पाकिस्तान के आम चुनाव को 10 दिन से ज्यादा बीत चुके हैं, लेकिन आवाम को नई सरकार नहीं मिली है। किसी पार्टी को बहुमत नहीं मिला है। सबसे ज्यादा सीटें इमरान खान की पाकिस्तान तहरीक-ए-इंसाफ (PTI) समर्थित निर्दलीय उम्मीदवारों ने जीती हैं। ऐसे में अब कयास लगाए जाने लगे हैं कि अगर हाल के दिनों में पाकिस्तान में कोई गठबंधन सरकार अस्तित्व में आती है, तो उसके पास बहुत ज्यादा पावर नहीं होगा।

राजनीतिक विश्लेषकों का मानना है कि सरकार कमजोर होगी और जल्द ही गिर जाएगी। एक चिंता यह भी है कि बहुमत की सरकार न होने के कारण, सत्ता को सेना ज्यादा प्रभावी तरीके से कंट्रोल कर पाएंगी। ऐसे में अगर आगामी सरकार भारत के साथ संबंधों को सुधारने का प्रयास करे भी तो सेना उसे ऐसा नहीं करने देगी। वर्तमान में पाक सेना की कमान सैयद असीम मुनीर के पास है।

ISI चीफ रहते हुए मुनीर ने की थी भारत की मदद!    

तत्कालीन लेफ्टिनेंट जनरल सैयद असीम मुनीर को अक्टूबर 2018 में तत्कालीन सेना प्रमुख जनरल क़मर जावेद बाजवा ने आईएसआई प्रमुख नियुक्त किया था। लेकिन इमरान खान के आग्रह पर आठ महीने बाद ही उन्हें ISI चीफ के पद से हटा दिया गया था। हालांकि इस दौरान उन्होंने भारत की मदद की थी!

पाकिस्तान में पूर्व भारतीय उच्चायुक्त अजय बिसारिया ने अपनी किताब ‘एंगर मैनेजमेंट, द ट्रबल्ड डिप्लोमैटिक रिलेशनशिप बिटवीन इंडिया एंड पाकिस्तान’ में एक घटना का वर्णन किया, जब ISI ने कश्मीर में हमले को अंजाम देने को तैयार अल-कायदा की साजिश के बारे में भारत को बताया था।

यह जून 2019 की बात है। मुनीर तब ISI चीफ थे। बिसारिया लिखते हैं, “रात दो बजे प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को एक फोन आया। उन्हें कुछ जरूरी जानकारी दी गई। यह एक असामान्य इनपुट था जो पाकिस्तान भारत को दे रहा था। उच्चायोग को बात पहुंचाने के माध्यम के रूप में इस्तेमाल किया गया था।”

ISI ने ऐसा क्यों किया? इसे लेकर एक थ्योरी यह है कि आईएसआई कोई चांस नहीं लेना चाहता था। वह नहीं चाहता था कि भारत में पुलवामा (14 फरवरी, 2019) की पुनरावृत्ति हो, क्योंकि इसका ठीकरा सीधे उसपर फूटता।  

बिसारिया लिखते हैं, “ISI राजनीतिक स्तर पर यह स्पष्ट करना चाहता था कि वह बदले की योजना में किए जा रहे हमले में शामिल नहीं हैं, बल्कि वह पकड़ी गई खुफिया जानकारी को भारत तक पहुंचाकर एक दोस्ताना कदम बढ़ा रहा है।”

बिसारिया लिखते हैं, “एक और अनुमान यह है कि सेना प्रमुख जनरल बाजवा, ISI के माध्यम से 14 जून के Bishkek summit से पहले संबंधों को बेहतर बनाने की कोशिश कर रहे थे। वह उम्मीद कर रहे थे कि इससे संबंधों को बेहतर बनाने की ‘पाक कोशिश’ को भारत गंभीरता से लेगा।”

अजीत डोभाल ने मुनीर से की थी बात

सैयद असीम मुनीर शाह ने 29 नवंबर, 2022 को पाक सेना प्रमुख का पद संभाला था। मुनीर ने 1986 में ऑफिसर्स ट्रेनिंग स्कूल (मंगला) से ग्रेजुएशन किया था। उन्होंने फ्रंटियर फोर्स रेजिमेंट में काम किया है, जो पाकिस्तानी सेना की छह पैदल सेना रेजिमेंटों में से एक है। सेना प्रमुख बनने से पहले वह जीएचक्यू, रावलपिंडी में क्वार्टरमास्टर जनरल थे।

मुनीर को बाजवा का करीबी माना जाता है, जिनके साथ उन्होंने दिसंबर 2016 से अक्टूबर 2018 तक मिलिट्री इंटेलिजेंस के डायरेक्टर जनरल और अक्टूबर 2018 से जून 2019 तक आईएसआई के डायरेक्टर जनरल के रूप में काम किया।

अपने करियर की शुरुआत में उन्होंने फोर्स कमांड नॉर्दर्न एरियाज़ की एक ब्रिगेड की कमान संभाली थी, जो एक्स कोर का एक घटक था। तब बाजवा कोर कमांडर थे। मुनीर के बारे में माना जाता है कि वह ‘शानदार सैन्य अधिकारी’ हैं।

फरवरी 2019 में जब पुलवामा में बमबारी हुई थी तब मुनीर आईएसआई का नेतृत्व कर रहे थे। तब राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार अजीत डोभाल ने लड़ाकू पायलट अभिनंदन की रिहाई सुनिश्चित करने के लिए मुनीर से बात की थी। अभिनंदन को पीओके में उनके मिग फाइटर जेट को गिराए जाने के बाद पकड़ लिया गया था।