मध्य प्रदेश (Madhya Pradesh) के छतरपुर जिले के रहने वाले 29 साल के दिव्यांग खिलाड़ी रिजवान ने दुनिया में देश का मान बढ़ाया है। व्हीलचेयर पर क्रिकेट खेलते हुए रिजवान ने कई अंतरराष्ट्रीय मुकाबलों में अपनी प्रतिभा का लोहा मनवा चुके हैं। हालांकि, प्रशासन और क्रिकेट बोर्ड की तरफ से रिजवान और उनके परिवार को कभी कोई मदद नहीं मिली। यही नहीं, उन्हें अब पेट पालने के लिए कंप्यूटर हार्डवेयर की दुकान में काम करना पड़ रहा है। यही नहीं, रिजवान एक स्पोर्ट्स व्हील चेयर के लिए पिछले लंबे समय से संघर्ष करते आ रहे हैं, लेकिन अब तक उन्हें स्पोर्ट्स व्हीलचेयर नहीं मिल पाई है।

रिजवान की रोजाना की कमाई बमुश्किल से 200 से 300 रुपए के बीच होती है। रिजवान का कहना है कि कई बार एक रुपया भी नहीं मिलता है, लेकिन इसी मजदूरी से परिवार का भरण पोषण होता है। 29 साल के रिजवान अब तक 50 से ज्यादा मैच खेल चुके हैं। इसमें 3 अंतरराष्ट्रीय मैच भी शामिल हैं। वह मध्य प्रदेश की व्हीलचेयर क्रिकेट टीम के कप्तान भी रह चुके हैं। रिजवान का कहना है, ‘साल 2017 में कोलकाता में नेपाल और बांग्लादेश के खिलाफ एक त्रिकोणीय शृंखला हुई थी। उस ट्राई सीरीज का मैं भी हिस्सा था।’

रिजवान के मुताबिक, व्हीलचेयर क्रिकेट मैच की प्रैक्टिस करने के लिए स्पोर्ट्स व्हीलचेयर की आवश्यकता होती है। इसके लिए वह अब तक छतरपुर के पांच जिलाधिकारियों को अपनी अर्जी दे चुके हैं। रिजवान ने आखिरी बार दिसंबर 2021 को छतरपुर कलेक्टर संदीप जी आर को अपनी अर्जी दी थी।

छतरपुर कलेक्टर ने क्रिकेटर रिजवान को जल्द से जल्द स्पोर्ट्स व्हीलचेयर देने का भरोसा दिया था, लेकिन उन्हें यह अब तक उपलब्ध नहीं हुई है। अब हालात ऐसे हो गए हैं कि वह प्रैक्टिस तक नहीं कर पा रहे हैं। दिव्यांग खिलाड़ी रिजवान ने मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान से भी मदद की अपील की है।

रिजवान अपने प्रदेश और देश के लिए खेलना चाहते हैं। हालांकि, व्हीलचेयर क्रिकेट का यह बेहतरीन खिलाड़ी अब नाउम्मीद हो चुका है। रिजवान का कहना है, ‘प्रशासन उन्हें अब तक स्पोर्ट्स व्हीलचेयर तक नहीं उपलब्ध करा पाया है। जब मैं देश के लिए खेलता हूं तो बेहद गर्व महसूस करता हूं, लेकिन अब हालात ऐसे हो गए हैं कि हम प्रैक्टिस तक नहीं कर पा रहे हैं।’