चरनपाल सिंह सोबती

आइपीएल 2024 में 21 अप्रैल तक खेले गए मुकाबलों को देखें तो एक बड़ी अजीब सी बात देखने को मिलती है। एमएस धोनी ने सात मैच की पांच पारी में भले ही 87 रन बनाए पर एक बार भी आउट नहीं हुए, यह एकदम टीम का स्कोर बढ़ाने वाले रन थे और स्ट्राइक रेट 255 से भी ज्यादा का। रोहित शर्मा कहते हैं कि धोनी राजी हो जाएं तो अभी भी टी20 वर्ल्ड कप की टीम में उनके लिए जगह है।

दिनेश कार्तिक का स्ट्राइक रेट 196 से ज्यादा है और यह कोई मजाक नहीं। सत्र में कम से कम 200 रन बनाने वालों में बल्लेबाज-विकेट कीपर दिनेश कार्तिक (आठ मैच की सात पारी में 251 रन- 19 छक्के, 19 चौके) का रिकार्ड अद्भुत हैं- ट्रेविस हैड, क्लासेन और अभिषेक शर्मा के साथ उनका नाम लिया जा रहा है क्योंकि रन बना रहे हैं पर बेहतर स्ट्राइक रेट से। तो ऐसे में इस सोच पर कोई हैरानी नहीं कि उन्हें तो अगले टी20 वर्ल्ड कप 2024 के लिए टीम इंडिया का हिस्सा होना चाहिए।

और देखिए। केकेआर के लिए खेल रहे वेस्ट इंडीज के सुनील नरैन- सात पारी में 286 रन 176 स्ट्राइक रेट से और वे तो एक स्कोर 100 का भी बना चुके हैं। सुनील नरैन आखिरी बार, वेस्टइंडीज के लिए, अगस्त 2019 में टी20 मैच खेले थे (भारत के विरुद्ध) और उसके बाद पिछले नवंबर में दुनिया भर की फ्रेंचाइजी (टी20) लीग पर ध्यान लगाने के लिए इंटरनेशनल क्रिकेट को अलविदा कह दिया।

तब भी ये आफ स्पिनर टी20 वर्ल्ड कप के लिए विंडीज की योजना में है। किसने कहा कि टी20 क्रिकेट सिर्फ युवा खिलाड़ियों के लिए है? इनमें से सबसे मजेदार किस्सा दिनेश कार्तिक का है। उनकी अद्भुत फिनिशिंग वाली पारियां चर्चा में हैं- सनराइजर्स हैदराबाद के विरुद्ध आरसीबी के लिए 35 गेंद में सात छक्कों और पांच चौकों की मदद से 83 रन के बाद तो दिनेश कार्तिक के लिए वोट और बढ़ गए। केकेआर के विरुद्ध भी 18 गेंद में 25 रन के साथ टीम को जीत के कगार पर लाने में अपनी तरफ से कमी नहीं रखी थी। वे जानते हैं कि फिर से उनका नाम टी20 वर्ल्ड कप की योजना में आ रहा है और वे इस बात से खुश भी हैं।

मजे की बात ये कि 38 साल के होने के बावजूद वे फिर से खेलने के लिए तैयार भी हैं- करिअर के इस पड़ाव पर, फिर से भारत के लिए खेलना मेरे लिए बहुत बड़ी बात होगी और मैं इसके लिए तैयार हूं। इस टी20 वर्ल्ड कप में भारत के लिए खेलने से बड़ा मेरे जीवन में और कुछ नहीं होगा। नोट कीजिए- भले ही अभी तक अंतररराष्ट्रीय क्रिकेट से आधिकारिक तौर पर रिटायर नहीं हुए हैं पर यह कह चुके हैं कि आइपीएल में भी यह उनका आखिरी सीजन है।

तो क्या वास्तव में वे विश्क कप टीम में आ जाएंगे? इस सवाल को इस तरह से भी ले सकते हैं कि क्या वास्तव में इस 39 साल की उम्र वाले क्रिकेटर को, चयनकर्ता टीम इंडिया में लेने का मन बना रहे हैं? ये तो आइपीएल 2022 वाला ही किस्सा हो गया- तब भी 16 मैच में 330 रन (22 छक्के) बनाए 183 स्ट्राइक रेट से और सोशल मीडिया पर ऐसा सहयोग बना था कि चयनकर्ता टी20 वर्ल्ड कप की टीम में ले आए थे। वही अब हो रहा है और ये विकेटकीपर-बल्लेबाज के एक स्थान के दावेदार बन गए।

