इंग्लैंड के खिलाफ धर्मशाला में 7 मार्च से शुरू होने वाला पांचवां और आखिरी टेस्ट मैच भारतीय स्पिनर रविचंद्रन अश्विन के लिए बहुत खास होगा, क्योंकि वह अश्विन का 100वां टेस्ट मैच है। अश्विन ने मंगलवार को धर्मशाला में प्रेस कॉन्फ्रेंस को ब्रीफ करते हुए अपनी भावनाओं के बारे में बताया। इस दौरान अश्विन ने टेस्ट करियर के मुश्किल दौर को भी याद किया। अश्विन ने अपने टेस्ट करियर के सबसे बड़े टर्निंग पॉइंट का भी जिक्र किया।

2012-13 की हार ने सिखाया सबक- अश्विन

अश्विन ने 2012-13 में इंग्लैंड के हाथों मिली हार को करियर का सबसे बड़ा टर्निंग पॉइंट बताया है। अश्विन ने कहा है कि उस सीरीज ने मुझे सबसे बड़ा सबक सिखाया। मुझे लगा था कि उस सीरीज के बाद मैं टीम से बाहर कर दिया जाऊंगा, क्योंकि मैंने चार टेस्ट मैचों में 52.64 की औसत से 14 विकेट लिए थे। अश्विन ने बताया कि उस सीरीज के बाद उनकी गेंदबाजी पर सवाल उठने लगे थे, लेकिन उस सीरीज ने मुझे और भी बहुत कुछ सीखने के लिए प्रेरित किया।

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ऑस्ट्रेलिया सीरीज से ड्रॉप होने का लगा था डर- अश्विन

अश्विन ने आगे कहा कि इंग्लैंड सीरीज से मेरे जीवन में सबसे बड़ा मोड़ आया। इस सीरीज में एलिस्टर कुक ने और केविन पीटरसन ने मिलकर हमारे खिलाफ रन बनाए थे। पीटरसन ने मुंबई बेहतरीन पारी खेली थी। उसके बाद ऑस्ट्रेलिया के खिलाफ हमें टेस्ट सीरीज खेलनी थी जिसको लेकर मेरे मन में डर था कि वह टीम से ड्रॉप कर दिए जाएंगे। इस दौरान सेलेक्टर्स ने मुझसे बातचीत भी की थी, लेकिन सेलेक्टर्स ने मुझ पर भरोसा जताया और मुझे ऑस्ट्रेलिया में पहली टेस्ट सीरीज खेलने का मौका मिला।

इंग्लैंड से वहीं आखिरी सीरीज हारा था भारत

बता दें कि रविचंद्रन अश्विन ने इंग्लैंड के खिलाफ जिस टेस्ट सीरीज का जिक्र किया है उसमें भारत 4 मैचों की सीरीज में 1-3 से हार गया था। भारत ने उस सीरीज का पहला टेस्ट 9 विकेट से जीता था। उसके बाद के लगातार तीनों मैच इंग्लैंड ने जीते थे। महेंद्र सिंह धोनी की कप्तानी में भारतीय टीम इंग्लैंड के खिलाफ घर में वह आखिरी सीरीज हारी थी। उसके बाद से इंग्लैंड हर बार भारत में मुंह की खाकर जाता है। मौजूदा 5 टेस्ट मैचों की सीरीज भी इंग्लैंड गंवा चुका है।