मनोज चतुर्वेदी
भारतीय युवा ब्रिगेड एक बार फिर अपना जलवा बिखेरने में सफल हो गई। उन्होंने श्रीलंका को नौ विकेट से हराकर आठवीं बार अंडर-19 एशिया कप पर कब्जा जमा लिया। भारतीय अंडर-19 टीम ने आठवीं बार इस कप पर कब्जा जमाकर यह साबित कर दिया है कि एशिया में उसका कोई सानी नहीं है। भारत की यह जीत इसलिए भी महत्त्वपूर्ण है, क्योंकि कुछ ही दिन बाद यानी 14 जनवरी से हमें वेस्ट इंडीज में होने वाले अंडर-19 विश्व कप में चुनौती पेश करनी है। विश्व कप के लिए यह खिताबी जीत जरूर मनोबल बढ़ाने वाली साबित होगी। भारतीय युवा ब्रिगेड की इस जीत पर बधाई देते हुए एनसीए के नए प्रमुख वीवएस लक्ष्मण ने कहा कि खराब मौसम के कारण टीम की तैयारियां प्रभावित होने पर भी वह हर मैच के साथ बेहतर होती गई। अब यह जीत विश्व कप में मनोबल बढ़ाने का काम करेगी।
भारतीय टीम पिछले अंडर-19 विश्व कप की उपविजेता है। हमें याद है कि फाइनल में भारत के बांग्लादेश से तीन विकेट से हारने की प्रमुख वजह कप्तान यशस्वी जायसवाल (88 रन), तिलक वर्मा (33) और ध्रुव जुरेल (22) के अलावा किसी भारतीय बल्लेबाज का योगदान नहीं कर पाना था। लेकिन भारत ने इस एशिया कप के दौरान बांग्लादेश को सेमीफाइनल में सहज अंदाज में हराकर पिछले विश्व कप की हार का हिसाब तो बराबर कर दिया है। पर भारत को इस खिताबी जीत पाने के दौरान पाकिस्तान से मैच हारने का मलाल जरूर रहेगा। असल में खराब मौसम की वजह से भारतीय टीम अंडर-19 एशिया कप की तैयारी ढंग से नहीं कर सकी थी। पाकिस्तान से पहला ही मैच होने के कारण वह रंगत में नहीं थी और अपना श्रेष्ठ देने में कामयाब नहीं हो पाई। लेकिन इसके बाद भारत ने लगातार शानदार प्रदर्शन करके खिताब पाकर अपनी श्रेष्ठता साबित कर दी।
फाइनल में श्रीलंका के पहले बल्लेबाजी करते समय 57 रन पर सात विकेट निकल जाने पर बारिश आ गई और दो घंटे खेल रुके रहने पर वह भारत के सामने 38 ओवरों में 102 रन का लक्ष्य ही रख सकी। इस लक्ष्य को भारत ने शेख रशीद और अंगक्रिश रघुवंशी ने दूसरे विकेट की 96 रन की अटूट साझेदारी से बिना किसी खास मशक्कत के पा लिया। रघुवंशी ने 56 और रशीद ने 31 रनों का योगदान किया। भारत को खिताब जिताने में बाएं हाथ के स्पिनर विकी ओस्तवाल ने 11 रनों पर तीन विकेट और आफ स्पिनर कौशल सुनील तांबे ने दो विकेट निकालकर अहम भूमिका निभाई। विकी ओस्तवाल को इस प्रदर्शन पर फाइनल का प्लेयर आफ द मैच चुना गया।
भारतीय बल्लेबाजी की रीढ़ माने जाने वाले हरनूर सिंह भले ही फाइनल में अपनी बल्लेबाजी के जौहर नहीं बिखेर सके। लेकिन वे इस चैंपियनशिप में सबसे ज्यादा 251 रन बनाने की वजह से प्लेयर आॅफ द सीरीज चुने गए। हरनूर ने पाकिस्तान के खिलाफ 46 रन की पारी खेलकर अपने अभियान की शुरुआत की। यह मैच हारने पर भी उनकी बल्लेबाजी प्रभावित नहीं हुई और उन्होंने संयुक्त अरब अमीरात के खिलाफ शतकीय प्रहार (120) के अलावा अफगानिस्तान के खिलाफ 65 रन की पारी खेली। हरनूर सेमीफाइनल और फिर फाइनल में अपनी क्षमता के अनुरूप नहीं खेल सके।
उन्हें अपनी इस गलती को विश्व कप के महत्त्वपूर्ण मैचों में अच्छा योगदान करके सुधारना होगा। वे यदि ऐसा कर सके तो वे भी टीम इंडिया की लाइन में लग जाएंगे। हम सभी जानते हैं कि किसी भी खिलाड़ी के सितारा बनने की प्रक्रिया की शुरुआत इसी आयु वर्ग क्रिकेट से होती है। इस प्रक्रिया से निकलकर टीम इंडिया तक पहुंचने वाले खिलाड़ियों में पृथ्वी साव और शुभमन गिल के नाम शामिल हैं। इस विश्व कप के बाद इस शृंखला में अंगक्रिश रघुवंशी, ओस्तवाल और तांबे के नाम जुड़ सकते हैं। पर इसके लिए इन सभी को वेस्ट इंडीज में होने वाले अंडर-19 विश्व कप में अपने प्रदर्शन की छाप छोड़नी पड़ेगी। छाप छोड़ने के बाद लगातार दो-तीन साल घरेलू क्रिकेट में चमक बिखेरने पर ही टीम इंडिया की राह बन पाती है।
भारत को इस विश्व कप में 15 जनवरी को दक्षिण अफ्रीका से खेलकर अपने अभियान की शुरुआत करनी है। भारत के ग्रुप बी की अन्य टीमें आयरलैंड और युगांडा हैं। प्रत्येक ग्रुप से पहली दो टीमों को क्वार्टर फाइनल में स्थान बनाना है, इस लिहाज से देखें तो भारत के क्वार्टर फाइनल में स्थान बनाने में शायद ही कोई दिक्कत हो।
भारत निश्चय ही ग्रुप में पहले स्थान पर रहना चाहेगा। इस स्थिति में ग्रुप ए की दूसरे नंबर की टीम से क्वार्टर फाइनल में मुकाबला होगा। यह टीम इंग्लैंड और बांग्लादेश में से कोई हो सकती है। इस विश्व कप में इस बार न्यूजीलैंड की टीम भाग नहीं ले रही है। इसकी वजह लौटने पर एकांतवास के सख्त नियम होना है और वह युवा खिलाड़ियों को इससे बचाना चाहती है। इसका फायदा स्काटलैंड को मिला है। वह इस बार क्वालिफाई करने से रह गई थी।
