इलेक्टोरल बॉन्ड के मामले में सोमवार (11 मार्च) को सुप्रीम कोर्ट ने स्टेट बैंक ऑफ इंडिया (SBI) को झटका दिया है। SBI ने इलेक्टोरल बॉन्ड से जुड़ी जानकारी देने के लिए 30 जून तक का समय मांगा था। लेकिन सर्वोच्च न्यायालय ने 12 मार्च को जानकारी देने का आदेश दिया है।
चीफ जस्टिस ऑफ इंडिया डीवाई चंद्रचूड़ की अगुवाई में पांच सदस्यों वाली पीठ के सामने एसबीआई की तरफ से सीनियर एडवोकेट हरीश साल्वे पेश हुए थे।
साल्वे की दलील
वरिष्ठ अधिवक्ता ने कहा कि उच्चतम न्यायालय द्वारा चुनावी बॉन्ड योजना रद्द करने से पहले बैंक को बताया गया था कि यह प्रक्रिया गुप्त रखी जाएगी, इसलिए बैंक को जानकारी देने के लिए कुछ और समय की आवश्यकता होगी। साल्वे ने कहा, “हम जानकारियां जुटा रहे हैं और इसके लिए हमें पूरी प्रक्रिया को उलटना पड़ रहा है।”
हालांकि, कोर्ट ने कहा कि चुनावी बॉन्ड की हर खरीद के लिए Know Your Customer (KYC) प्रक्रिया का अनुपालन करना जरूरी है, ऐसे में बैंक के पास पहले ही चुनावी बॉन्ड खरीदने वालों की जानकारी होगी।
कोर्ट की टिप्पणी
CJI ने कहा, “FAQ बताते हैं कि हर खरीद के लिए एक अलग KYC होनी चाहिए। इसलिए, जानकारी पहले से ही आपके पास है।”
जस्टिस खन्ना ने कहा, “आप बस सीलबंद लिफाफा खोलिए, जानकारियों को एकत्रित कीजिए और सूचना दीजिए। चुनाव आयोग (ECI) से कह दिया गया है कि वह जानकारी सीलबंद लिफाफे में दाखिल करे।”
26 दिन में क्या किया?
यहां से सुनवाई ने एक दिलचस्प मोड़ लिया। साल्वे ने कहा कि “मेरे पास बॉन्ड खरीदने वालों की पूरी जानकारी है। किन स्रोतों से पैसे आए और कौन सी राजनीतिक पार्टी ने कितनी राशि दिखाई, इसकी भी पूरी जानकारी है। अब मुझे खरीदारों के नाम भी देने होंगे। खरीदारों के नाम बॉन्ड नंबरों के साथ मिलान करना होगा। फिर सबको एक साथ पेश करना होगा।”
साल्वे कहना चाहते थे कि इस प्रक्रिया में ज्यादा समय लगेगा। लेकिन अदालत ने यह मानने से इनकार कर दिया। सीजेआई ने पूछा, “कृपया बताएं कि आपने पिछले 26 दिनों में क्या किया है।” सल्वे ने जवाब दिया,”हम एक विस्तृत हलफनामा प्रस्तुत कर सकते हैं।”
साल्वे के जवाब पर अदालत ने कहा, “SBI से एक हद तक सच्चाई की उम्मीद की जाती है। हमें उम्मीद थी कि ये काम किया जा चुका होगा।”
चंदा देने वाले मुकदमा कर सकते हैं- साल्वे
साल्वे ने जोर देते हुए कहा, “काम किया जा रहा है। इसमें अभी तीन महीने और लगेंगे। मैं गलती नहीं कर सकता, नहीं तो मुझ पर दानकर्ताओं द्वारा मुकदमा कर दिया जाएगा।”
न्यायमूर्ति खन्ना ने कहा, “आप स्वीकार करते हैं कि इसमें कोई कठिनाई नहीं है कि बॉन्ड किसने खरीदा और किसके पास गया… तो 26 दिनों में कम से कम 10,000 का मिलना तो किया ही गया होगा।”
कोर्ट ने निकाला रास्ता
एसबीआई का कहना था कि दानकर्ताओं और राजनीतिक दलों से जुड़े डेटा का मिलान करने में बहुत समय लगेगा क्योंकि जानकारी डिजिटल रूप में उपलब्ध नहीं है।
अदालत ने कहा कि चुनाव आयोग पहले ही मुख्य मामले की सुनवाई के दौरान अदालत के समक्ष सीलबंद लिफाफे में बहुत सारे विवरण प्रस्तुत कर चुका है और अदालत अब उसे खोलेगी।
CJI ने कहा, “चुनाव आयोग ने कार्ट के सामने उपलब्ध विवरणों को पेश किया था। उसे हमसे पहले साइलो में रखा गया था। अब हम उसे अपने सामने खोलेंगे। चुनाव आयोग अब उसे यहां पेश कर सकता है और फिर SBI भी अपना डेटा पेश करे। ऐसे हम जान पाएंगे कि किसने क्या दिया। हम अदालत से इसकी डिजिटाइज्ड कॉपी बनाने और इसे सुलभ बनाने को कहेंगे।”
लंदन में रहते हैं हरीश साल्वे
हरीश साल्वे कुछ समय पहले लंदन शिफ्ट हो गए थे। उन्हें देश के सबसे महंगे वकीलों में गिना जाता है। एक इंटरव्यू में उन्होंने बताया था कि वह कितनी फीस लेते हैं। जानने के लिए फोटो पर क्लिक करें:
