कभी फिरकी गेंदबाजों के लिए जाने गए भारत आज तेज गेंदबाजी में डंका बजा रहा है। अंतरराष्ट्रीय स्तर पर मोहम्मद शमी, मोहम्मद सिराज और जसप्रीत बुमराह के रूप में स्थापित तेज गेंदबाज मौजूद हैं तो इनकी जगह लेने के लिए रफ्तार के कई नए सौदागरों ने 2024 की आइपीएल में दस्तक दी है।

इस बार 21 साल के मयंक यादव सबसे ज्यादा चर्चा में हैं। उन्होंने इस आइपीएल की सबसे तेज गेंदबाज 156 किलोमीटर प्रति घंटे की रफ्तार से फेंकी और अपने पदार्पण मैच में तीन विकेट भी झटके। इतना ही नहीं 25 साल के यश दयाल यादव ने भी बला की तेज गेंदों से सुर्खियां बटोरी। और तो और 25 साल के यश ठाकुर भी चर्चा में आ गए। कलकत्ता में जन्मे ठाकुर नागपुर में रहते हैं और उमेश यादव को अपना आदर्श मानते हैं। उन्होंने भी विकटे चटखाए।

आखिर भारत में तेज गेंदबाज लगातार कैसे निकल रहे हैं? इसके लिए भारतीय क्रिकेट बोर्ड ने कई साल पहले प्रयास शुरू कर दिए थे और चेन्नई में एमआरएफ पेस फाउंडेशन की स्थापना को मंजूरी मिली थी। आस्ट्रेलिया के डेनिस लिली तब कई गेंदबाजों को गुर सिखाए जो भारत के लिए खेले।

अभी हाल में बीसीसीआइ ने एक क्रांतिकारी कदम उठाते हुए पांच तेज गेंदबाजों के लिए एक वार्षिक केंद्रीय अनुबंध योजना शुरू की, जिसकी भारतीय और अन्य देशों के क्रिकेटरों ने तारीफ की। बीसीसीआइ ने वार्षिक रिटेनरशिप की घोषणा की, जिसमें सोलह बल्लेबाजों, आठ तेज गेंदबाजों और छह स्पिनरों को केंद्रीय अनुबंध दिया गया।

16 बल्लेबाजों की सूची में हार्दिक पंड्या और शिवम दुबे भी शामिल हैं, जो आलराउंडर बल्लेबाजी कर रहे हैं। इस बीच, चयन समिति ने पांच खिलाड़ियों आकाश दीप, विजयकुमार वैश्यक, उमरान मलिक, यश दयाल और विदवथ कावरप्पा को तेज गेंदबाजी अनुबंध की भी सिफारिश की।

पूर्व क्रिकेटरों ने तेज गेंदबाजों को केंद्रीय अनुबंध देने के बीसीसीआइ के कदम का स्वागत किया है। भारत 2024 के अंत में आस्ट्रेलिया का दौरा करने के लिए तैयार है और इससे इन तेज गेंदबाजों को आगे की चुनौतियों के लिए खुद को तैयार रखने के लिए अच्छी प्रेरणा मिलेगी। भारत ने पिछली दो टैस्ट सीरीज जीती थीं और निश्चित रूप से, भारतीय टीम की निगाह इस बार आस्ट्रेलिया में सीरीज जीत की हैट्रिक पर होगी।

भारत के पूर्व मुख्य कोच रवि शास्त्री, जो पिछले दो आस्ट्रेलिया दौरों के दौरान टीम के साथ थे, ने तेज गेंदबाजी अनुबंध के विचार के साथ आने के लिए चयन समिति की प्रशंसा की। वेस्ट इंडीज के पूर्व तेज गेंदबाज इयान बिशप ने सोशल मीडिया प्लेटफार्म एक्स का सहारा लिया और भारतीय तेज गेंदबाजों को अनुबंध दिए जाने को एक बहुत ही अभिनव कदम बताया। आज भारत के पास तेज गेंदबाजों का एक स्वप्निल संयोजन है।

यह बयान आस्ट्रेलियाई या दक्षिण अफ्Þरीकी कप्तान का नहीं है। यह पूर्व भारतीय कप्तान विराट कोहली का बयान था। कोहली के मुंह से ऐसे शब्द सुनना शायद इतने सालों पहले कई भारतीय प्रशंसकों के लिए एक सपना रहा होगा। लेकिन 4-5 धुरंधर तेज गेंदबाजों की मौजूदगी के कारण यह अब हकीकत में बदल गया है।

