बिहार में क्रिकेट में अपना दबदबा बनाने की लड़ाई तेज होती दिखाई पड़ रही है। क्रिकेट एसोसिएशन फ बिहार ने शनिवार को बिहार क्रिकेट एसोसिएशन के अध्यक्ष से मिलने के बीसीसीआइ के कदम पर सवाल उठाया है और दावा किया है कि यह लोढ़ा समिति की सिफारिशों की अनदेखी है।
लोढ़ा समिति ने पिछले हफ्ते आमूलचूल सुधारवादी कदमों की सिफारिश करते हुए बीसीसीआइ में प्रशासनिक फेरबदल की बात कही थी। समिति ने सुझाव दिया है कि मंत्री कोई पद ग्रहण नहीं करें, पदाधिकारियों पर आयु और कार्यकाल सीमित करने का नियम लागू हो।
क्रिकेट एसोसिएशन आफ बिहार के सचिव आदित्य वर्मा ने एक पत्र में कहा है कि दुर्भाग्य से इस बात पर ध्यान दिए बिना कि लोढ़ा समिति की रिपोर्ट माननीय सुप्रीम कोर्ट के सामने रखी जा चुकी हौ और माननीय सुप्रीम कोर्ट के निर्देशों और आदेशों का इंतजार किए बगैर रत्नाकर शेट्टी और केवीपी राव की बीसीसीआइ की दो सदस्यीय समिति शनिवार को एसोसिएट मैचों के आयोजन के लिए पटना आई और गैर मान्यता प्राप्त बिहार क्रिकेट एसोसिएशन के अध्यक्ष और सदस्यों ने मुलाकात की।
वैसे यह जानना कम दिलचस्प नहीं है कि सुप्रीम कोर्ट ने बिहार क्रिकेट एसोसिएशन को निर्देश दिया था कि वह अपना चुनाव जल्द कराए। हालांकि अदालत की समय सीमा पार कर चुकी है और बिहार क्रिकेट संघ का चुनाव नहीं हुआ है। वर्मा ने कहा कि बिहार क्रिकेट एसोसिएशन के मौजूदा अध्यक्ष अब्दुल बारी सिद्दिकी हैं जो मौजूदा राज्य सरकार में मंत्री भी हैंं।
यह हैरान करने वाला है कि आखिर क्यों बीसीसीआइ मौजूदा अध्यक्ष, दूसरे प्रशासनिक अधिकारियों और बिहार सरकार के खेल मंत्री से क्यों मिल रहा है विशेषकर तब जब लोढ़ा समिति ने पद पर बने अधिकारियों और नेताओं के क्रिकेट संघों का प्रमुख बनने पर रोक लगा दी है।
उन्होंने कहा कि यह मेरे लिए भारी चिंता की बात है। यह लोढ़ा समिति की सिफारिशों की अनदेखी का प्रयास लगता है। हम बीसीसीआइ की इस एकतरफा कार्रवाई की आलोचना करते हैं जिसमें लोढ़ा समिति की सिफारिशें की अनदेखी की गई।