ऑस्ट्रेलियाई क्रिकेट टीम ने बुधवार से सिडनी क्रिकेट ग्राउंड (SCG) में पाकिस्तान के खिलाफ तीसरे टेस्ट से पहले गुलाबी रंग की टोपी पहनकर फोटो खिंचवाई। पाकिस्तान के खिलाड़ियों ने भी ऐसा किया। इस मैच को पिंक टेस्ट के तौर पर जाना जाएगा। कंगारू खिलाड़ियों का बैगी ग्रीन की बैगी पिंक कैप पहनना पिंक टेस्ट की शुरुआत का प्रतीक है। पिंक टेस्ट का कतई यह मतलब नहीं है की गुलाबी गेंद से मैच होगा। पिंक बॉल टेस्ट और पिंक टेस्ट में काफी अंतर है। इस खबर में पिंक बॉल टेस्ट और पिंक टेस्ट के बारे में जानेंगे।

क्या है पिंक टेस्ट

सिडनी क्रिकेट ग्राउंड में खेला जाने वाला साल का पहला टेस्ट मैच ‘पिंक टेस्ट’ कहा जाता है। मैच के दौरान स्टंप सहित वेन्यू के चारों ओर के स्टैंड और साइन गुलाबी रंग में रंगे होते हैं। पिंक टेस्ट के पीछे का मकसद स्तन कैंसर के बारे में जागरूकता फैलाना है। ऑस्ट्रेलिया के पूर्व खिलाड़ी ग्लेन मैक्ग्रा ने इस बीमारी के कारण अपनी पत्नी जेन को खो दिया।

कब हुआ था पहला पिंक टेस्ट

मैकग्रा ने अपनी पत्नी के स्तन कैंसर का पता चलने के बाद 2005 में मैकग्रा फाउंडेशन की शुरुआत की। फाउंडेशन इस समस्या के बारे में जागरूकता बढ़ाने, मरीजों और इस बीमारी से उबरे लोगों के लिए धन इकट्ठा करने के लिए क्रिकेट ऑस्ट्रेलिया के साथ साझेदारी की है। पहला पिंक टेस्ट जेन के निधन के एक साल बाद 2009 में ऑस्ट्रेलिया और दक्षिण अफ्रीका के बीच हुआ था। ऑस्ट्रेलिया और पाकिस्तान के बीच टेस्ट मैच इसका 16वां संस्करण होगा।

पिंक टेस्ट में ऑस्ट्रेलिया का रिकॉर्ड

ऑस्ट्रेलिया ने अब तक 15 पिंक टेस्ट खेले हैं। इनमें से आठ में उसे जीत मिली है। छह मैच ड्रॉ रहे हैं। टीम सिर्फ एक पिंक टेस्ट हारी है। पिंक टेस्ट में ऑस्ट्रेलिया को हराने वाली एकमात्र टीम इंग्लैंड है। 2011 में उसने एक पारी और 83 रनों से जीत हासिल की थी।

क्या है पिंक बॉल टेस्ट

डे-नाइट टेस्ट को पिंक बॉल टेस्ट भी कहा जाता है। टेस्ट मैच में लाल रंग के लेदर की गेंद का इस्तेमाल होता है। डे-नाइट मैच के दौरान खिलाड़ियों को लाल गेंद को देखने में दिक्कत होती है। इस वजह से गुलाबी रंग की लेद बॉल का इस्तेमाल किया जाता है। पिंक बॉल टेस्ट में भी ऑस्ट्रेलिया का रिकॉर्ड शानदार है। टीम आजतक एक भी मैच नहीं हारी है।