भारतीय क्रिकेट कंट्रोल बोर्ड (बीसीसीआई) की शनिवार को हुई विशेष आम बैठक (एसजीएम) में इंडियन प्रीमियर लीग (आईपीएल) 2021 के बाकी बचे मुकाबलों को लेकर तो फैसला ले लिया गया, लेकिन कोरोनावायरस महामारी के समय में करीब 700 घरेलू क्रिकेटर्स को मुआवजा देने के मुद्दे पर विस्तार से कोई चर्चा नहीं हुई। हालांकि, इस मुद्दे को बोर्ड के एक सदस्य ने ही उठाया था। हालांकि, बीसीसीआई अध्यक्ष सौरव गांगुली और उपाध्यक्ष राजीव शुक्ला ने यह कहते हुए ठुकरा दिया कि यह एजेंडे का हिस्सा नहीं है।
यह तब है जब सौरव गांगुली ने इस महीने की शुरुआत में दोहराया था कि बोर्ड पिछले साल एजीएम में लिए गए फैसले पर कायम रहेगा। सौरव गांगुली ने ‘द इंडियन एक्सप्रेस’ को बताया, ‘उन्हें मुआवजा दिया जाएगा। यह एजीएम में ही तय किया जाता है, इसलिए सीजन के अंत में, जब उनकी सैलरी का भुगतान किया जाता रहा है, तभी उन्हें मुआवजा दिया जाएगा।’ इस मामले से जुड़े लोगों का कहना है कि बीसीसीआई को अपना यह वादा निभाने के लिए करीब 50 से 55 करोड़ रुपए की जरुरत पड़ेगी, जो दुनिया के सबसे अमीर क्रिकेट बोर्ड के लिए बहुत बड़ी रकम नहीं है।
बीसीसीआई के एक सदस्य ने नाम न छापने की शर्त पर कहा, ‘मान लिया जाए कि हर टीम 20 सदस्यीय है और यदि पुरुष टीमों में हर खिलाड़ी को लगभग 4.5 लाख रुपये का मुआवजा दिया जाता है, महिला क्रिकेटर्स को 2.5 लाख रुपये का मुआवजा दिया जाता है, तो बीसीसीआई को करीब 50 करोड़ रुपए की राशि खर्च करने होंगे।’
सिर्फ 73 घरेलू क्रिकेटर्स के पास ही है आईपीएल का कॉन्ट्रैक्ट
बता दें कि कोविड-19 के कारण रद्द हुए रणजी सत्र के कारण 700 क्रिकेटर्स प्रभावित हुए हैं। बीसीसीआई ने पिछले साल जनवरी में खिलाड़ियों को वित्तीय मदद का भरोसा दिया था, लेकिन उसके तरीके के बारे में नहीं बताया था। राज्य इकाई (रणजी टीम) से जुड़े एक पदाधिकारी ने बताया, घरेलू क्रिकेट में खेलने वाले सिर्फ 73 क्रिकेटर्स के पास ही आईपीएल का कॉन्ट्रैक्ट है। विजय हजारे और सैयद मुश्ताक अली ट्रॉफी खेलने से उनकी वित्तीय जरूरतें पूरी नहीं हो पाएंगी। मुझे लगता है कि इसका सबसे बेहतर समाधान राज्य इकाइयों को एकमुश्त मुआवजा पैकेज सौंपना होगा। वे पिछले सीजन की तरह अपने खिलाड़ियों के बीच वितरित कर देंगे।