पूर्व आईएएस अफसर अरुण गोयल (Former IAS Arun Goel) की बतौर इलेक्शन कमिश्नर (EC) नियुक्ति पर विवाद थमता नजर नहीं आ रहा है। अब गैर सरकारी संस्था एसोसिएशन फॉर डेमोक्रेटिक रिफॉर्म्स (ADR) गोयल की नियुक्ति को असंवैधानिक बताते हुए सुप्रीम कोर्ट पहुंच गई है। ADR ने अपनी याचिका में दावा किया है कि गोयल की नियुक्ति कानूनन सही नहीं है और कई योग्य अफसरों को नजरअंदाज कर हुई।
अरुण गोयल की बतौर EC नियुक्ति नवंबर 2022 में हुई हुई थी। यह पद 6 महीने से खाली पड़ा था। चुनाव आयोग में एक चीफ इलेक्शन कमिश्नर (CEC) और दो इलेक्शन कमिश्नर (EC) के पद हैं। अब राजीव कुमार चीफ इलेक्शन कमिश्नर हैं, तो अनूप चंद्र पांडे और अरुण गोयल EC हैं।
कौन हैं पूर्व IAS अरुण गोयल?
साल 1962 में पंजाब में जन्में अरुण गोयल ने पंजाबी यूनिवर्सिटी से मैथमेटिक्स में ग्रेजुएशन किया है। ग्रेजुएशन के बाद वे कैंब्रिज यूनिवर्सिटी चले गए और चर्चिल कॉलेज से डेवलपमेंट इकोनॉमिक्स (Development Economics) में पोस्ट ग्रेजुएशन की डिग्री हासिल की। 1985 बैच के पंजाब कैडर के आईएएस अफसर अरुण गोयल ने साल 1989 में बतौर एसडीओ अपना करियर शुरू किया था। इसके बाद लगातार तरक्की की सीढ़ियां चढ़ते गए।
रिटायरमेंट से ठीक पहले लिया था VRS
अरुण गोयल 31 दिसंबर 2022 को 60 साल की उम्र में रिटायर होने वाले थे। लेकिन रिटायरमेंट से ठीक पहले स्वैच्छिक सेवानिवृत्ति (VRS) ले ली थी। Indian Express की एक रिपोर्ट के मुताबिक वीआरएस लेने के ठीक अगले दिन गोयल को चुनाव आयुक्त बनाया गया। अरुण गोयल ने जिस वक्त वीआरएस लिया उस समय भारी उद्योग मंत्रालय (Ministry of Heavy Industries) के सचिव थे।
केंद्र में अहम पदों पर रहे हैं गोयल
अरुण गोयल केंद्र के कई महत्वपूर्ण मंत्रालयों में भी अहम जिम्मा संभाल चुके हैं। वह केंद्रीय संस्कृति मंत्रालय के सचिव रहे हैं। इसके अलावा केंद्रीय वित्त मंत्रालय, केंद्रीय श्रम एवं रोजगार मंत्रालय, डीडीए में भी अहम पदों पर रहे हैं। अरुण गोयल की चुनाव आयोग में नियुक्ति गुजरात चुनाव से ठीक पहले हुई थी। इस मसले पर सत्तारूढ़ भारतीय जनता पार्टी और विपक्षी कांग्रेस और आम आदमी पार्टी के बीच तीखी जुबानी जंग भी हुई थी। AAP और कांग्रेस, दोनों ने गोयल की नियुक्ति पर सवाल उठाए थे।
अगला CEC बनने की कतार में हैं अरुण गोयल
अरुण गोयल अगले चीफ इलेक्शन कमिश्नर (CEC) बनने की कतार में भी हैं। मौजूदा मुख्य चुनाव आयुक्त राजीव कुमार फरवरी 2025 में रिटायर हो रहे हैं। ऐसे में राजीव कुमार के बाद गोयल को यह पद मिल सकता है। नियमों के मुताबिक इलेक्शन कमिश्नर या चीफ इलेक्शन कमिश्नर की नियुक्ति अधिकतम 6 साल या 65 साल की उम्र तक के लिए होती है। गोयल की नियुक्ति दिसंबर 2027 तक के लिए हुई है।
अरुण गोयल के खिलाफ ADR के क्या हैं आरोप?
सुप्रीम कोर्ट में ADR की तरफ से चर्चित वकील प्रशांत भूषण (Prashant Bhushan) पेश हो रहे हैं। पिछली सुनवाई के दौरान उन्होंने दलील दी थी कि गोयल की नियुक्ति दुर्भावनापूर्ण और मनमाने तरीके से की गई। उन्होंने दावा किया कि 160 अधिकारियों के पूल में उनका चयन किया गया। जबकि कई अफसर गोयल से योग्य और युवा थे। भूषण ने दावा किया कि अरुण गोयल ‘यस मैन’ हैं और सरकार की हां में हां मिलाने वाले शख्स हैं।
बेंच ने सुनवाई से खुद को कर लिया था अलग
आपको बता दें कि ADR की याचिका पर सुप्रीम कोर्ट में जस्टिस केएम जोसेफ और जस्टिस बीवी नागरत्ना की बेंच सुनवाई कर रही थी। लेकिन 16 अप्रैल को सुनवाई के दौरान इस बेंच ने खुद को मामले से अलग कर लिया और मामले को किसी और बेंच के सामने सूचिबद्ध करने का आदेश दिया। बेंच ने कहा कि किसी संवैधानिक पद पर किसी की नियुक्ति के बाद यह अनुमान लगाना मुश्किल है कि वह ‘यस मैन’ है या मनमाना काम करेगा।
गौर करने वाली बात यह है कि जस्टिस जोसेफ और जस्टिस नागरत्ना उच्चतम न्यायालय की उस बेंच का भी हिस्सा थे, जिसने चुनाव आयुक्त की नियुक्ति PM, नेता विपक्ष और CJI की कमिटी के जरिए करने का आदेश दिया था।
