दिल्ली के अरुण जेटली स्टेडियम (पूर्व में फिरोजशाह कोटला मैदान) पर सोमवार 14 अक्टूबर 2025 को औपचारिकताएं पूरी करने में बस एक घंटे का वक्त लगा और भारत ने वेस्टइंडीज को सात विकेट से हराकर दो टेस्ट की सीरीज 2-0 से अपने नाम की। यह जीत सिर्फ स्कोरलाइन भर नहीं, बल्कि शुभमन गिल की कप्तानी में भारत की पहली टेस्ट सीरीज जीत के तौर पर दर्ज हो गई।
आसान जीत, लेकिन चुनौती कहीं नहीं थी
भारत को जीत के लिए सिर्फ 121 रन चाहिए थे। लक्ष्य तक पहुंचने में केएल राहुल (नाबाद 58) और साई सुदर्शन (39) ने कोई गलती नहीं की। केएल राहुल ने छह चौकों और दो छक्कों के साथ अपना अर्धशतक पूरा किया और मैच को 35 ओवर में खत्म कर दिया।
हालांकि, इस सीरीज में असल सवाल यही है कि क्या भारत को वास्तव में किसी ने चुनौती दी? भारतीय गेंदबाजों ने दो मैच में वेस्टइंडीज के 40 में से 40 विकेट झटके, लेकिन यह भी उतना ही सच है कि सामने वाली टीम की हालत टेस्ट क्रिकेट के लिहाज से बेहद कमजोर थी।
क्या भारत को मिला फायदा?
दिल्ली टेस्ट पांचवें दिन तक खिंचा क्योंकि जॉन कैम्पबेल (115) और शाई होप (103) ने जमकर प्रतिरोध किया। हालांकि, कोटला की पिच बेहद सुस्त और नीची बाऊंस वाली थी, जिससे न तेज गेंदबाजों को मदद मिली और न ही स्पिनर्स को कोई जादू दिखाने का मौका मिला।
सीरीज में भारतीय बल्लेबाजों ने पांच शतक लगाए, लेकिन जब सामने के बल्लेबाजों का टेस्ट औसत 35 तक नहीं पहुंचता तो इस जीत की असली अहमियत सीमित लगती है। साफ है विश्व टेस्ट चैंपियनशिप के पॉइंट्स तो मिल गए, लेकिन असली परीक्षा नहीं हुई। वहीं, जेडन सील्स के अलावा वेस्टइंडीज के अधिकांश गेंदबाजों के पास पर्याप्त प्रथम श्रेणी अनुभव का अभाव था। संयोग से जेडन सील्स इस मैच में एक भी विकेट नहीं ले पाए।
दक्षिण अफ्रीका के खिलाफ टेस्ट सीरीज: असली परख
भारत की असली परीक्षा दक्षिण अफ्रीका के खिलाफ होगी। गौतम गंभीर के लिए अब असली सिरदर्द शुरू होगा। अगले महीने दक्षिण अफ्रीका भारत दौरे पर आ रही है। टेम्बा बावुमा की टीम न वेस्टइंडीज जैसी कमजोर है और न अनुभवहीन। पाकिस्तान में जारी दक्षिण अफ्रीका सीरीज की झलक देखकर अंदाजा लगाया जा सकता है कि लाहौर की पिच पर दो दिन में 15 विकेट स्पिनर्स ने झटके हैं। यानी भारत चाहे तो टर्नर तैयार कर सकता है, लेकिन कहीं उसका यह दांव दोधारी तलवार न साबित हो।
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सवाल यह है कि क्या दक्षिण अफ्रीका के कहीं ज्यादा मजबूत बल्लेबाज़ी क्रम के खिलाफ सपाट बल्लेबाजी वाली पिचों पर खेलना एक समझदारी भरा फैसला होगा। एडेन मार्करम, रेयान रिकेल्टन, वियान मुल्डर, डेवाल्ड ब्रेविस, ट्रिस्टन स्टब्स और टोनी डी जोरजी वाला बल्लेबाजी क्रम इस वेस्टइंडीज टीम से कई पायदान ऊपर है। अगर भारतीय स्पिनरों को शांत पिच पर कैरेबियाई टीम को आउट करने में दिक्कत हुई, तो प्रोटियाज के खिलाफ स्थिति और भी मुश्किल हो सकती है।
क्या ‘रैंक टर्नर’ फिर बनेगा जाल?
पिछले साल न्यूजीलैंड के खिलाफ घरेलू क्लीन स्वीप का दर्द अब भी गंभीर और टीम मैनेजमेंट के मन में ताजा है। रैंक टर्नर पर खेलना भारत की ताकत भी है और खतरा भी। कुलदीप यादव कलाई के स्पिनर हैं, इसलिए ऐसी परिस्थितियों में वह भारत के लिए तुरुप का इक्का साबित हो सकते हैं, लेकिन कम मददगार पिचों पर, न तो जडेजा और न ही वाशिंगटन सुंदर (दोनों ही फिंगर स्पिनर) आधे भी खतरनाक नहीं लगते। युवा बल्लेबाजों यशस्वी जायसवाल और शुभमन गिल को अब यह साबित करना होगा कि वे मुश्किल पिचों पर भी टिक सकते हैं।
गुवाहाटी और कोलकाता: दो अलग तरह की पिचें
साउथ अफ्रीका को भारत में दो टेस्ट मैच की सीरीज खेलनी है। पहला टेस्ट मैच 14 नवंबर से कोलकाता के ईडन गार्डन में खेला जाएगा, जबकि दूसरा टेस्ट गुवाहाटी के बरसापारा स्टेडियम में 22 नवंबर से होगा। ईडन गार्डन की पिच शुरुआत में आमतौर पर तेज गेंदबाजों को मदद करती है, लेकिन बाद में रन बनाना आसान हो जाता है। गुवाहाटी के बरसापारा स्टेडियम में पहली बार टेस्ट मैच होगा। इसका मतलब है यहां सब कुछ ‘अनजान’ है। यहां की पिच के व्यवहार और मैच की गतिशीलता को अनिश्चितता का माहौल बना हुआ है।
नतीजा: जीत तो मिली, लेकिन भरोसा नहीं
भारत ने वेस्टइंडीज जीत तो हासिल कर ली, लेकिन इस जीत से आत्मविश्वास जितना बढ़ा, सवाल उतने ही खड़े हुए हैं। क्या भारत वाकई टेस्ट में अब भी उतना ही खतरनाक है जितना घर में माना जाता है या फिर यह सिर्फ कमजोर विपक्ष पर दबदबे का खेल भर था? इसलिए दक्षिण अफ्रीका के खिलाफ आगामी दो टेस्ट मैच शृंखला के स्थल, घरेलू मैदान पर भारत की टेस्ट टीम के रूप में स्थिति का आकलन करने में महत्वपूर्ण होंगे, खासकर तब जब श्रीलंका के खिलाफ सीरीज से पहले अगले आठ महीनों तक कोई रेड बॉल क्रिकेट मैच नहीं होना है। IND vs AUS: भारत से भिड़ने से पहले ऑस्ट्रेलिया को लगा झटका, पहले वनडे से दो खिलाड़ी बाहर, 4 बाद विकेटकीपर की वापसी