पूर्व क्रिकेटर और BCCI अध्यक्ष सौरव गांगुली मैदान में अपने आक्रामक अंदाज़ के लिए जाने जाते थे। भारत के सबसे सफल कप्तानों में से एक गांगुली को अपने पहले ही विदेशी दौरे में सीनियर्स की बेरुखी का सामना करना पड़ा था। इस दौरे में पूर्व भारतीय बल्लेबाज संजय मांजरेकर उनपर भड़क गए थे और उन्हें सही से रहने की नसीहत भी दे डाली थी।

2018 में आई अपनी बायोग्राफी ‘ए सेंचुरी इज नॉट इनफ’ में सौरव ने सारे किस्सों का जिक्र बड़े ही मजेदार अंदाज में किया है। अपनी किताब में दादा ने बताया कि 1991-92 में हुए ऑस्ट्रेलियाई दौरे पर संजय मांजरेकर ने उन्हें बुरी तरह फटकार लगाई थी। अपने प्रदर्शन से नाखुश मांजरेकर ने पूरा गुस्सा गांगुली पर निकाल दिया। मांजरेकर ने गांगुली को अपने कमरे में बुलाया और कहा, ‘तुम अपना रवैया सुधार लो। सही ढंग से व्यवहार करना शुरू कर दो।’ इसे लेकर गांगुली कई दिन तक परेशान भी थे।

दादा ने बताया कि, ‘मैं सोचता था कि आखिर ऐसा हुआ क्या है जो मांजरेकर मुझ पर इतना भड़क गए।’ यह गांगुली के करियर का शुरुआती दौर था, इसलिए उन्होंने इस बात पर बिना कोई जवाब दिए चुपचाप निकल जाना ही ठीक समझा। हालांकि अब दोनों बेहद अच्छे मित्र हैं।

पूरे दौरे में गांगुली को एक भी मैच खेलने नहीं मिला। इस युवा खिलाड़ी को अपने दौर के धाकड़ बल्लेबाज दिलीप वेंगसरकर का रूममेट बनाया गया। ‘कर्नल’ के रौब के आगे ‘दादा’ के मुंह से शब्द नहीं फूटते थे, इसलिए वह अपने कमरे में कम और हमउम्र सचिन तेंदुलकर के कमरे में ही ज्यादा वक्त गुजारते थे।

सौरव को सचिन तेंदुलकर के रूममेट रहे सुब्रत बनर्जी का साथ मिल जाता था। सूबु ईस्ट जोन से ही आते थे। उस वक्त दिलीप वेंगसरकर ने गांगुली से यहां तक कह दिया कि वो टीम इंडिया में खेलने लायक नहीं हैं और उनकी जगह दिल्ली के एक युवा बल्लेबाज को आना चाहिए था।

गांगुली ने आगे लिखा कि वह निश्चित तौर पर मुझे मानसिक रूप से मजबूत करने की कोशिश कर रहे थे, लेकिन बतौर युवा क्रिकेटर किसी सीनियर से ऐसी बात सुनकर मनोबल टूट जाता है। इस दौरे पर मैच खेलना तो दूर नेट्स में सौरव गांगुली को कोई अभ्यास भी नहीं कराता था, बल्कि उनसे गेंदबाजी कराकर बल्लेबाज प्रैक्टिस करते थे।