Uttar Pradesh Government DGP Selection 2024: उत्तर प्रदेश की राजनीति और पुलिस महकमे में इन दिनों एक बड़ी चर्चा इस बात को लेकर है कि हिंदुस्तान के इस सबसे बड़े सूबे में डीजीपी का चयन राज्य सरकार ही करेगी। राज्य सरकार ने डीजीपी के चयन के लिए हाई कोर्ट के रिटायर्ड जज की अध्यक्षता में छह समिति का गठन करने की बात कही है। इस मामले में राजनीति भी तेज है और पूर्व मुख्यमंत्री और सपा अध्यक्ष अखिलेश यादव ने नए नियमों को लेकर सवाल उठाए हैं।

अखिलेश यादव ने X पर लिखा था कि किसी बड़े अफसर को स्थायी पद देने और उसका कार्यकाल 2 साल बढ़ाने की व्यवस्था बनाई जा रही है…सवाल यह है कि यह व्यवस्था बनाने वाले खुद 2 साल रहेंगे या नहीं? उन्होंने इसे दिल्ली बनाम लखनऊ 2.0 लिखते हुए इशारा किया था कि यह बीजेपी के भीतर चल रही लड़ाई है।

निश्चित रूप से उत्तर प्रदेश सरकार के नए नियम राज्य में डीजीपी की नियुक्ति में केंद्र सरकार की भूमिका को कम या सीमित कर देंगे।

सुप्रीम कोर्ट ने जारी किया था नोटिस

बताना होगा कि हाल ही में सुप्रीम कोर्ट ने अस्थायी डीजीपी नियुक्त करने के लिए उत्तर प्रदेश समेत 8 राज्यों को नोटिस जारी किया था। अस्थायी डीजीपी की नियुक्तियों को लेकर अदालत में कई याचिकाएं दायर की गई थीं। इन याचिकाओं में सबसे प्रमुख तौर पर उत्तर प्रदेश का मसला उठाया गया था।

उत्तर प्रदेश में पिछले 2 साल से ज्यादा वक्त से 4 अस्थायी डीजीपी काम कर रहे हैं। सुप्रीम कोर्ट में दायर याचिकाओं में कहा गया था कि यह 2006 में सुप्रीम कोर्ट के द्वारा ही प्रकाश सिंह मामले में दिए गए फैसले का पूरी तरह उल्लंघन है।

प्रकाश सिंह मामले में सुप्रीम कोर्ट का फैसला

2006 का प्रकाश सिंह वाला फैसला पुलिस महकमे में काफी चर्चित रहा है क्योंकि इसे पुलिस के कामकाज और पुलिस विभाग में बड़े सुधार करने की दिशा में बड़ा फैसला माना जाता है। प्रकाश सिंह कमेटी की रिपोर्ट का मकसद पुलिस को राजनीतिक दलों के दखल से आजाद कराना था। वर्तमान में राज्यों में डीजीपी की नियुक्ति प्रकाश सिंह मामले में सुप्रीम कोर्ट के द्वारा दिए गए निर्देशों के आधार पर की जाती है।

इस साल जनवरी में 1991 बैच के आईपीएस अफसर प्रशांत कुमार को उत्तर प्रदेश सरकार ने कार्यवाहक डीजीपी नियुक्त किया था।

यहां एक अहम सवाल यह उठता है कि आखिर उत्तर प्रदेश को इन नए नियमों को लागू करने की जरूरत क्यों पड़ी? इस मामले को अगर थोड़ा बारीकी से देखें तो समझ आता है कि क्योंकि उत्तर प्रदेश में कार्यवाहक डीजीपी की नियुक्ति अस्थायी पुलिस प्रमुख की नियुक्ति को चुनौती देने वाली कई याचिकाएं सुप्रीम कोर्ट में दायर की जा चुकी थीं और इस संबंध में सुप्रीम कोर्ट के द्वारा भी अवमानना नोटिस जारी किया जा चुका था।

कौन-कौन होगा चयन समिति में?

डीजीपी की नियुक्ति के लिए बनाई जाने वाली चयन समिति में हाई कोर्ट के रिटायर्ड जज के अलावा उत्तर प्रदेश के चीफ सेक्रेटरी, संघ लोक सेवा आयोग (UPSC) का एक सदस्य, उत्तर प्रदेश लोक सेवा आयोग के अध्यक्ष या कोई अन्य नामित व्यक्ति, एडिशनल चीफ सेक्रेटरी या प्रिंसिपल सेक्रेटरी, गृह विभाग का एक प्रतिनिधि और एक रिटायर्ड डीजीपी शामिल होंगे।

अब बात करते हैं कि उत्तर प्रदेश सरकार ने जो नए नियम बनाए हैं उनमें क्या है? इन नए नियमों में खास बात यह है कि यूपी के डीजीपी की नियुक्ति चयन समिति द्वारा उस पुलिस अफसर के बचे हुए कार्यकाल, सर्विस रिकॉर्ड और अनुभव के आधार पर की जाएगी। नए नियमों में यह भी कहा गया है इस पद के लिए सिर्फ वही पुलिस अफसर योग्य होंगे जिनके रिटायर होने से पहले पद खाली होने की तारीख से कम से कम 6 महीने की नौकरी बची हो। नए नियमों में कहा गया है कि डीजीपी का न्यूनतम कार्यकाल दो वर्ष का होगा।

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अब तक क्या होता था?

उत्तर प्रदेश में अब तक मौजूदा व्यवस्था यह है कि राज्य सरकार को मौजूदा डीजीपी के रिटायर होने से 3 महीने पहले राज्य के सबसे सीनियर और योग्य अफसरों की लिस्ट को यूपीएससी को भेजना होता था। यूपीएससी अफसरों की सीनियरिटी, सर्विस रिकॉर्ड, ईमानदारी, फील्ड अनुभव के आधार पर इस लिस्ट में शामिल उम्मीदवारों की जांच करता है और राज्य सरकार को तीन अफसरों के नाम की एक लिस्ट भेजता है। इनमें से ही किसी एक पुलिस अफसर के राज्य का नया डीजीपी बनने की उम्मीद होती है।

सुप्रीम कोर्ट ने प्रकाश सिंह मामले में दिए अपने दिशा-निर्देशों में स्पष्ट रूप से कहा था कि नियुक्त किए जाने वाले डीजीपी का कार्यकाल कम से कम 2 साल का होना चाहिए और जिस वक्त डीजीपी के पद पर उनका चयन किया जाए उस वक्त उनकी कम से कम 6 महीने की नौकरी बची हुई होनी चाहिए।

यूपी के पास नहीं था पुलिस एक्ट

प्रकाश सिंह मामले में कोर्ट के आदेश के बाद से अब तक देश भर के 17 राज्यों ने अपना पुलिस एक्ट लागू कर दिया था लेकिन उत्तर प्रदेश ने अब तक ऐसा नहीं किया था।

जिन राज्यों ने अपने पुलिस एक्ट बनाए हैं उन्होंने या तो यूपीएससी के दिशा निर्देशों के मुताबिक डीजीपी की नियुक्ति का प्रावधान किया है या इसके लिए कमेटियों का गठन किया गया है। इन कमेटियों से इस बात की उम्मीद की जाती है कि वे राज्य के सबसे सीनियर और योग्य अफसरों की सूची में से किसी एक अफसर के नाम का चयन करेंगी।