मोजाम्बिक चैनल के उत्तरी छोर पर स्थित छोटा सा द्वीपसमूह ‘यूनियन आफ द कोमोरोस’ भारत की हिंद महासागर की रणनीति में एक अप्रत्याशित रणनीतिक खालीपन के रूप में उभरा है। सागर (सिक्योरिटी एंड ग्रोथ फार आल इन द रीजन) और इसके ताजा रूप ‘महासागर’ के तहत भारत की मजबूत भागीदारी के ढांचे के बावजूद कोमोरोस में भारत की कूटनीतिक उपस्थिति मामूली है।

भारत की नहीं है ठोस मौजूदगी

कोमोरोस को संसद की स्थायी समिति ने उन तीन देशों में रखा है, जहां भारत की ठोस कूटनीतिक मौजूदगी नहीं है। विदेश मामलों की स्थायी समिति ने अगस्त 2025 में भारत की हिंद महासागर की रणनीति को लेकर अपनी रपट में स्पष्ट रूप से कोमोरोस को हिंद महासागर के 35 तटीय देशों में से उन तीन देशों में से एक के रूप में माना है जहां भारत का ठोस कूटनीतिक संबंध नहीं है।

कोमोरोस 1,60,000 वर्ग किलोमीटर के अपने विशेष आर्थिक क्षेत्र के माध्यम से महत्त्वपूर्ण समुद्री संसाधनों तक पहुंच प्रदान करता है। कोमोरोस को प्राथमिकता देने का औचित्य दो पारस्परिक मजबूत पहलुओं पर आधारित है : भू-आर्थिक विचार और भू-राजनीतिक आवश्यकताएं।

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चीन के कदमों पर पड़ेगा भारत पर असर

भू-राजनीतिक दृष्टि से चीन ने बुनियादी ढांचे में अपने निवेश के जरिए खुद को दक्षिण-पश्चिम हिंद महासागर में अपने जिबूती माडल को दोहराने की स्थिति में ला दिया है। इस तरह चीन ने ऐसी रणनीतिक स्थिति पैदा की है जिसका सीधा असर मोजाम्बिक चैनल (एक जलमार्ग जहां से दुनिया में टैंकर के ट्रैफिक का लगभग 30 फीसद हिस्सा गुजरता है) में भारतीय हितों पर पड़ता है।
यूनियन आफ कोमोरोस तीन द्वीपों (ग्रैंड कोमोरो, अंजुआन और मोहेली) से बना देश है।

फ्रांस के साथ संप्रभुता से जुड़ा इसका पुराना विवाद मायोटे (माओरे) और ग्लोरियोसो द्वीपों को लेकर है। कोमोरोस के दावों के बावजूद ये दोनों द्वीप फ्रांस के प्रशासन के अधीन बने हुए हैं। आर्थिक रूप से कोमोरोस अफ्रीका के सबसे कम विकसित देशों में से एक है, जहां की अनुमानित प्रति व्यक्ति जीडीपी 700 अमेरिकी डालर है।

कोमोरोस के ईईजेड में दुनिया के कुछ सबसे बेहतरीन टूना मछली पकड़ने वाले क्षेत्र हैं जो मोजाम्बिक चैनल के मुहाने पर हैं। मत्स्य पालन सेक्टर कोमोरोस के कृषि सकल घरेलू उत्पाद में लगभग 24 फीसद और कुल अर्थव्यवस्था में 7.5 फीसद योगदान देता है। कोमोरोस की लगभग 1,40,000 आबादी (जो कुल आबादी का 16 फीसद है) अपनी आजीविका के लिए मछली पकड़ने पर निर्भर है।

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मत्स्य पालन और कृषि में भी अहम

मछली पकड़ने के अलावा कोमोरोस के समुद्री तट से दूर इलाकों में हाइड्रोकार्बन के भंडार की संभावनाएं हैं। कोमोरोस के बेसिन में वही तलछटी विशेषताएं हैं जो मोजाम्बिक के रोवुमा बेसिन में हैं। रोवुमा बेसिन में लगभग 200 ट्रिलियन क्यूबिक फीट प्राकृतिक गैस का पता लगाया गया है।

ये हाल के दशकों में दुनिया में गैस की सबसे बड़ी खोज में से एक है। स्वतंत्र समीक्षा में अनुमान लगाया गया है कि कोमोरोस के तट से दूर इलाकों में लगभग 7.1 अरब बैरल तेल और 49 ट्रिलियन क्यूबिक फीट नान-एसोसिएटेड गैस (जिससे बहुत ज्Þयादा कच्चे तेल का उत्पादन नहीं होता है) मौजूद है। इसलिए भविष्य में संसाधन विकास की संभावनाएं रणनीतिक साझेदारी के अवसर पेश करती हैं जिसे भारत आगे बढ़ाना चाहेगा।

चूंकि महत्त्वपूर्ण खनिजों (विशेष रूप से रेयर अर्थ तत्व, कोबाल्ट, मैंगनीज और निकेल जो कि नवीकरणीय ऊर्जा तकनीकों के लिए आवश्यक हैं) के लिए दुनिया में प्रतिस्पर्धा बढ़ती जा रही है, ऐसे में व्यापक ईईजेड वाले छोटे द्वीपीय देशों का सामरिक महत्त्व बढ़ता जा रहा है। हिंद महासागर के गहरे समुद्र में खनिज भंडारों का पता लगाने में चीन ने पहले ही अपनी पर्याप्त मौजूदगी दर्ज करा दी है। समुद्री संसाधन की व्यवस्था, वैज्ञानिक सर्वे और टिकाऊ नीली अर्थव्यवस्था के विकास को लेकर कोमोरोस के साथ भारत की भागीदारी उसके लिए अनुकूल स्थिति तैयार करेगी। साथ ही इस क्षेत्र में चीन के प्रभाव का जवाब देने में भी भारत को मदद मिलेगी।

धीरे-धीरे विदेशी सैन्य अड्डे बना रहा चीन

कोमोरोस के बुनियादी ढांचे में चीन का निवेश जिबूती में उसके निवेश के पैटर्न की तरह ही है जहां नुकसान न पहुंचाने वाला वाणिज्यिक विकास धीरे-धीरे चीन के पहले विदेशी सैन्य अड्डे के रूप में बदल गया। वर्ष 2015 से चीन की सरकारी कंपनियों ने मोहेली बंदरगाह का निर्माण किया (149 मिलियन अमेरिकी डालर की लागत से जो 2017 में पूरा हुआ), मोरोनी बंदरगाह के पुनर्विकास के लिए समझौते पर हस्ताक्षर किए (165 मिलियन डालर की लागत) और सेरेहेनी में एक नए गहरे पानी के बंदरगाह की योजना बनाई जहां 30,000 टन की क्षमता वाले जहाजों का आवागमन हो सकता है।

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इसके अलावा चीन ने कोमोरोस के तीनों द्वीपों में सड़कों के निर्माण के लिए पैसा दिया है, कोमोरोस को पूर्वी अफ्रीका से जोड़ने के लिए समुद्री फाइबर आप्टिक नेटवर्क स्थापित किया है, मोरोनी अंतरराष्ट्रीय हवाई अड्डे का विस्तार किया है और कई आवासीय परियोजनाएं पूरी की हैं। कोमोरोस के बेसिन में वही तलछटी विशेषताएं हैं जो मोजाम्बिक के रोवुमा बेसिन में हैं। अनुमान है कि 7.1 अरब बैरल तेल और 49 ट्रिलियन क्यूबिक फीट गैस मौजूद है।

कोमोरोस में चीन ने अपना राजदूत तैनात किया है और वहां उसका स्थायी कूटनीतिक मिशन भी है, लेकिन भारत इसकी बराबरी नहीं कर पाया है। भारत मैडागास्कर के एंटानानारिवो में अपने दूतावास के जरिए कोमोरोस में काम चला रहा है। ये कूटनीतिक असमानता चीन को कई स्तरों पर अपने संबंधों को विकसित करने में सक्षम बनाती है जबकि भारत एक दूर का सहयोगी बना हुआ है।

इसके रणनीतिक नतीजे भी महत्त्वपूर्ण हैं। डिएगो गार्सिया (जहां अमेरिका और यूनाइटेड किंगडम का सैन्य अड्डा है और जो हिंद महासागर में पश्चिमी देशों की ताकत के हिसाब से महत्वपूर्ण है) से कोमोरोस की नजदीकी उसके भू-राजनीतिक महत्त्व में एक और आयाम जोड़ती है। इस सवाल का स्पष्ट जवाब नहीं मिल पाया है कि ये नजदीकी कोमोरोस के फायदे को बढ़ाती है या महाशक्तियों के मुकाबले में उसकी कमजोरी बढ़ाती है।

भारत के पास साझेदारी का प्रस्ताव

भारत के पास स्थापित ढांचा और विश्वसनीय साझेदारी का प्रस्ताव है, जिससे कोमोरोस के साथ सार्थक संबंध बन सकते हैं। 2019 में भारत के उपराष्ट्रपति की यात्रा (जो इस द्वीप में भारत की तरफ से सबसे बड़ा दौरा है) का परिणाम छह समझौता ज्ञापन के रूप में निकला जिसमें रक्षा सहयोग, स्वास्थ्य एवं चिकित्सा, टेली-एजुकेशन और टेली-मेडिसिन शामिल हैं। कोमोरोस ने अपने सर्वोच्च नागरिक सम्मान आर्डर आफ द ग्रीन क्रेसेंट से तत्कालीन उपराष्ट्रपति वेंकैया नायडू को सम्मानित किया जो संबंधों को बेहतर बनाने का वास्तविक संकेत देता है। कोमोरोस संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद की स्थायी सदस्यता के लिए भारत की उम्मीदवारी का समर्थन करता है और हिंद महासागर रिम एसोसिएशन एवं इंटरनेशनल सोलर अलायंस- दोनों में शामिल हुआ है।

इन बुनियादों के आधार पर भारत कई ठोस पहल पर विचार कर सकता है। सबसे पहले, भारत मोरोनी में एक कूटनीतिक मिशन की स्थापना कर सकता है जो टिकाऊ प्रतिबद्धता का संकेत होगा और सरकार के अलग-अलग स्तरों पर लगातार भागीदारी को सक्षम बनाएगा। दूसरा, ऐसे मत्स्य पालन समझौतों पर बातचीत कर सकता है जो लाइसेंसिंग फीस को कोमोरोस के मछुआरा समुदायों के लिए क्षमता-निर्माण के साथ जोड़ते हैं। इससे द्विपक्षीय संबंध मजबूत होने के साथ तत्काल आर्थिक लाभ मिलेगा। तीसरा, भारत के समुद्री क्षमता-निर्माण कार्यक्रम का विस्तार करना जिसमें तटीय निगरानी उपकरण, गश्ती जहाज और कोस्ट गार्ड के जवानों के लिए ट्रेनिंग शामिल हों। इससे भारतीय नौसेना के साथ परिचालन का संपर्क स्थापित करते हुए अपने विशाल ईईजेड की निगरानी की कोमोरोस की क्षमता में बढ़ोतरी होगी। चौथा, अफ्रीकन डेवलपमेंट बैंक जैसे संस्थानों के जरिए बहुपक्षीय बंदरगाह विकास के लिए वित्त प्रदान करने में हिस्सा लेना।

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चीन की बराबरी नहीं कर पा रहा भारत

