साल 2008 के मालेगांव ब्लास्ट मामले में मुंबई की NIA कोर्ट ने साध्वी प्रज्ञा ठाकुर सहित सात आरोपियों को बरी कर दिया है। जिन ने लोगों को बरी किया गया है, उनमें भोपाल की पूर्व सांसद प्रज्ञा ठाकुर और लेफ्टिनेंट कर्नल प्रसाद पुरोहित शामिल हैं।

इन आरोपियों को करीब 17 साल पहले हुए बम धमाके के बाद महाराष्ट्र ATS ने गिरफ्तार किया था। इनमें से एक आरोपी को साल 2011 में बेल पर रिलीज किया गया था। अन्य सभी लोग अगले साठ साल तक जेल में रहे और फिर उन्हें साल 2017 में जमानत दी गई।

आइए आपको बताते हैं, कौन हैं प्रज्ञा सिंह ठाकुर?

प्रज्ञा सिंह ठाकुर– इस केस में सबसे ज्यादा नाम प्रज्ञा सिंह ठाकुर उर्फ स्वामी पूर्ण चेतनानंद गिरी का लिया जाता है। मध्य प्रदेश की रहने वाली साध्वी प्रज्ञा सिंह ठाकुर ABVP की कार्यकर्ता रही हैं। इन्हें बम धमाके के मामले में ATS ने सबसे पहले गिरफ्तार किया था। 29 सितम्बर, 2008 को महाराष्ट्र के नासिक जिले के मालेगांव में एक व्यस्त सड़क पर बम विस्फोट होने से छह लोग मारे गए और लगभग 100 अन्य घायल हो गए।

क्या हैं आरोप: एटीएस ने दावा किया कि जिस सुनहरे रंग की LML फ्रीडम मोटरसाइकिल, जिस पर विस्फोटक डिवाइस लगाई गई थी, वह साध्वी प्रज्ञा सिंह ठाकुर की थी। एटीएस ने उन पर षड्यंत्र की बैठकों में भाग लेने का आरोप लगाया, जहां उन्होंने प्लान को अंजाम देने के लिए जरूरी लोगों को उपलब्ध कराने पर सहमति जताई थी।

द इंडियन एक्सप्रेस की रिपोर्ट में बताया गया है कि एटीएस ने दावा किया कि प्रज्ञा सिंह ठाकुर के मध्य प्रदेश के रहने वाले वांछित आरोपी रामचंद्र कलसांगरा उर्फ रामजी से लिंक थे। वह उस समय मोटरसाइकिल इस्तेमाल कर रहा था और उसी ने बम रखा था। ATS ने आरोप लगाया कि प्रज्ञा ठाकुर ने बम विस्फोट से कुछ महीने पहले जुलाई 2008 में कलसांगरा और एक अन्य वांछित आरोपी संदीप डांगे को अन्य सह-आरोपियों से मिलवाया था।

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डिफेंस: प्रज्ञा सिंह ठाकुर ने कहा कि वह इस साजिश में शामिल नहीं थीं और उन्होंने आरोप लगाया कि एटीएस ने उन्हें अवैध रूप से हिरासत में लिया और प्रताड़ित किया। उन्होंने तत्कालीन कांग्रेस सरकार पर उन्हें गलत तरीके से गिरफ्तार करने का आरोप लगाया। भायखला जेल में बंद रहने के दौरान, ठाकुर ने बार-बार अपने स्वास्थ्य की शिकायत की और दावा किया कि वह कैंसर से पीड़ित हैं। स्वास्थ्य के आधार पर उनकी जमानत याचिकाएं विभिन्न अदालतों द्वारा खारिज कर दी गईं।

केस में कैसे आया मोड़?

साल 2016 में NIA ने यह मामला महाराष्ट्र ATS से टेक ओवर किया। NIA ने आरोप पत्र में कहा कि प्रज्ञा सिंह ठाकुर के खिलाफ आगे बढ़ने के लिए पर्याप्त सबूत नहीं हैं। NIA ने दावा किया कि बम विस्फोट में इस्तेमाल की गई मोटरसाइकिल प्रज्ञा ठाकुर के पास नहीं थी और बम धमाके से बहुत पहले से ही वो उसका इस्तेमाल नहीं कर रही थीं। NIA ने कहा कि एक प्रमुख गवाह, जिसने एटीएस को बताया था कि वह साजिश की बैठकों में शामिल था, ने एनआईए के सामने अपना बयान दोबारा दर्ज कराया है और ऐसी किसी भी जानकारी से इनकार किया है।

हालांकि स्पेशल कोर्ट ने एनआईए की दलील को मानने से इनकार कर दिया। इसमें कहा गया कि प्रज्ञा सिंह ठाकुर पर मुकदमा चलाने के लिए प्रथम दृष्टया साक्ष्य मौजूद हैं क्योंकि मोटरसाइकिल की “मालिक” वह ही थीं।

कैसे हुई राजनीति में एंंट्री?

साल 2019 मेें प्रज्ञा सिंह ठाकुर को बीजेपी ने लोकसभा चुनाव में भोपाल से अपना प्रत्याशी बनाया। जिस समय उन्हें चुनाव लड़ाया गया, तब उन पर आरोप थे। वह भोपाल से कांग्रेस के दिग्विजय सिंह के खिलाफ चुनाव जीतीं। अपने संसदीय कार्यकाल के दौरान महात्मा गांधी के हत्यारे नाथूराम गोडसे को ‘देशभक्त’ कहकर विवादों में आईं। हालांकि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा कि वो कभी उन्हें दिल से माफ नहीं कर पाएंगे।

प्रज्ञा ठाकुर ने यह भी कहा कि जब उनकी गिरफ्तारी हुई थी, स्वर्गीय ATS चीफ हेमंत करकरे मामले की जांच कर रहे थे। उन्होंने कहा कि हेमंत करकरे की मृत्यु उनके श्राप की वजह से हुई। हेमंत करकरे का मर्डर साल 2011 में मुंबई में पाकिस्तानी हमलों के दौरान हुआ। साध्वी प्रज्ञा ठाकुर को साल 2024 में बीजेपी ने टिकट नहीं दिया लेकिन वह आज भी बीजेपी की सदस्य हैं।

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