भारत के महान हॉकी खिलाड़ी बलबीर सिंह सीनियर का सोमवार यानी 25 मई को निधन हो गया। वे तीन बार 1948, 1952 और 1956 में गोल्ड मेडल जीतने वाली भारतीय हॉकी टीम में थे। 1956 में तो वे कप्तान भी थे। आपको यह जानकर आश्चर्य होगा कि इस महान खिलाड़ी को 1948 ओलंपिक के लिए शुरुआती 40 खिलाड़ी में शामिल नहीं किया गया था। बाद में उन्हें 20 खिलाड़ियों की लिस्ट में रखा गया। उन्होंने टीम को निराश नहीं किया और टूर्नामेंट में दो मैच में ही 8 गोल दाग दिए।
भारतीय हॉकी के ‘मॉडर्न ध्यानचंद’ कहे जाने वाले बलबीर सिंह सीनियर 1948 ओलंपिक फाइनल की जीत को अपने करियर का महत्वपूर्ण लम्हा मानते थे। उन्होंने एक इंटरव्यू में कहा था कि वो पहला मौका था जब ओलंपिक में भारत के गोल्ड जीतने पर तिरंगा लहराया गया था। उससे पहले ब्रिटेन के झंडे तले टीम इंडिया खेलती थी। बलबीर सिंह ने खुद ही कहा था, ‘‘मै 1948 ओलंपिक के लिए शुरुआती 40 खिलाड़ियों की लिस्ट में नहीं था। बाद में मुझे 20 खिलाड़ियों की सूची में शामिल किया गया था। अर्जेंटीना के खिलाफ दूसरे मैच में मौका मिला तो डबल हैट्रिक मारी थी। टीम 9-1 से जीती थी और मैंने 6 गोल किए थे।’’
बलबीर सिंह ने आगे कहा, ‘‘इसके बाद पता नहीं क्यों कप्तान ने मुझे अगले मैचों में नहीं खिलाया। फिर सीधे फाइनल में जगह मिली थी। वह मैच मेजबान इंग्लैंड के खिलाफ वेम्बले स्टेडियम में था। हम 4-0 से जीते और मैंने दो गोल दागे थे। पहली बार वहीं पर हमारा तिरंगा लहराया गया था। मैं उस लम्हें को कभी भी नहीं भूल सकता और उसे शब्दों में बयां नहीं कर सकता।’’ इसके बाद 1952 हेलसिंकी ओलंपिक में तो बलबीर सिंह ने इतिहास रच दिया। फाइनल में नीदरलैंड के खिलाफ 5 गोल दाग दिए। भारत 6-1 से जीता। अब तक कोई भी खिलाड़ी ओलंपिक फाइनल में उनके 5 गोल के रिकॉर्ड को नहीं तोड़ पाया। सिंह ने उस ओलंपिक में भारत के 13 में से 9 गोल किए थे।
1956 ओलंपिक में वे टीम के कप्तान थे। टीम इंडिया उस टूर्नामेंट में एक भी मैच नहीं हारी थी। यहां तक कि उसके खिलाफ विपक्षी टीम गोल भी नहीं कर सकी थी। भारत ने टूर्नामेंट 38 गोल किए थे। अफगानिस्तान के खिलाफ उन्होंने पहले ही मैच में 5 गोल दाग दिए थे। दुर्भाग्य से वे आगे के मैचों में चोट के कारण नहीं खेल सके, लेकिन कोच ने इसके बारे में किसी को नहीं बताया। इससे विपक्षी में बलबीर सिंह की दहशत बनी रही थी। फाइनल में भारत और पाकिस्तान की टीम आमने-सामने थी। बलबीर दर्द के बावजूद खेलने उतरे और टीम इंडिया 1-0 से गोल्ड जीत गई।