यह सब तो ठीक है पर क्या सिर्फ आइपीएल सीजन के रन देखकर टी20 वर्ल्ड कप जैसे कड़े मुकाबले वाले अंतरराष्ट्रीय टूर्नामेंट में इस समय दिनेश कार्तिक को बुलाना सही रहेगा? क्या सिर्फ उनके रन और स्ट्राइक रेट देखें? आइपीएल के रन और अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट में फर्क है। 2022 वाला आइपीएल सीजन रिकार्ड (183 स्ट्राइक रेट से 330 रन) किसी काम नहीं आया और विश्व कप में चार मैच की तीन पारी में सिर्फ 14 रन बनाए 63 स्ट्राइक रेट से। इनमें से इसमें दक्षिण अफ्रीका के विरुद्ध 15 गेंद में छह रन थे। ये सब ऐसा निराशा वाला प्रदर्शन था कि उसके बाद उन्हें टीम इंडिया में कभी नहीं चुना।

इसलिए ठीक है कि दिनेश कार्तिक का मौजूदा आइपीएल स्ट्राइक रेट और रन रिकार्ड आकर्षक है लेकिन 2 जून को टी20 वर्ल्ड कप शुरू होने पर वे 39 साल के हो जाएंगे। हालांकि फिट हैं और रिटायर नहीं हुए पर आइपीएल में भी 2024 के बाद नहीं खेलेंगे यानी कि खुद मान चुके हैं कि उनका क्रिकेट करिअर किस मुकाम पर है। ये कैसे नजरअंदाज कर दें कि उन्हें चुनने का मतलब है भविष्य को न देखना। उनका समर्थन करने वाले कह रहे हैं कि राहुल, सैमसन और किशन शीर्ष क्रम के बल्लेबाज हैं, पंत पूरी तरह फिट नहीं, जुरेल तो आरआर के भी विकेटकीपर नहीं हैं, जबकि भरत केकेआर के लिए बेंच पर बैठे हैं- इसलिए डीके और जितेश शर्मा बचे और डीके ज्यादा अनुभवी हैं। ये दलील कागज़ पर अच्छी है पर ये भविष्य की तैयारी नहीं। कब अन्य दूसरों को मौका देंगे?

आइपीएल और अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट में बहुत फर्क है- यहां सीमारेखा छोटी, बल्लेबाजी के लिए बनी पिच और ओस। विश्व कप में ऐसा नहीं होगा। सिर्फ आइपीएल रिकार्ड पर खिलाड़ियों को चुनना सही नीति नहीं और इसलिए ही तो टूर्नामेंट नहीं जीत रहे हैं। वैसे भी 2022 वाला प्रयोग नाकाम हो चुका है। सिर्फ दिनेश कार्तिक की बात नहीं- ऐसा प्रयोग जब भी किया जाता है- आम तौर पर नाकाम होता ही है।

जब पिछले टी20 विश्क कप में फेल हुए तो उसके बाद कार्तिक टीम से बाहर और वही अंतरराष्ट्रीय करिअर का अंत था। तब मुख्य चयनकर्ता चेतन शर्मा ने कहा भी था कि अब अगले विश्व कप के लिए नई रणनीति होगी। हां, उनकी लगन और इस उम्र में भी मेहनत की तारीफ़ होनी चाहिए। वे रसेल या पोलार्ड नहीं कि गेंद पर गलत हिट से भी छक्का लगा दें- फिर भी छक्का मार सकते हैं, बाउंड्री लगा सकते हैं और उसके लिए मेहनत करते हैं। वे एक ही देश में 300 टी20 खेलने वाले भारत के पहले खिलाड़ी हैं और करिअर इतना लंबा कि हैरानी होती है। पहला अंतरराष्ट्रीय मैच सितंबर 2004 में खेले (वनडे)- धोनी से भी पहले और अभी भी क्रिकेट खेलने की हसरत बची है जबकि धोनी तो जुलाई 2019 के बाद से अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट नहीं खेले हैं।