इंडियन प्रीमियर लीग (आईपीएल) की शुरुआत से ही चेन्नई सुपर किंग्स (CSK) ने अपनी निरंतरता और उत्कृष्टता से सभी को प्रभावित किया है। पांच खिताब, कई प्लेऑफ और सबसे आश्चर्यजनक तथ्य यह कि जिन सीजनों में सीएसके ने हिस्सा लिया, उनमें कभी भी लगातार दो साल तक वे फाइनल में पहुंचने से चूके नहीं। हालांकि, 2025 का सीजन इस ने एक अप्रत्याशित मोड़ लेकर आया, जब सीएसके न केवल प्लेऑफ की दौड़ से बाहर हो गई, बल्कि पहली बार पॉइंट्स टेबल में सबसे निचले पायदान पर पहुंचने का खतरा मंडराने लगा।

2024 की निराशा 2025 में भी जारी रही। दिल्ली में राजस्थान रॉयल्स (RR) के खिलाफ छह विकेट की हार के बाद, मुख्य कोच स्टीफन फ्लेमिंग ने अपनी नाराजगी छिपाई नहीं। पोस्ट-मैच प्रेस कॉन्फ्रेंस में उन्होंने कहा, “हमारा इस सीजन का प्रदर्शन ऐसा ही रहा है, जैसा कि तालिका में हमारी स्थिति दर्शाती है। हम इससे बच नहीं सकते। लेकिन हम बेहतर प्रदर्शन करना चाहते हैं, जो हमारी टीम की क्षमता को दर्शाए।”

प्लेऑफ की दौड़ से दो हफ्ते पहले ही बाहर होने के बाद सीएसके के बाकी मैच केवल औपचारिकता बनकर रह गए। इसके बावजूद, फ्रेंचाइजी ने भविष्य को ध्यान में रखते हुए युवा खिलाड़ियों को मौका देना शुरू किया। फ्लेमिंग ने जोर देकर कहा कि भले ही प्लेऑफ की संभावना खत्म हो गई हो, लेकिन टीम का फोकस और मनोबल कम नहीं हुआ है। उन्होंने कहा, “हम निचले स्थान पर रहना पसंद नहीं करते, लेकिन यह हमारी प्रेरणा नहीं है। हम अच्छा प्रदर्शन करना चाहते हैं और सीजन के अंत में कम से कम एक शानदार प्रदर्शन के साथ खत्म करना चाहते हैं।”

बल्लेबाजी में कमजोरियां और रणनीतिक बदलाव

सीएसके की इस सीजन की सबसे बड़ी समस्या उनकी बल्लेबाजी रही है। शुरुआती मैचों में पावरप्ले में रन बनाने में नाकामी और पूरे इनिंग में इरादे की कमी ने टीम को मुश्किल में डाला। हाल के मैचों में युवा खिलाड़ियों के शामिल होने से बल्लेबाजी में कुछ तेजी आई, लेकिन फिर भी बल्लेबाजी क्रम में कई खामियां साफ दिखाई देती हैं। आयुष म्हात्रे और डेवाल्ड ब्रेविस जैसे युवा खिलाड़ियों ने भविष्य के लिए उम्मीद जगाई है, लेकिन उन्हें बाकी बल्लेबाजों से अधिक समर्थन की जरूरत है।

बल्लेबाजी क्रम में अनिश्चितता भी सीएसके की परेशानी का एक बड़ा कारण रही। रविंद्र जडेजा, जो सालों से फिनिशर की भूमिका निभाते रहे, इस सीजन में नंबर 4 पर बल्लेबाजी करते दिखे। दूसरी ओर, राजस्थान के खिलाफ मैच में रविचंद्रन अश्विन को पावरप्ले का फायदा उठाने के लिए नंबर 4 पर भेजा गया। यह फैसला उस स्थिरता के बिल्कुल उलट था, जिसके लिए सीएसके जानी जाती है। फ्लेमिंग ने इस बारे में कहा, “हमारा बल्लेबाजी क्रम इस समय सही नहीं है। हम अगले साल के लिए मजबूत रणनीतियां बना रहे हैं, लेकिन इस साल शुरुआती बल्लेबाजों के रन न बनाने की वजह से हमें इनिंग को जोड़-तोड़कर बनाना पड़ा, न कि ठोस तरीके से।”

गेंदबाजी में भी रही कमियां

बल्लेबाजी के अलावा, सीएसके की गेंदबाजी भी इस सीजन में अपेक्षाओं पर खरी नहीं उतरी। प्रमुख तेज गेंदबाज मथीशा पाथिराना, जो पिछले कुछ सालों में टीम के लिए अहम रहे, इस बार 10 से ज्यादा की इकॉनमी रेट के साथ संघर्ष करते दिखे। उनकी नई गेंदबाजी एक्शन और नियंत्रण में कमी ने उन्हें मुश्किल में डाला। फ्लेमिंग ने हालांकि पाथिराना की आलोचना करने से परहेज किया और कहा, “वह उस स्तर पर नहीं हैं, जहां हम या वह चाहते हैं। लेकिन वह धीरे-धीरे फॉर्म में लौट रहे हैं। बल्लेबाज अब उन्हें बेहतर समझने लगे हैं, इसलिए उन्हें अपनी रणनीति को और मजबूत करना होगा।”

दूसरी ओर, अफगानिस्तान के स्पिनर नूर अहमद, जो पर्पल कैप की दौड़ में दूसरे स्थान पर हैं, उन्होंने भी उम्मीदों के मुताबिक प्रभाव नहीं डाला। विकेट लेने के बावजूद वह रन रोकने में नाकाम रहे। हालांकि, गेंदबाजी में एक सकारात्मक पहलू रहा अंशुल कंबोज का उदय। सीजन की शुरुआत में नजरअंदाज किए गए इस 24 वर्षीय तेज गेंदबाज ने नई गेंद से शानदार प्रदर्शन किया। उनकी गति, नियंत्रण और बल्लेबाजों को परेशान करने की क्षमता ने सभी का ध्यान खींचा। फ्लेमिंग ने उनकी तारीफ करते हुए कहा, “कंबोज की गति 138-139 किमी/घंटा रही है। उनकी गेंदबाजी की लेंथ और हल्का मूवमेंट उन्हें खास बनाता है। वह इंग्लैंड दौरे पर भी शानदार प्रदर्शन कर सकते हैं।”