कोमोरोस में चीन ने अपना राजदूत तैनात किया है, लेकिन भारत इसकी बराबरी नहीं कर पाया है। भारत मैडागास्कर के एंटानानारिवो में अपने दूतावास के जरिए कोमोरोस में काम चला रहा है। इसके रणनीतिक नतीजे भी महत्त्वपूर्ण हैं। डिएगो गार्सिया (जहां अमेरिका और यूनाइटेड किंगडम का सैन्य अड्डा है और जो हिंद महासागर में पश्चिमी देशों की ताकत के हिसाब से महत्वपूर्ण है) से कोमोरोस की नजदीकी उसके भू-राजनीतिक महत्त्व में एक और आयाम जोड़ती है। इस सवाल का स्पष्ट जवाब नहीं मिल पाया है कि ये नजदीकी कोमोरोस के फायदे को बढ़ाती है या महाशक्तियों के मुकाबले में उसकी कमजोरी बढ़ाती है।

भारत के पास स्थापित ढांचा और विश्वसनीय साझेदारी का प्रस्ताव है, जिससे कोमोरोस के साथ सार्थक संबंध बन सकते हैं। 2019 में भारत के उपराष्ट्रपति की यात्रा (जो इस द्वीप में भारत की तरफ से सबसे बड़ा दौरा है) का परिणाम छह समझौता ज्ञापन के रूप में निकला जिसमें रक्षा सहयोग, स्वास्थ्य एवं चिकित्सा, टेली-एजुकेशन और टेली-मेडिसिन शामिल हैं। कोमोरोस ने अपने सर्वोच्च नागरिक सम्मान आर्डर आफ द ग्रीन क्रेसेंट से तत्कालीन उपराष्ट्रपति वेंकैया नायडू को सम्मानित किया जो संबंधों को बेहतर बनाने का वास्तविक संकेत देता है। कोमोरोस संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद की स्थायी सदस्यता के लिए भारत की उम्मीदवारी का समर्थन करता है और हिंद महासागर रिम एसोसिएशन एवं इंटरनेशनल सोलर अलायंस- दोनों में शामिल हुआ है।

भारत कर सकता है ठोस पहल

इन बुनियादों के आधार पर भारत कई ठोस पहल पर विचार कर सकता है। सबसे पहले, भारत मोरोनी में एक कूटनीतिक मिशन की स्थापना कर सकता है जो टिकाऊ प्रतिबद्धता का संकेत होगा और सरकार के अलग-अलग स्तरों पर लगातार भागीदारी को सक्षम बनाएगा। दूसरा, ऐसे मत्स्य पालन समझौतों पर बातचीत कर सकता है जो लाइसेंसिंग फीस को कोमोरोस के मछुआरा समुदायों के लिए क्षमता-निर्माण के साथ जोड़ते हैं। इससे द्विपक्षीय संबंध मजबूत होने के साथ तत्काल आर्थिक लाभ मिलेगा। तीसरा, भारत के समुद्री क्षमता-निर्माण कार्यक्रम का विस्तार करना जिसमें तटीय निगरानी उपकरण, गश्ती जहाज और कोस्ट गार्ड के जवानों के लिए ट्रेनिंग शामिल हों। इससे भारतीय नौसेना के साथ परिचालन का संपर्क स्थापित करते हुए अपने विशाल ईईजेड की निगरानी की कोमोरोस की क्षमता में बढ़ोतरी होगी। चौथा, अफ्रीकन डेवलपमेंट बैंक जैसे संस्थानों के जरिए बहुपक्षीय बंदरगाह विकास के लिए वित्त प्रदान करने में हिस्सा लेना।

समुद्री सुरक्षा, ब्लू इकोनामी और क्षेत्रीय स्थिरता के क्षेत्र में भारत के साथ बेहतर ढंग से सहयोग कर सकता है, क्योंकि दोनों देश 2026 में बहुराष्ट्रीय निकायों की अध्यक्षता साझा कर रहे हैं, जो हिंद महासागर क्षेत्र के लिए अहम हैं। इन विषयों पर चर्चा के लिए सबसे बेहतर समय अगले साल होगा। मैंक्रों जनवरी 2026 में भारत आने वाले हैं।तब भारत द्वारा आयोजित एआइ एक्शन समिट में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के साथ सह-अध्यक्ष के रूप में फ्रांस के राष्ट्रपति भाग लेंगे।

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