एक समय भारत के पास बहुत ही कम खतरनाक तेज गेंदबाज थे। यह सिर्फ पिचों की प्रकृति और बुनियादी ढांचे की कमी के कारण नहीं था, बल्कि आनुवंशिक रूप से भारतीय उतने लंबे और अच्छे शरीर वाले नहीं थे। इससे भारत में वास्तविक तेज गेंदबाजों की कमी रही। इसके कारण भारत को विदेशों में तेज, उछाल भरी पिचों पर हार का सामना करना पड़ा।

जबकि महान कपिल देव के उद्भव ने आशा की एक किरण प्रदान की, लेकिन वास्तव में उनकी पीढ़ी में उनके अलावा कोई और नहीं उभरा। बाद में जवागल श्रीनाथ और जहीर खान जैसे कई अच्छे तेज गेंदबाज सामने आए, लेकिन अकेले खिलाड़ी शायद ही आपको टैस्ट मैच जिता सकें। एक समूह, जो झुंड में शिकार कर सकता था, अभी तक गायब था।

2010 में नए दशक की शुरुआत ने एक नई सुबह को जन्म दिया, जब वास्तव में तेज भारतीय पेसरों का एक समूह जो कि आसानी से 140 किमी/घंटा की गति से गेंद फेंक लेता था, ने जगह बनानी शुरू कर दी। वे अनुभवहीन थे। ऐसे में विराट कोहली के नेतृत्व में उन्हें 2015 में एक आदर्श व्यक्ति मिला, जो आक्रामक तेज गेंदबाज के प्रति उनके जुनून को साझा करता था और ऐसा व्यक्ति था जो तेज गेंदबाजÞों का उपयोग करके भारत की धाक बनाना चाहता था।

विराट कोहली ने भारतीय टीम में एक ऐसी चुस्त संस्कृति पैदा की जो पहले कभी नहीं देखी गई। धोनी ने इसकी शुरुआत की थी, लेकिन कोहली ने उदाहरण पेश करते हुए मानकों को अगले स्तर तक पहुंचाया। यो-यो टेस्ट जैसे कठिन फिटनेस परीक्षण अनिवार्य कर दिए गए जो सीधे चयन को प्रभावित करेंगे। इन नए फिटनेस मानकों से गेंदबाजों को काफी फायदा हुआ, क्योंकि इससे वे मजबूत बने और उनके सहनशक्ति के स्तर में वृद्धि हुई, जिससे उनको विदेशों में लंबे स्पैल फेंकने में मदद मिली।

विराट ने उन गेंदबाजों की पहचान की और उनका समर्थन किया जिन पर उन्हें विश्वास था। उनके तहत, उमेश यादव ने रिवर्स स्विंग के लिए अपनी रुचि का पता लगाया। चोटों और असंगत प्रदर्शन के कारण राह भटक चुके ईशांत शर्मा ने जोरदार वापसी की। उन्होंने जसप्रीत बुमराह को पहचाना और उन्हें लोकप्रिय राय के खिलाफ 2018 में दक्षिण अफ्रीका में विदेशी दौरे के पहले टैस्ट उतारा और यो-यो टेस्ट में विफल होने के बाद भी मोहम्मद शमी का समर्थन किया।

सिराज ने भी कोहली के नेतृत्व में काफी सुधार किया क्योंकि वे आरसीबी के दिनों से ही हमेशा तेज गेंदबाज की क्षमता में विश्वास करते थे। भारतीय क्रिकेट में पिछले 4-5 वर्षों में जबरदस्त वृद्धि देखी गई है – विशेषकर टैस्ट क्रिकेट में – जिसमें विराट कोहली का खास योगदान है।
2010 से 2019 तक, भारतीय तेज गेंदबाजों के औसत और स्ट्राइक-रेट दोनों में भारी बदलाव देखा गया है।

अगर हम दशक की शुरुआत में आंकड़ों पर नजर डालें तो भारतीय तेज गेंदबाजों ने 2010 में हर 57.63 गेंदों पर 35.83 रन प्रति स्टिक की औसत से एक विकेट लिया, जबकि 2019 में उन्होंने हर 30.45 गेंदों पर 14.74 रन प्रति स्टिक की औसत से एक विकेट लिया। 2018 की शुरुआत के बाद से, जसप्रित बुमराह, शमी और ईशांत शर्मा ने प्रत्येक 22 रन देकर एक विकेट लिया है।

हालांकि भारत की तेज गेंदबाजी में गुणवत्ता और गहराई रातोंरात नहीं खोजी गई। प्रबंधन ने एक ऐसी प्रणाली विकसित करने में काफी समय, पैसे का निवेश किया गया, जो न केवल इन गेंदबाजों को तैयार करता है बल्कि यह भी तय करता है कि जब भी अवसर मिले तो वे उच्चतम स्तर पर प्रतिस्पर्धा करने के लिए तैयार हों।