ग्रीम स्वान का टी20 अंतरराष्ट्रीय करियर भले ही केवल 39 मैचों का रहा हो लेकिन उनकी गेंदबाजी ने हमेशा सुर्खियां बटोरीं। 6.36 की शानदार इकॉनमी रेट और 51 विकेट (16.84 की औसत से) के साथ स्वान ने साबित किया कि वह टी20 फॉर्मेट में कितने प्रभावी थे। 2010 के टी20 विश्व कप में उन्होंने सात मैचों में 10 विकेट लिए, जिसमें फाइनल में ऑस्ट्रेलिया के कप्तान माइकल क्लार्क का कीमती विकेट भी शामिल था। स्वान ने उस फाइनल में चार ओवर में मात्र 17 रन दिए, जिससे ऑस्ट्रेलिया 148 रनों पर सिमट गया। उनकी इस गेंदबाजी ने इंग्लैंड को पहला टी20 विश्व कप खिताब दिलाने में बड़ी भूमिका निभाई।
लेकिन स्वान सिर्फ गेंदबाज ही नहीं थे। इंग्लैंड की टी20 ब्लास्ट में उन्होंने बल्ले से भी कमाल दिखाया। 36 पारियों में 683 रन, 21.34 की औसत, 139.95 का स्ट्राइक रेट और तीन अर्धशतक, जिसमें नाबाद 90 रन की पारी शामिल है, यह बताता है कि स्वान एक ऑलराउंडर के रूप में कितने काबिल थे।
IPL का अधूरा सपना
46 वर्षीय स्वान ने ESPNCricinfo से बातचीत में अपने दिल की बात साझा की। उन्होंने कहा, “मुझे IPL में खेलना बहुत पसंद होता। मैं इसमें जबरदस्त प्रदर्शन करता… लेकिन मैं मुख्य रूप से टेस्ट क्रिकेटर था, इसलिए उस समय मुझे ज्यादा परवाह नहीं थी। अब पीछे मुड़कर देखता हूं तो लगता है कि यह वाकई शर्मिंदगी की बात है।”
स्वान ने बताया कि इंग्लैंड क्रिकेट बोर्ड (ECB) उस समय अपने खिलाड़ियों को पूरे IPL सीज़न के लिए खेलने की इजाजत नहीं देता था। खिलाड़ी केवल आधे सीजन के लिए जा सकते थे, और उसमें भी उनकी कमाई का 30% काउंटी को, 10% एजेंट को देना पड़ता था। स्वान ने हंसते हुए कहा, “250,000 डॉलर के कॉन्ट्रैक्ट में से आपको घर ले जाने के लिए 400 पाउंड ही मिलते थे। मैंने सोचा, अगर कोई मुझे टॉप ब्रैकेट में खरीदता है, तो वे पागल होंगे, और मैं खुल्लम-खुल्ला पैसों के लिए आऊंगा।”
स्वान ने यह भी बताया कि उस समय बहुत कम इंग्लिश खिलाड़ी IPL में सफल हो पाए थे। केविन पीटरसन जैसे कुछ सितारे इस लीग के लिए बने थे, लेकिन बाकी खिलाड़ी टेस्ट क्रिकेट को प्राथमिकता देते थे। ECB भी टेस्ट क्रिकेट को चुनने वाले खिलाड़ियों को अच्छा केंद्रीय अनुबंध देता था, जिसके चलते IPL में खेलना आर्थिक रूप से ज्यादा आकर्षक नहीं था।
वो दौर और आईपीएल की चमक
स्वान की बातों में एक सादगी और ईमानदारी झलकती है। वह उस दौर के क्रिकेटर थे, जब टेस्ट क्रिकेट को सर्वोच्च माना जाता था, और खिलाड़ी अपने देश के लिए लाल गेंद से खेलने को सबसे बड़ा सम्मान समझते थे। फिर भी IPL की चमक और उसमें खेलने की इच्छा स्वान के मन में कहीं न कहीं बनी रही। उनकी यह स्वीकारोक्ति कि वह IPL में “जबरदस्त” होते, उनके आत्मविश्वास को दर्शाती है, लेकिन साथ ही यह भी बताती है कि वह अपने करियर के फैसलों से संतुष्ट थे।