतम गंभीर की याचिका पर अंतरिम आदेश पारित करते हुए दिल्ली सरकार से जवाब मांगा। गौतम गंभीर की ओर से दायर याचिका में सत्र अदालत (सेशन कोर्ट) के फैसले को चुनौती दी गई है। सत्र न्यायालय ने गौतम गंभीर को मामले में बरी करने वाले मजिस्ट्रेट कोर्ट के आदेश को खारिज कर दिया था।
barandbench की खबर के मुताबिक, दिल्ली उच्च न्यायालय के जस्टिस मनोज कुमार ओहरी ने कहा कि मामले में विस्तृत आदेश बाद में पारित किया जाएगा। जस्टिस ओहरी ने कहा, ‘मैं आदेश पारित करूंगा। इस बीच, याचिकाकर्ता के खिलाफ जो फैसला बहस के लिए लाया गया है उस पर रोक रहेगी। मैं विस्तृत आदेश पारित करूंगा।’
livelaw की खबर के मुताबिक, शिकायतों में आरोप लगाया गया है कि तीन कंपनियों- मेसर्स रुद्रा बिल्डवेल रियल्टी प्राइवेट लिमिटेड, मेसर्स एच आर इंफ्रासिटी प्राइवेट लिमिटेड और मेसर्स यू एम आर्किटेक्चर एंड कॉन्ट्रैक्टर्स लिमिटेड ने जुलाई-अगस्त 2011 में संयुक्त रूप से ‘Serra Bella’ नाम से एक आवासीय परियोजना का प्रचार और विज्ञापन किया। गौतम गंभीर ने इस आवासीय परियोजना के लिए खरीदारों को आमंत्रित किया।
फ्लैट खरीदारों ने आरोप लगाया कि उन्हें विज्ञापनों और प्रोजेक्ट ब्रोशर के जरिये परियोजना में निवेश करने का लालच दिया गया। उनकी ओर से भुगतान के रूप में प्रारंभिक दायित्वों को पूरा करने के बाद भी, संबंधित प्लॉट पर कोई बुनियादी ढांचा या अन्य महत्वपूर्ण डेवलपमेंट नहीं किया गया।
आवासीय परियोजना के ब्रांड एम्बेसडर थे गौतम गंभीर
गौतम गंभीर रुद्रा के अतिरिक्त निदेशक होने के अलावा इस परियोजना के ब्रांड एंबेसडर भी थे। जब घर खरीदने वालों ने परियोजना में कोई प्रगति नहीं देखी और बाद में उन्हें पता चला कि इसके लिए जमीन मुकदमेबाजी में उलझी हुई है, तो उन्होंने धोखाधड़ी का मामला दर्ज कराया। हालांकि, 2020 में ट्रायल कोर्ट ने केवल तीन व्यक्तियों और दो कंपनियों के खिलाफ ही प्रथमदृष्टया मामला पाया। ट्रायल कोर्ट ने गौतम गंभीर समेत बाकी आरोपियों को बरी कर दिया। ट्रायल कोर्ट के आदेश को तीन पुनरीक्षण याचिकाओं द्वारा सत्र न्यायालय में चुनौती दी गई।
सत्र न्यायालय ने ईडी को दिया था जांच का आदेश
सत्र न्यायालय ने 29 अक्टूबर 2024 को पाया कि गौतम गंभीर को इस मामले से बरी करने के ट्रायल कोर्ट के आदेश में कमी है। इसके बाद सेशन कोर्ट ने ट्रायल कोर्ट के आदेश को रद्द करते हुए गौतम गंभीर पर आरोप लगाते हुए फैसला सुनाया। सत्र न्यायालय ने यह भी कहा कि चूंकि धोखाधड़ी मनी लांड्रिंग अधिनियम (पीएमएलए) के तहत अपराध है, इसलिए प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) मामले की जांच करेगा। इसलिए, उसने प्रवर्तन निदेशालय को मनी लांड्रिंग के दृष्टिकोण से आरोपों की जांच करने और स्थिति रिपोर्ट दाखिल करने का आदेश दिया था।
गंभीर ने सेशन कोर्ट के फैसले को चुनौती दी
गौतम गंभीर ने सत्र न्यायालय के इस आदेश को उच्च न्यायालय में चुनौती दी। वरिष्ठ अधिवक्ता मुकुल रोहतगी गौतम गंभीर की ओर से पेश हुए। उन्होंने दलील दी कि रुद्रा के अतिरिक्त निदेशक के रूप में उन्होंने किसी से कोई लेन-देन नहीं किया है। मामले में आगे की जांच से गंभीर को परेशान किया जाएगा। अपने मुवक्किल की ओर से मुकुल रोहतगी ने कहा, मेरा रिकॉर्ड बेदाग रहा है। ब्रांड एम्बेसडर होना सामान्य बात है। ईडी को जांच का आदेश करना पूरी तरह से उत्पीड़न है।