झारखंड ने बुधवार यानी 17 मार्च 2022 को रणजी ट्रॉफी में इतिहास रचा। वह फर्स्ट क्लास क्रिकेट में 1000 या उससे ज्यादा रन की लीड लेने वाली पहली टीम बनी। इससे पहले रणजी ट्रॉफी में सबसे ज्यादा रन की लीड लेने का रिकॉर्ड मुंबई के नाम था। मुंबई ने रणजी ट्रॉफी 1948-49 में महाराष्ट्र के खिलाफ दूसरी पारी में 958 रन की लीड ली थी। इस मामले में तमिलनाडु अब तीसरे नंबर पर खिसक गया है। उसने रणजी ट्रॉफी 1987-88 में उत्तर प्रदेश के खिलाफ दूसरी पारी में 881 रन की लीड ली थी।
झारखंड ने रणजी ट्रॉफी 2021-22 प्री क्वार्टर फाइनल में नगालैंड के खिलाफ अपनी कुल बढ़त को 1008 रन तक पहुंचाकर क्वार्टर फाइनल में अपनी जगह सुनिश्चित की। कोलकाता के ईडन गार्डन स्टेडियम में खेले गए इस प्री क्वार्टर फाइनल मैच में झारखंड के बल्लेबाजों ने तीन शतक और एक दोहरा शतक जड़ा।
पहली पारी में दोहरा शतक जड़ने वाले कुमार कुशाग्र के 104 गेंद में नौ चौकों और तीन छक्कों की मदद से 89 रन बनाकर आउट होते ही दोनों टीमों ने मैच ड्रॉ कराने का फैसला किया। यह झारखंड की दूसरी पारी का 91वां ओवर था। टीम ने दूसरी पारी में छह विकेट पर 417 रन बनाकर कुल 1008 रन की बढ़त हासिल की। यह प्रथम श्रेणी क्रिकेट के इतिहास में सर्वश्रेष्ठ है।
कुमार कुशाग्र ने दोनों पारियों में कुल 355 रन बनाए। वह प्लेयर ऑफ द मैच चुने गए। पहली पारी में 59 रन बनाने वाले अनुकूल राय ने 164 गेंद में 17 चौकों और सात छक्कों से 159 रन की पारी खेली। प्लेट ग्रुप में शीर्ष पर रही नगालैंड ने 5 दिन में अधिकांश समय क्षेत्ररक्षण करते हुए बिताया।
नगालैंड ने मैच में 294 से अधिक ओवर गेंदबाजी की। झारखंड से पहले एलीट ग्रुप में शीर्ष पर रहने वाली 7 टीमें बंगाल, मुंबई, कर्नाटक, पंजाब, मध्य प्रदेश, उत्तर प्रदेश और उत्तराखंड पहले ही क्वार्टर फाइनल में जगह बना चुके हैं। रणजी ट्रॉफी के क्वार्टर फाइनल मुकाबले इंडियन प्रीमियर लीग (आईपीएल) 2022 के बाद खेले जाने हैं।
देश को महेंद्र सिंह धोनी जैसा दिग्गज कप्तान देने वाले झारखंड ने क्रिकेट का कोई नियम नहीं तोड़ा, लेकिन नगालैंड की कमजोर टीम के आक्रमण को ‘अपमानित’ करके क्रिकेट भावना को जरूर मजाक बनाया। आखिर में अंपायरों ने मैच ड्रॉ कराने का फैसला किया।
यह मैच इस बात का संकेत भी है कि कैसे उच्चतम न्यायालय से नियुक्त न्यायमूर्ति आरएम लोढ़ा समिति और पूर्व नियंत्रक एवं महालेखा परीक्षक विनोद राय की अगुआई वाली प्रशासकों की समिति एक उचित प्रथम श्रेणी टीम और ऐसे क्षेत्र की टीम के बीच अंतर को नहीं समझ पाए, जहां क्रिकेट प्राथमिक खेल नहीं है।
सौरभ तिवारी की अगुआई वाली झारखंड की टीम ने मैच में कुल 1297 रन बनाए। मैच में पहले बल्लेबाजी करने वाली झारखंड की टीम ने पहली पारी में 591 रन की विशाल बढ़त के आधार पर ही क्वार्टर फाइनल में जगह सुनिश्चित कर ली थी।
झारखंड ने नगालैंड को पहली पारी में 289 रन पर समेटने के बावजूद फॉलोआन नहीं दिया। पांचवें और अंतिम दिन झारखंड की टीम दो विकेट पर 132 रन से आगे खेलने उतरी। हालांकि, अंपायर्स ने दूसरे सत्र के बीच में ही मैच ड्रॉ कराने का फैसला किया।
झारखंड के कोच एसएस राव ने अपनी टीम के निर्णय का बचाव किया। उन्होंने पीटीआई से कहा, ‘रिकॉर्ड बनाना हमारा उद्देश्य नहीं था। ऐसा होता तो विराट सिंह, सौरभ तिवारी बल्लेबाजी करते। क्वार्टर फाइनल में जगह बनाने के लिए तीन अंक पर्याप्त थे। पिच सपाट थी, इसलिए हमने निचले क्रम के बल्लेबाजों को मौका दिया।’