केंद्रीय सड़क परिवहन और राजमार्ग मंत्री (Union Minister for Road Transport and Highways) नितिन गडकरी (Nitin Gadkari) ने हाल में एक न्यूज चैनल को दिए इंटरव्यू में बताया है कि भारत में PPP (पब्लिक-प्राइवेट पार्टनरशिप) मॉडल की शुरुआत उन्होंने ही की थी।

गडकरी ने कहा कि साल 1995 में महाराष्ट्र सरकार में पीडब्ल्यूडी मंत्री (PWD minister) रहते हुए मैंने इंफ्रास्ट्रक्टर डेवलपमेंट में पब्लिक-प्राइवेट इन्वेस्टमेंट की शुरुआत की थी। वह बताते हैं कि उन्होंने अपने कार्यकाल के भीतर मुंबई में 55 फ्लाइओवर बनवाए थे, वर्ली बांद्रा सी लिंक प्रोजेक्ट बनवाया था, मुंबई पुणे एक्सप्रेस हाईवे बनाया था।

गडकरी बताते हैं कि तब उनके पास ज्यादातर प्रोजेक्ट्स के लिए पैसे नहीं थे। तब पहली बार उन्होंने बिल्ट ऑपरेट ट्रांसफर मॉडल पर ठाणे भिवंडी बाइपास का काम शुरु किया था। ठाणे भिवंडी बाइपास को बनाने के लिए गडकरी के पास सिर्फ पांच करोड़ थे। मुंबई पुणे एक्सप्रेसवे बनाने के लिए भी गडकरी के पास पर्याप्त पैसे नहीं थे, बावजूद इसके उन्होंने धीरूभाई अंबानी का टेंडर रिजेक्ट कर दिया था।

क्यों रिजेक्ट किया था धीरूभाई अंबानी टेंडर?

इंटरव्यू के दौरान गडकरी से पूछा गया कि टेंडर रिजेक्ट होने के बाद धीरूभाई अंबानी (Dhirubhai Ambani) का क्या रिएक्शन था। इस पर केंद्रीय मंत्री बताते हैं कि टेंडर रिजेक्ट होने से धीरूभाई अंबानी काफी नाराज थें। उन्होंने मुझे बुलाया कहा कि सरकार कि क्या औकात है? आप क्या रोड बनाओगे? यह आपके लिए संभव नहीं है। आप जिद कर रहे हो। अगर आप रोड बना सकोगो, तो आपका बहुत-बहुत अभिनंदन करूंगा।

गडकरी ने लगा ली धीरूभाई अंबानी से शर्त

धीरूभाई अंबानी की बात सुनने के बाद गडकरी ने उनसे कहा कि धीरूभाई मैं तो छोटा आदमी हूं। मैं तो प्रयास करूंगा। लेकिन अगर मैंने दो साल में रोड बना दिया तो आप क्या शर्त लगाएंगे, बताइए।

गडकरी बताते हैं कि, ”धीरूभाई अंबानी का टेंडर 3600 करोड़ रुपये का था। मैंने उन्हें कहा था कि 2000 करोड़ रुपये में करोगे तो ठीक है। वरना मैं नहीं दूंगा। और वही काम दो साल में हमने 1600 करोड़ रुपये में पूरा किया। इससे 2000 करोड़ रुपये बचे।” काम देखने के बाद धीरूभाई अंबानी ने गडकरी को बुलाया और कहा मैं हार गया। तूम जीत गए।