बिहार के मजदूरों की तम‍िलनाडु में पिटाई का फेक वीडियो शेयर करने के आरोपी, यूट्यूबर मनीष कश्यप (Youtuber Manish Kashyap) को 8 मई को सुप्रीम कोर्ट से राहत नहीं म‍िली। सर्वोच्‍च अदालत ने कश्‍यप को राष्ट्रीय सुरक्षा कानून (NSA) मामले में राहत देने से इनकार कर दिया है। तमिलनाडु पुलिस कश्यप पर NSA लगा चुकी है। उन्होंने 18 मार्च को बेतिया के जगदीशपुर ओपी में सरेंडर किया था।

सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई के दौरान कश्‍यप के वकील ने उनके वीड‍ियो को पत्रकार‍िता से जोड़ते हुए एनएसए हटाए जाने की मांग की। लेक‍िन, तमिलनाडु सरकार की तरफ से पेश सीनियर एडवोकेट कपिल सिब्बल ने कहा, “याचिकाकर्ता पत्रकार नहीं है, एक नेता है जो बिहार में चुनाव लड़ चुका है।” मनीष कश्यप को उनकी मां भी पत्रकार ही मानती हैं। उनका कहना है कि जेल से निकलने के बाद वह अपने बेटे को पत्रकारिता नहीं करने देंगी।

वीड‍ियो बना कर यूट्यूब पर अपलोड कर मशहूर हुए कश्यप साल 2020 में पश्चिमी चंपारण की चनपटिया सीट से विधानसभा चुनाव लड़ चुके है। निर्दलीय उम्मीदवार मनीष कश्यप को 9239 वोट मिले थे। वह चुनाव हार गए थे।

सबूत के नाम पर मांगी जा रही तारीख पर तारीख- मां ने बयां क‍िया दर्द

मनीष कश्यप की मां बेटे की कैद खत्म न होने से निराश हैं। एक इंटरव्‍यू में उन्‍होंने कहा, “सिर्फ तारीख मिल रही है। बिना वजह सबूत जुटाने के नाम पर तारीख ली जा रही है। लेकिन, उसने जब कोई गलती की ही नहीं है तो सबूत कहां से मिलेगा? मनीष कश्यप को गलत तरह से फंसाया गया है।”

जेल जाने से पहले की थी अपील

मनीष कश्यप ने आत्मसमर्पण करने से पहले अपनी मां के साथ एक वीडियो बनाया था। वीडियो में कश्यप ने मां के लिए अपील की थी। उन्होंने कहा था, “मैं जेल जा रहा हूं… मेरी मां की आंखों में आंसू मत आने देना। मैंने कुछ गलत नहीं किया है। उम्मीद है कि आप लोग साथ खड़े रहेंगे। बस कानून अंधा है, आप लोग अंधे नहीं हैं।”

कश्यप के नाम कई और मामले दर्ज

साल 2019 में बिहार पुलिस ने मनीष कश्यप को कश्मीरी दुकानदारों पर लाठी-डंडों से हमला करने के मामले में गिरफ्तार किया था। बाद में वह सीजेएम अदालत से जमानत मिलने पर छूटे थे।

राष्ट्रवाद के नाम पर चंपारण जिले में महारानी जानकी कुंवर अस्पताल परिसर स्थित किंग एडवर्ड-Vll की मूर्ति तोड़ने के मामले में भी मनीष कश्यप के खिलाफ FIR दर्ज हुई थी। उन्हें हिरासत में भी लिया गया था।

साल 2021 में एक बैंक मैनेजर ने मारपीट करने का आरोप लगाते हुए मनीष कश्यप पर केस दर्ज कराया था। (विस्तार से पढ़ने के लिए लिंक पर क्लिक करें।)

कोर्ट में 8 मई को क्या हुआ?

8 मई को सुप्रीम कोर्ट ने मनीष कश्यप को झटका दिया। कश्यप ने एक याचिका दाखिल कर राष्ट्रीय सुरक्षा कानून के तहत जारी उनकी नजरबंदी को खत्म करने की मांग की थी। मुख्य न्यायाधीश डीवाई चंद्रचूड़, जस्टिस पीएस नरसिम्हा और जस्टिस जेबी परदीवाला की बेंच ने याचिका पर विचार करने से इनकार कर दिया। सीजेआई चंद्रचूड़ ने कहा, “तमिलनाडु एक शांत राज्य है। आप अशांति फैलाने के लिए कुछ भी प्रसारित कर रहे हैं…हम इस पर विचार नहीं कर सकते।” हालांकि उच्चतम न्यायालय ने उन्हें राहत के लिए हाईकोर्ट जाने की स्वतंत्रता दी।

कश्यप की तरफ से पेश हुए सीनियर एडवोकेट मनिंदर सिंह ने बेंच को बताया कि उनके मुवक्किल ने देश के प्रमुख अखबारों में छपी खबर के आधार पर वीडियो बनाया था। उन्होंने उस खबर को करने वाले अन्य पत्रकारों को भी जेल भेजने की बात कही।

कश्यप के वकील ने बिहार और तमिलनाडु में दर्ज एफआईआर को एक साथ जोड़ने और उन्हें बिहार स्थानांतरित करने की मांग रखी। इसके खिलाफ बिहार सरकार के वकील ने मनीष कश्यप को आदतन अपराधी बताते हुए कहा कि उनके (मनीष कश्यप) खिलाफ जबरन वसूली और हत्या के प्रयास के मामले दर्ज हैं। (विस्तार से पढ़ने के लिए लिंक पर क्लिक करें।)