अब एक और दिग्गज पहलवान ने देश को शर्मसार किया है। टोक्यो ओलंपिक के लिए क्वालिफाई करने वाले भारतीय पहलवान सुमित मलिक डोप टेस्ट में फेल हो गए हैं। उन्हें अस्थायी तौर पर निलंबित कर दिया है। कुछ दिन पहले दो बार के ओलंपिक पदक विजेता पहलवान सुशील कुमार अपने ही शिष्य सागर राणा हत्याकांड में फंसे थे। खास यह है कि सुशील की तरह सुमित मलिक का भी छत्रसाल स्टेडियम से गहरा रिश्ता है।

सुमित ने पिछले महीने ही टोक्यो ओलंपिक के लिए क्वालीफाई किया था। गोल्ड कोस्ट कॉमनेवल्थ गेम्स के गोल्ड मेडलिस्ट 28 साल के सुमित ने पहली बार ओलंपिक का टिकट कटाया था। हालांकि, वह बुल्गारिया में क्वालिफायर के दौरान डोप परीक्षण में विफल रहे। इसके बाद उन्हें अस्थायी रूप से निलंबित कर दिया गया है। टोक्यो खेलों के शुरू होने से कुछ सप्ताह पहले यह देश के लिए एक बड़ी शर्मिंदगी का सबब है। यह लगातार दूसरा ओलंपिक है जब खेलों के शुरू होने से कुछ दिन पहले डोपिंग का मामला मिला है। इससे पहले 2016 रियो ओलंपिक से कुछ सप्ताह पूर्व नरसिंह पंचम यादव भी डोपिंग जांच में फेल हो गए। उन पर चार साल का प्रतिबंध लगा दिया गया था।

राष्ट्रमंडल खेलों (2018) के स्वर्ण पदक विजेता मलिक ने बुल्गारिया स्पर्धा में 125 किग्रा वर्ग में टोक्यो ओलंपिक के लिए क्वालिफाई किया था, जो पहलवानों के लिए कोटा हासिल करने का आखिरी मौका था। इस मामले के बाद 23 जुलाई से शुरू होने वाले ओलंपिक में हिस्सा लेने का सुमित का सपना लगभग खत्म हो गया।

भारतीय कुश्ती संघ (डब्ल्यूएफआई) के सूत्र ने समाचार एजेंसी को बताया, ‘यूडब्ल्यूडब्ल्यू (यूनाइटेड वर्ल्ड रेसलिंग) ने कल भारतीय कुश्ती महासंघ को सूचित किया कि सुमित डोप टेस्ट में विफल हो गया है। अब उन्हें 10 जून को अपना ‘बी’ नमूना देना है। मलिक घुटने की चोट से जूझ रहे हैं। उन्हे ये चोट ओलंपिक क्वालिफायर शुरू होने से पहले राष्ट्रीय शिविर के दौरान लगी थी।

उन्होंने अप्रैल में अल्माटी में एशियाई क्वालिफायर में हिस्सा लिया था, लेकिन कोटा हासिल करने में सफल नहीं हुए थे। मई में सोफिया में आयोजित विश्व ओलंपिक क्वालिफायर में मलिक ने फाइनल में पहुंचकर कोटा हासिल कर लिया था। वह हालांकि चोट के कारण फाइनल मुकाबले के लिए रिंग में नहीं उतरे थे।

ओलंपिक से पहले अपने चोटिल घुटने को पूरी तरह से ठीक करने के लिए मलिक डब्ल्यूएफआई द्वारा टोक्यो कोटाधारी पहलवानो के लिए आयोजित पोलैंड की अभ्यास यात्रा पर नहीं गए थे। सूत्र ने बताया, ‘उन्होंने अनजाने में कुछ लिया होगा। वह अपने चोटिल घुटने के इलाज के लिए कोई आयुर्वेदिक दवा ले रहे थे। उसमें कुछ प्रतिबंधित पदार्थ हो सकते थे।’

उन्होंने कहा, ‘लेकिन इन पहलवानों को सावधान रहना चाहिए था, वे ऐसी दवाओं के लेने से होने वाले जोखिम के बारे में जानते हैं।’ मलिक का बी नमूना भी अगर पॉजिटिव आता है तो उसे खेल से प्रतिबंधित किया जा सकता है। मलिक को निलंबन को चुनौती देने का अधिकार है, लेकिन यह स्पष्ट है कि जब तक सुनवाई होगी और फैसला आएगा तब तक वह ओलंपिक में प्रतिस्पर्धा करने से चूक जाएगा।

भारत ने टोक्यो ओलंपिक में कुश्ती में आठ कोटा हासिल किए हैं। इनमें चार पुरुष और इतनी ही महिला पहलवान शामिल हैं। बजरंग पूनिया (65 किग्रा), दीपक पूनिया (86 किग्रा) और रवि दहिया (57 किग्रा) फ्री स्टाइल में पहले ही ओलंपिक कोटा हासिल कर चुके थे।

सुमित मलिक मूल रूप से हरियाणा के रोहतक जिले के करोड़ गांव के रहने वाले हैं। जब बहुत ही कम उम्र के थे, तभी उनकी मां का देहांत हो गया था। उसके बाद से वह अपने नाना-नानी के पास दिल्ली में रहने लगे। उनके मामा छत्रसाल स्टेडियम में पहलवान थे। मामा को देखकर ही सुमित को भी पहलवान बनने की प्रेरणा मिली। सुमित ने 13 साल की उम्र से ही छत्रसाल स्टेडियम में ट्रेनिंग लेना शुरू कर दी थी।